सात-सात साल के अंतराल पर: न्यूयार्क, फिर मुम्बई के बाद अब पैरिस में बड़ा आतंकी हमला

Sunday, Nov 15, 2015 - 02:15 AM (IST)

11 सितम्बर, 2001 को न्यूयार्क (अमरीका) में अल कायदा के हमलों में 3000 लोग मारे गए और 6000 से अधिक घायल हुए थे। इसके 7 वर्ष बाद 26 से 29 नवम्बर 2008 के बीच मुम्बई में लश्कर-ए-तोयबा के हमलों में 266 से अधिक निर्दोष मारे गए तथा 600 से अधिक लोग घायल हुए। 

अब इसके ठीक 7 वर्ष बाद 13 नवम्बर को आतंकवादियों ने फ्रांस की राजधानी पैरिस को अपना निशाना बनाया और यह इस्लामिक स्टेट (आई.एस.) के आतंकवादियों के धारावाहिक हमलों से दहल उठी। एक के बाद एक 7 स्थानों पर हुए बम धमाकों और फायरिंग में कम से कम 158 लोग मारे गए तथा 300 अन्य घायल हो गए। 
 
हमलावरों ने नई रणनीति अपना कर दोतरफा हमले किए। आई.एस. ने हमले की जिम्मेदारी लेते हुए कहा है कि उनकी यह कार्रवाई फ्रांस के राष्टपति होलांदे द्वारा सीरिया व ईराक में मुसलमानों के विरुद्ध कार्रवाई व विश्व भर के मुसलमानों को पहुंचाई गई क्षति के प्रतिशोध का हिस्सा है। 
 
उल्लेखनीय है कि ईसाई धर्म के बाद फ्रांस में दूसरा सबसे बड़ा धर्म इस्लाम है। पश्चिमी यूरोप में मुसलमानों की सर्वाधिक (47 लाख) आबादी फ्रांस में ही है। फ्रांसीसियों का मानना है कि देश में बढ़ रहे इस्लामीकरण से ईसाई धर्म की संस्कृति व परम्पराओं को खतरा है। 
 
हाल ही में फ्रांस सरकार ने 150 से अधिक कट्टरपंथी गिरफ्तार किए हैं और वहां मुस्लिम युवकों को नौकरी व शिक्षा संस्थानों में प्रवेश देने के मामले में सतर्कता बरतने तथा संदिग्ध आतंकवादियों के फोन की टैपिंग करने आदि के चलते फ्रांस इस्लामी आतंकी गिरोहों के निशाने पर है।
 
पहली बार सन् 2000 में अल कायदा ने फ्रांस पर हमले की योजना बनाई थी पर समय रहते पता चल जाने से इसे नाकाम कर दिया गया लेकिन मात्र इसी वर्ष के अंदर इस्लामी आतंकवादी फ्रांस में आधा दर्जन हमले कर चुके हैं। 
 
* 7 जनवरी 2015 को पैरिस में व्यंग्य एवं कार्टून पत्रिका ‘चार्ली हेब्दो’ के दफ्तर में हुए आतंकी हमले में 20 लोगों की जान गई। 
* 3 फरवरी को नाइस शहर में एक यहूदी सामुदायिक केंद्र की रखवाली कर रहे 3 सैनिकों पर हमला किया गया।
* 19 अप्रैल को 2 चर्चों पर हमले हुए जिनमें 1 महिला मारी गई।
* 26 जून को पूर्वी फ्रांस की एक फैक्टरी में एक संदिग्ध इस्लामी हमलावर ने एक व्यक्ति की हत्या व 2 अन्य को विस्फोटकों से घायल कर दिया।
* 21 अगस्त को हथियारों से लैस एक आतंकवादी ने एम्सटर्डम से पैरिस जा रही एक हाई स्पीड ट्रेन में फायरिंग करके 4 लोगों को घायल कर दिया।
 
विश्व में सक्रिय आतंकी गिरोहों में नवीनतम नाम ‘इस्लामिक स्टेट (आई.एस.) का है। ईराक व सीरिया में आतंक फैलाने और जनसंहार करने वाले इस सबसे बड़े गिरोह का ईराक व सीरिया के जिन क्षेत्रों पर नियंत्रण है वहां के लोग इसे ‘दौलत’ (सरकार) कहते हैं जो विश्व के विभिन्न भागों में हजारों लोगों को मौत के घाट उतार चुका है।
 
‘चार्ली हेब्दो’ के कार्यालय पर आतंकवादी हमले के बाद से ही फ्रांस में जारी हाई अलर्ट के बावजूद आई.एस. द्वारा नवीनतम हमले में इतनी बड़ी संख्या में नरसंहार इस बात का मुंह बोलता प्रमाण है कि आज विश्व भर में सक्रिय आतंकवादी गिरोहों का नैटवर्क किस कदर एक समानांतर व्यवस्था चला रहा है व इन मानवघाती गिरोहों के हौसले कितने बढ़ चुके हैं।
 
कुछ यूरोपीय देशों द्वारा सीरियाई शरणाॢथयों को शरण देने व यूरोपीय संघ के देशों की सीमाएं खुली होने से भी आतंकियों का आवागमन आसान हो गया है और अब आई.एस. ने जेहादियों की ऑन लाइन ट्रेनिंग भी शुरू कर दी है। स्पष्टत: इनकी जड़ें इतनी गहरी हो गई हैं कि अब वे जहां जो चाहें कर सकते हैं।
 
सुनियोजित ढंग से काम कर रहे इन गिरोहों का मुकाबला करने के लिए विश्व समुदाय को भी उतने ही सुनियोजित ढंग से सक्रिय होने और एकजुट होकर कार्रवाई करने की आवश्यकता है। 
 
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