शिरोमणि अकाली दल के दिल्ली में नए ‘सारथी’ बनेंगे ‘सरना बंधु’

punjabkesari.in Friday, Sep 30, 2022 - 04:12 AM (IST)

1920 को जन्मी देश की दूसरी सबसे पुरानी पार्टी शिरोमणि अकाली दल (बादल) को देश की राजधानी दिल्ली में फिर से ताकत मिलने जा रही है। पंजाब में पार्टी की पराजय के बाद पंजाब से दिल्ली तक पार्टी के ज्यादातर करीबियों ने इससे किनारा कर लिया है। पार्टी को कद्दावर और दिल्ली के चर्चित सिख नेता की तलाश थी।

कुछ दिन पहले तलाश पूरी हो गई और बहुत जल्द इसका ऐलान हो जाएगा। फिलहाल,शिरोमणि अकाली दल (दिल्ली) के अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना दिल्ली में अकाली दल के नए ‘सारथी’ बनेंगे। उम्मीद है कि अक्तूबर के पहले सप्ताह में दोनों पाॢटयों का विलय हो जाएगा। वैसे भी 1999 तक सरना अकाली दल (बादल) में ही थे। सरना ने बगावत करके दिल्ली में अपनी पार्टी खड़ी की थी।

उस समय सरना शिरोमणि कमेटी के पूर्व अध्यक्ष गुरचरण सिंह टोहड़ा के करीबी समझे जाते थे। टोहड़ा और प्रकाश सिंह बादल के बीच विवाद होने के चलते सरना ने दिल्ली में अपनी अलग पार्टी बना ली थी।अब लगभग 23 साल के बाद सरना घर वापसी करने जा रहे हैं। बता दें कि 2021 के दिल्ली कमेटी चुनाव जीतने के बाद शिरोमणि अकाली दल को दिल्ली में बड़ा झटका लगा था। बादल के सबसे करीबी एवं दिल्ली कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे।

सिरसा के जाने के बाद अकाली दल दिल्ली कमेटी के जीते हुए 24 सदस्यों ने भी अपना अलग गुट बनाते हुए शिरोमणि अकाली दल (दिल्ली स्टेट) नाम से नई पार्टी बना ली। सुखबीर बादल को लगे इस बड़े झटके के बाद पार्टी ने सबसे तजुर्बेकार नेता अवतार सिंह हित को पार्टी की दिल्ली इकाई की कमान सौंपी। लेकिन 10 सितम्बर को हित के निधन के बाद अब दिल्ली में अकाली दल का नेतृत्व करने वाला कोई बड़ा नेता मौजूद नहीं था।

हरियाणा गुरुद्वारा कमेटी में तख्तापलट, ताकत की जंग : सुप्रीम कोर्ट से हरियाणा कमेटी के अस्तित्व को मान्यता मिलने के बावजूद कमेटी के तत्कालीन अध्यक्ष बलजीत सिंह दादूवाल तथा पूर्व अध्यक्ष जगदीश सिंह झींडा के बीच अपनी ताकत साबित करने की होड़ लगी हुई है। कुछ दिन पहले कैथल में झींडा ने अपने समर्थक 33 सदस्यों की मीटिंग करके खुद को हरियाणा कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त कर लिया था, लेकिन अगले दिन ही झींडा और दादूवाल के बीच समझौता हो गया। अब सारी बात सरकार पर डाल दी गई है।

हरियाणा कमेटी एक्ट के अनुसार कुल 42 सदस्य हैं, जिन्हें नामजद करने का अधिकार हरियाणा सरकार के पास है। एस.जी.पी.सी., दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी, तख्त श्री पटना साहिब कमेटी की तरह हरियाणा कमेटी में अभी तक संगत द्वारा सदस्य चुनने का प्रावधान नहीं है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को शिरोमणि कमेटी (एस.जी.पी.सी.) पुर्नविचार के लिए सुप्रीम कोर्ट में ले जाना चाहती है। इस संबंधी शिरोमणि कमेटी ने अपनी कार्यकारिणी की बैठक में कोर्ट के फैसले को रद्द भी कर दिया।

पार्षदी के लिए माता की चौकियों में हाजिरी लगा रहे हैं सिख नेता : दिसम्बर में प्रस्तावित दिल्ली नगर निगम चुनाव में दिल्ली कमेटी के 10 से 15 सदस्यों ने पार्षद के चुनाव लडऩे के लिए तैयारी शुरू कर दी है तथा अपने-अपने क्षेत्र में होने वाले नवरात्रि महोत्सव कार्यक्रमों, माता की चौकी एवं रामलीला में हाजिरी लगाने लगे हैं। कुछ कमेटी सदस्य भारतीय जनता पार्टी के यहां टिकट के लिए हाजिरी लगा रहे हैं तो कुछ सदस्यों ने आम आदमी पार्टी में टिकट के लिए मशक्कत तेज कर दी है।

दूसरी तरफ भाजपा सिख प्रकोष्ठ भी इस बार टिकटों के प्रति आशावादी है, जिसने हाल ही में प्रधानमंत्री का जन्मदिन मनाने के बहाने एक कार्यक्रम कर अपनी उपस्थिति भी दर्ज कराई। हालांकि अब तक सिख प्रकोष्ठ के नेताओं को सामान्यत: निगम पार्षदी की टिकट नहीं मिली है। 2017 तक शिरोमणि अकाली दल के नेताओं को भाजपा अपने टिकट पर लड़ाती थी। अब देखना होगा कि इस बार भाजपा और आम आदमी पार्टी कितने सिखों को टिकट देती हैं।

साका पंजा साहिब शताब्दी मनाने पाकिस्तान जाएंगे 240 भारतीय : पाकिस्तान के हसन अब्दाल स्थित ‘साका पंजा साहिब’ शताब्दी कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए 240 सिख श्रद्धालु पाकिस्तान जाएंगे। उनका एक जत्था 28 अक्तूबर को हसन अब्दाल जाएगा। श्रद्धालु अटारी-वाघा सीमा के जरिए 28 अक्तूबर को पाकिस्तान पहुंचेंगे और 2 नवम्बर को अमृतसर लौटेंगे। इनमें से दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम, फरीदाबाद और गाजियाबाद के 40 श्रद्धालुओं को डी.एस.जी.एम.सी. भेजेगी। पाकिस्तान जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए कोविड-19 टीके की दोनों खुराक लेना और यात्रा शुरू होने से 72 घंटे पहले कोविड जांच कराना अनिवार्य होगा। डी.एस.जी.एम.सी. अपनी तरफ से श्रद्धालुओं के लिए दिल्ली में रकाबगंज साहिब स्थित अपने कार्यालय में विशेष कोविड-19 जांच शिविर लगाएगी।-सुनील पांडेय, दिल्ली की सिख सियासत 
 


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