पैगंबर मोहम्मद की तारीफ में शे’रो-शायरी करते हैं ‘पंडित’ सागर त्रिपाठी
punjabkesari.in Saturday, Jun 02, 2018 - 05:08 AM (IST)

एक ऐसे समय में, जब नमाज पढऩे और जिन्ना की तस्वीर को लेकर हिंदू-मुसलमान समुदाय के लोगों में मतभेदों की खबरें आती रहती हैं, एक शख्स ऐसा भी है जो खुद ‘पंडित’ होकर इस्लाम के प्रवर्तक मोहम्मद साहब की शान में कसीदे पढ़ रहा है। मुंबई में रहने वाले पंडित राम सागर उर्फ पृथ्वीपाल त्रिपाठी ने मोहम्मद साहब की प्रशंसा में अपनी शायरी का कलैक्शन लिख डाला है।
68 वर्षीय सागर उस परिवार से संबंध रखते हैं, जो अयोध्या के एक ट्रस्ट रामलला विन्यास से जुड़ा है। वह विश्व ब्राह्मण परिषद के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। वह मुशायरों में एक चॢचत चेहरा बन चुके हैं। अपने ‘नातिया कलाम’ और अल्लाह की शान में शे’र पढऩे वाले सागर के घर में दर्जनों अवॉर्ड रखे हुए हैं। उनके घर में हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी भाषाओं में कुरान मौजूद हैं। गीता और रामायण को भी वह बराबर महत्व देते हैं। उनकी कविताओं में न सिर्फ मोहम्मद साहब की तारीफें होती हैं, बल्कि साम्प्रदायिक सौहार्द को बढ़ाने वाली तकरीरें भी होती हैं। उर्दू और देवनागरी में लिखी गई उनकी पंक्तियां गंगा-जमुनी तहजीब को और मजबूत करती हैं। वह एक ऐसा माहौल बनाते हैं, जहां राम-रहीम और हिंदू-मुसलमान एक-दूसरे के साथ रहते हैं।
उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में जन्मे सागर कहते हैं कि मोहम्मद साहब सिर्फइस्लाम से नहीं जुड़े हैं, वह मानवता के लिए हैं और मैं उनका आशीर्वाद लेता हूं, इसमें कुछ भी गलत नहीं है। वह किसी एक कौम के नहीं हैं। वह बताते हैं कि उनकी रोजी-रोटी प्रॉपर्टी के बिजनैस से चलती है। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएशन करने वाले सागर को मशहूर शायर फिराक गोरखपुरी का भी संरक्षण प्राप्त हो चुका है। इनके दादा चाहते थे कि सागर आई.ए.एस. अधिकारी बनें लेकिन कविता के प्रति प्यार के चलते उन्होंने कभी यू.पी.एस.सी. की परीक्षा दी ही नहीं।
वह कहते हैं, ‘‘मैंने बहुत पैसा कमाया लेकिन मेरे अंदर जो कमी रह जाती थी, उसे कविता ने पूरा किया।’’ सागर अपनी किताबों से होने वाली कमाई को मुस्लिम बच्चों की शिक्षा के लिए दान दे देते हैं। वह राम मंदिर बारे क्या राय रखते हैं, इस सवाल के जवाब में सागर कहते हैं, ‘‘क्योंकि मामला कोर्ट में है इसलिए मैं ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहूंगा लेकिन अगर लोग इसमें राजनीति न होने दें तो यह समस्या सुलझ सकती है।’’-मोहम्मद वजीहुद्दीन