‘तमिलनाडु की राजनीति में एक फैक्टर बन सकती हैं शशिकला’

Tuesday, Jan 05, 2021 - 04:52 AM (IST)

तमिलनाडु की पूर्व दिवंगत मुख्यमंत्री जे. जयललिता की करीबी सहयोगी शशिकला की जल्द ही रिहाई होगी। 2016 में जयललिता के निधन के बाद सत्तारूढ़ अन्नाद्रुमक के भीतर बड़़े पैमाने पर राजनीतिक उथल-पुथल हुई। शशिकला को 2017 में चार साल के लिए जेल भेज दिया गया। उनकी जेल की अवधि अगले महीने समाप्त होगी। अप्रैल-मई में आगामी विधानसभा चुनावों से पूर्व क्या तमिलनाडु की राजनीति में शशिकला एक फैक्टर बन सकती हैं? कइयों का मानना है कि वह एक भूमिका निभा सकती हैं तथा वहीं अन्य लोगों का मानना है कि उनकी राजनीति में रुचि है इसलिए वह अपना समय इसमें बिता सकती हैं। 

2017 में जयललिता की मौत के बाद वह तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनने के करीब थीं। उनके नजदीकियों का कहना है कि हालांकि इन चार वर्षों के दौरान राजनीति बदल चुकी है मगर उनकी महत्वाकांक्षा अभी भी बरकरार है। चूंकि कानून के अनुसार शशिकला अगले 6 वर्षों तक चुनाव नहीं लड़ सकती हैं मगर वे केवल सिंहासन के पीछे एक शक्ति के रूप में कार्य कर सकती हैं। अम्मा (जयललिता) की अनुपस्थिति में राजनीति में ‘चिन्ना अम्मा’ का क्या प्रभाव पड़ेगा? हालांकि जयललिता की छाया से उभरने के बाद शशिकला का एक राजनेता के रूप में विकास अचानक कम हो गया था। उन्हें महसूस होना चाहिए था कि जयललिता की परछाईं के रूप में उनके पास जो शक्ति थी वह पूरी तरह से जयललिता की शर्तों पर थी। 

मगर शशिकला के पास ज्यादा विकल्प नहीं हैं। उनके जेल में रहने के दौरान तमिलनाडु में बहुत कुछ हुआ है। मुख्यमंत्री ई. पलानीस्वामी ने न केवल सरकार और पार्टी दोनों में बल्कि भाजपा के साथ दोस्ताना रवैये को अपनाने के लिए अपनी शक्ति को मजबूत किया है। उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि अब तक सबको एकजुट रखा है। 

पहली बात यह है कि अन्नाद्रमुक को वह वापस हथियाने की कोशिश कर सकती हैं क्योंकि पार्टी में अभी भी उनके कई वफादार हैं। मगर राजनीति में उनका संभावित प्रवेश राजनीतिक माहौल को और जटिल बना देगा। उनके एक समय वफादार रहे वर्तमान मुख्यमंत्री ई. पलानीस्वामी  और उपमुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेलवम इसका विरोध करेंगे। पार्टी की विचारधारा पर टिके कुछ मंत्री शशिकला दिनाकरण कैम्प के साथ रिश्ते रखना पसंद करेंगे जोकि अन्नाद्रमुक के लिए फायदेमंद होगा। 

वर्तमान में चल रहे कोरोना वायरस संकट ने अन्नाद्रमुक को शुरू में राज्य में अपना कद बढ़ाने में मदद की। हालांकि तमिलनाडु में संक्रमित लोगों की गिनती बढऩे से ई. पलानीस्वामी की लोकप्रियता में कमी आई है। अन्नाद्रमुक को अब दिल्ली से चलाया जाता है। इन सबसे ऊपर पार्टी ने आगामी विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा के साथ गठबंधन की भी घोषणा की है, वहीं भाजपा भी राज्य में गठबंधन सरकार की अवधारणा को बढ़ावा देते दिख रही है। ऐसे विचार को अन्नाद्रमुक ने खारिज कर दिया है। पार्टी ने कभी भी सत्ता सांझी नहीं की है। 

चेन्नई के पॉश इलाके पोएस गार्डन में शशिकला की सम्पत्ति तथा जयललिता के घर के बिल्कुल सामने निर्माणाधीन महलनुमा बंगले पर अचानक आयकर विभाग की छापेमारी तथा सम्पत्ति को इसके साथ जोडऩा इस बात का संकेत है। दूसरी बेहतर चीज शशिकला द्वारा अपने भतीजे टी.टी.वी. दिनाकरण की पार्टी अम्मा मक्कल कझगम के साथ जुडऩा है। यहां तक कि यह मुद्दा तमिलनाडु चुनावों में अन्नाद्रमुक के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है। आर.के.नगर उपचुनावों में टी.टी.वी. ने अपनी सीट जीती है मगर उनकी पार्टी ने 2019 के चुनावों में बेहतर कारगुजारी नहीं की है। 2017 में उन्होंने शशिकला के उद्मोदन के साथ पार्टी को आगे बढ़ाया। हालांकि शशिकला अगले 6 सालों तक चुनाव नहीं लड़ सकतीं मगर फिर भी निश्चित तौर पर वह चुनावी युद्धाभ्यास में भाग ले सकती हैं। ए.एम.एम.के. ने पहले से ही अन्नाद्रमुक के 5 प्रतिशत वोटों को हथिया लिया है। 

जयललिता के साथ अपने अंदरूनी अनुभव होने के कारण शशिकला के पास बहुत पैसा है और उनके पास राजनीतिक अंतर्दृष्टि भी है। ऐसा कहा जाता है कि तमिलनाडु के दक्षिण में उनका और उनके भतीजे का कुछ प्रभाव है। यह अन्नाद्रमुक के मतों में कटौती कर सकता है। दिनाकरण की चुप्पी एक संकेत है कि इन कार्यों में कुछ सौदा भी हो सकता है। वहीं अन्नाद्रमुक और ए.एम.एम.के. के विलय की भी चर्चा है लेकिन यह स्पष्ट नहीं कि शशिकला इस नए सैटअप में अपनी क्या भूमिका निभाएंगी।-कल्याणी शंकर
 

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