चांदनी चौक से चुनाव लड़ना चाहती है शीला

Monday, Apr 22, 2019 - 04:03 AM (IST)

संभवतया ‘आप’ ने कांग्रेस को गठबंधन पर विचार करने के लिए कुछ और समय दे दिया है। कांग्रेस पार्टी की दिल्ली इकाई ने सभी 7 लोकसभा क्षेत्रों से उम्मीदवारों का नाम कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को भेज दिया है। खास बात यह है कि दिल्ली प्रदेश इकाई की अध्यक्ष शीला दीक्षित चांदनी चौक लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लडऩा चाहती हैं। 

कपिल सिब्बल ने इस सीट से चुनाव लडऩे से मना कर दिया है क्योंकि वह वर्तमान में राज्यसभा सदस्य हैं। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार उम्मीदवारों के नाम आप के साथ गठबंधन के लिए अंतिम दौर की वार्ता के बाद सोमवार को घोषित किए जाएंगे। इस बीच आप ने अपने कार्यकत्र्ताओं के बीच संदेश भेजना शुरू कर दिया है जिसमें यह बताने की कोशिश की जा रही है कि वह कांग्रेस के साथ गठबंधन के लिए क्यों उत्सुक हैं? और अब तक यह क्यों नहीं हुआ। 

बिहार में गठबंधन में मतभेद?
बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के तेजस्वी यादव ने शनिवार को बिहार के सुपौल में हुई राहुल गांधी की रैली में हिस्सा नहीं लिया। यह राहुल गांधी की राज्य में तीसरी रैली थी और तेजस्वी यादव इन तीनों रैलियों में गैर हाजिर रहे। पहली रैली गया और दूसरी कटिहार में हुई। बिहार में कांग्रेस-राजद-आर.एल.एस.पी.-हम और विकासशील इंसान पार्टी महागठबंधन  का हिस्सा हैं तथा प्रदेश में 40 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस 9 पर चुनाव लड़ रही है।

भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन नेताओं ने इस बात को उछाला है कि तेजस्वी यादव राहुल गांधी की रैलियों में भाग नहीं ले रहे जबकि राजद और कांग्रेस पार्टी ने इसे ज्यादा महत्व न देते हुए कहा है कि गठबंधन में कोई मतभेद नहीं है। अब वह राहुल गांधी की अन्य सभी रैलियों में भाग लेंगे। राजद की स्थानीय इकाई ने कांग्रेस के वर्तमान सांसद रणजीत रंजन का खुले तौर पर विरोध किया है और यह तेजस्वी यादव के राहुल गांधी की सुकौल बैठक से अनुपस्थित होने का कारण हो सकता है। गैर हाजिर होने का दूसरा कारण यह हो सकता है कि रणजीत रंजन के प्रति पप्पू यादव मधेपुरा से आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं जहां से समाजवादी नेता शरद यादव राजद के उम्मीदवार हैं और राजद को यह अंदेशा है कि पप्पू यादव शरद यादव की जीत की संभावनाओं पर पानी फेर सकते हैं। 

मोदी के खिलाफ प्रचार कर रहे ठाकरे
महाराष्ट्र नव निर्माण सेना (मनसे)  अध्यक्ष राज ठाकरे ने पिछले 5 वर्षों में अपना उद्देश्य बदल लिया है और  2014 में नरेन्द्र मोदी की जीत चाहने वाले ठाकरे अब 2019 में उनको सत्ता से बाहर करने का आह्वान कर रहे हैं। मनसे लोकसभा चुनाव नहीं लड़ रही है लेकिन राज ठाकरे महाराष्ट्र , विशेष तौर पर मराठा बहुल क्षेत्रों में प्रधानमंत्री और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ धुआंधार प्रचार कर रहे हैं। हालांकि वह अपने भाषणों में कांग्रेस या एन.सी.पी. का नाम नहीं ले रहे हैं लेकिन नरेन्द्र मोदी और अमित शाह के खिलाफ उनकी कड़ी टिप्पणियों से सब कुछ स्पष्ट हो रहा है। उदाहरण के लिए हाल ही में मनसे प्रमुख ने कहा कि यदि लोग मोदी के साथ प्रयोग कर सकते हैं तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ क्यों नहीं कर सकते? 

दल बदलते नेता
चुनाव के समय कोई भी नेताओं पर भरोसा नहीं कर सकता जो इस दौरान दलों के साथ-साथ अपनी भाषा भी बदल लेते हैं। उदाहरण के लिए हाल ही में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मुरादाबाद में मुस्लिम उम्मीदवार  को समर्थन देने का आह्वान किया ताकि उनके वोटों का विभाजन न हो तथा घोषणा की कि हमने कांग्रेस को गठबंधन में इसलिए शामिल नहीं किया क्योंकि उनका उत्तर प्रदेश में कोई जनाधार नहीं है और यहां से उनके पास केवल 2 लोकसभा सीटें हैं। वास्तव में कांग्रेस ने भी मुरादाबाद में मुस्लिम उम्मीदवार को ही टिकट दिया है। 

अन्य कई नेता भी पाला बदल कर नई पाॢटयों की ओर से चुनाव मैदान में हैं। शत्रुघ्न सिन्हा भाजपा छोड़ कर कांग्रेस की टिकट पर पटना साहिब से चुनाव लड़ रहे हैं। भोजपुरी गायक मनोज तिवारी इस समय दिल्ली भाजपा अध्यक्ष और सांसद हैं जबकि 2009 में वह सपा में थे और उन्होंने गोरखपुर से योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ा था जिसमें वह हार गए थे। भोजपुरी अभिनेता रवि किशन ने पिछला लोकसभा चुनाव जौनपुर से कांग्रेस की टिकट पर लड़ा था और अब गोरखपुर से भाजपा की टिकट पर लड़ रहे हैं।-राहिल नोरा चोपड़ा

Advertising