महाराष्ट्र में शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस बनाने जा रहे अपनी सरकार

Wednesday, Nov 27, 2019 - 12:47 AM (IST)

महाराष्ट्र में 24 अक्तूबर को नतीजे घोषित होने के तुरन्त बाद भाजपा और शिवसेना में सत्ता के बंटवारे पर ठन गई थी जिसका परिणाम दोनों का गठबंधन टूटने और 12 नवम्बर को राज्य में राष्ट्रपति शासन के रूप में निकला। दूसरी ओर राकांपा, शिवसेना और कांग्रेस के बाहरी या भीतरी समर्थन से सरकार बनाने की चर्चा के बीच अंतत: 22 नवम्बर को उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाकर इन तीनों दलों की संयुक्त सरकार बनाने पर सहमति हो गई जिसकी घोषणा 24 नवम्बर को की जानी थी।

23 नवम्बर के समाचारपत्रों में छपे उक्त समाचार की स्याही सूखी भी नहीं थी कि 22 और 23 नवम्बर की मध्यरात्रि को नाटकीय घटनाक्रम में राकांपा सुप्रीमो शरद पवार के भतीजे अजीत पवार भाजपा के साथ जा मिले। अचानक 23 नवम्बर को तड़के 5.47 बजे राज्य में राष्ट्रपति शासन समाप्त कर दिया गया और उसी दिन सुबह 8.01 बजे देवेन्द्र फडऩवीस को मुख्यमंत्री और अजीत पवार को उप-मुख्यमंत्री की शपथ दिला दी गई। 23 नवम्बर सुबह यह समाचार आते ही महाराष्ट्र में भूचाल-सा आ गया और शिवसेना ने आरोप लगाया कि‘‘अजीत पवार ने जेल जाने से बचने के लिए भाजपा से हाथ मिलाया है और भाजपा ने उन्हें ब्लैकमेल किया।’’ 

उसी दिन शाम को सुप्रीमकोर्ट में शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस ने देवेन्द्र फडऩवीस की ताजपोशी के विरुद्ध याचिका लगाकर तुरन्त इस मामले में सुनवाई करने का आग्रह किया। सुप्रीमकोर्ट ने रविवार 24 नवम्बर को इस मामले में सुनवाई करते हुए राष्ट्रपति शासन निरस्त कर फडऩवीस को सरकार बनाने की सिफारिश करने वाले राज्यपाल के आदेश और उनको दिए विधायकों के समर्थन पत्र की प्रतियां पेश करने के लिए कहा। सोमवार 25 नवम्बर को सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस द्वारा तत्काल फ्लोर टैस्ट करवाने के अनुरोध पर 26 नवम्बर को सुबह 10.37 बजे महाराष्ट्र की भाजपा सरकार को 27 नवम्बर को फ्लोर टैस्ट का आदेश दे दिया। माननीय न्यायाधीशों ने कहा कि शाम 5 बजे से पहले सभी विधायक शपथ ले लें। न्यायालय ने फ्लोर टैस्ट के लिए गुप्त मतदान नहीं करने और फ्लोर टैस्ट का लाइव प्रसारण करने के आदेश के साथ ही प्रोटैम स्पीकर की तुरन्त नियुक्ति करने का आदेश भी दे दिया। 

उक्त आदेश के बाद राजनीतिक हलचल और तेज़ी से बढ़ी तथा फैसले के तुरन्त बाद अचानक अजीत पवार फडऩवीस से मिलने गए और वहां से अपने भाई श्रीनिवास पवार के घर चले गए। इसके कुछ ही समय बाद दोपहर 2.30 बजे अजीत पवार ने त्यागपत्र दे दिया और उनके त्यागपत्र के बाद दोपहर 3.30 बजे संवाददाता सम्मेलन में देवेन्द्र फडऩवीस ने भी इस्तीफा दे दिया। इस प्रकार जहां महाराष्ट्र में शासन की एक और पारी खेलने का भाजपा का सपना टूट गया वहीं अंतत: एक बार फिर शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस की सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया।

संजय राऊत ने कहा है कि ‘‘अब उद्धव ठाकरे 5 साल के लिए मुख्यमंत्री होंगे। ‘अजीत दादा’ ने इस्तीफा दे दिया है और अब वह भी हमारे साथ हैं।’’ गठबंधन का नाम ‘महाराष्ट्र विकास अघाड़ी’ रखा गया है। यह लोकतंत्र और न्यायपालिका की निष्पक्षता की जीत है और यह पहला मौका है जब महाराष्ट्र में शिवसेना की विरोधी विचारधारा वाली दो पार्टियां राकांपा और कांग्रेस मिल कर सरकार बनाने जा रही हैं जिस प्रकार भाजपा ने हरियाणा में अपनी विरोधी ‘जजपा’ के साथ गठबंधन करके सरकार बनाई है।

इस बीच जहां राज्यपाल ने भाजपा के विधायक कालिदास कोलबंकर को प्रोटैम स्पीकर की शपथ दिला दी है वहीं 27 नवम्बर को सुबह 8 बजे महाराष्ट्र विधानसभा का विशेष सत्र बुला लिया गया है जिसमें सभी विधायकों को शपथ दिलाई जाएगी और राज्यपाल का निमंत्रण मिलने के बाद यदि कोई उठापटक न हुई तो उद्धव ठाकरे 1 दिसम्बर को शाम 5 बजे शिवाजी पार्क में शपथ ग्रहण करेंगे।—विजय कुमार 

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