नशों से मुक्ति पाने में परिवार और समुदाय की भूमिका

punjabkesari.in Thursday, Jun 23, 2022 - 04:13 AM (IST)

नशीली दवाओं के दुरुपयोग से आज पूरा विश्व चिंतित व प्रभावित है और जहां तक भारत का प्रश्न है, यहां यह समस्या गंभीर रूप धारण कर चुकी हैै। इसके दुष्प्रभाव से सरकार, समाज व आम आदमी परेशानी का सामना कर रहा है। नशे से ज्यादा प्रभावित राज्यों में मणिपुर, केरल, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, गोवा, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, दिल्ली बिहार, हरियाणा तथा पंजाब शामिल हैं। नशेडिय़ों को शारीरिक, मानसिक, सामाजिक तथा आर्थिक पहलुओं से भारी नुक्सान उठाना पड़ता है फिर भी वे इस लत से छुटकारा नहीं पाना चाहते। 

देखने में आया है कि अवैध ड्रग्स का प्रयोग अक्सर 15 से 75 वर्ष की आयु वर्ग के द्वारा किया जाता है। आज तक डॉट इन के अनुसार, ‘भारत में 2018 में दर्ज किया गया कि ओपिओइड का इस्तेमाल करने वालों की संख्या करीब 2.3 करोड़ है। यह संख्या 14 सालों में 5 गुना बढ़ी है। इस दौरान हैरोइन की खपत में अधिकतम वृद्धि दर्ज की गई। 2004 में अफीम का इस्तेमाल करने वालों की संख्या (20,000) हैरोइन लेने वालों की (9,000) की तुलना में दोगुनी थी। करीब 12 साल बाद यह रुझान उलट गया और हैरोइन यूजर्स की संख्या 2.5 लाख हो गई।’ 

मादक पदार्थों का उपयोग अमीर परिवारों के युवाओं तथा ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों के अलावा महिलाओं और समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों द्वारा किया जाता है। ये लोग, ज्यादातर अमीरजादे, नशा करने के लिए बड़ी-बड़ी पाॢटयों में हिस्सा लेते हैं, जिन्हें रेव पार्टी कहा जाता है। इन पार्टियों का आयोजन नाइट क्लबों, कैसीनो, क्रूजशिप, डैस्टिनेशन हिल स्टेशनों, फार्म हाऊस, होटलों आदि में किया जाता है, जहां धड़ल्ले से गैर-कानूनी ड्रग्स का धंधा किया जाता है। ये पार्टियां बहुत गुपचुप तरीके से आयोजित की जाती हैं तथा इनमें जाने के लिए सीक्रेट कोड वर्ड रखे जाते हैं। इनकी बुकिंग ज्यादातर ऑनलाइन एक सीक्रेट तरीके से होती है। 

प्रभाव : इनके इस्तेमाल से शारीरिक कमजोरी बढ़ती है, सस्ते नशे की वजह से कैंसर जैसी भयानक बीमारी का सामना करना पड़ता है, दिल का दौरा, अस्थमा, लिवर सिरोसिस, तनाव, मानसिक रोग, सांस में दिक्कत तथा फेफड़ों की समस्या, हड्डियों की कमजोरी, स्ट्रोक, शरीर में समन्वय में कमी, पागलपन, उल्टी, भ्रम, ध्यान केंद्रित करने या याद रखने में कठिनाई, हृदय गति और रक्तचाप में वृद्धि, स्पष्ट रूप से सोचने में समस्याएं, दु:स्वप्न, प्रलाप, मानसिक और हिंसक व्यवहार, तालमेल की कमी, चिड़चिड़ापन या मूड में बदलाव, स्पष्ट रूप से सोचने में समस्या, स्मृति समस्याएं, चक्कर आना, अत्यधिक आत्मविश्वास की भावना, बेचैनी, व्यवहार में बदलाव या आक्रामकता, वजन में कमी, अनिद्रा, मांसपेशियों में ऐंठन, चेतना में कमी, आत्मघाती प्रवृत्ति, बोलने में कठिनाई, डिप्रैशन, गुर्दे खराब होना, तंद्रा आदि। 

इसके साथ-साथ नशेड़ी अक्सर झूठ बोलने लगते हैं, अपने परिवार, दोस्तों, रिश्तेदारों और समाज के अन्य वर्गों को धोखा देते हैं, चोरियां करने का प्रयास करते हैं, लूटपाट, ठगी, धोखाधड़ी और डाके मारते हैं तथा नशे के पैसे जुटाने के लिए घर का सामान बेच डालते हैं। ड्रग्स से पीछा छुड़ाना आसान कार्य नहीं है। बल्कि कई बार तो यह इतना खतरनाक होता है कि अगर  इसकी लत को जबरदस्ती छुड़वाने की कोशिश की जाए तो यह नशेड़ी की मौत का कारण भी बन जाता है। 

कारण : पारिवारिक इतिहास, मानसिक स्वास्थ्य विकार, साथियों व मित्रों का दबाव, परिवार की भागीदारी का अभाव, आनुवंशिक प्रवृत्ति, जिज्ञासा, कम आत्मसम्मान, तनाव प्रबंधन की कमी, थकान से राहत के लिए, वास्तविकता से बचने के लिए, मनोवैज्ञानिक परेशानी, शराब और नशीली दवाओं की आसान उपलब्धता, इलाज से जुड़ी समस्याएं, बेरोजगारी, अवसाद और मानसिक रोग, शैक्षणिक दबाव, माता-पिता के पास समय का अभाव, तनाव का सामना करने में असमर्थता, सामाजिक दबाव इत्यादि। 

परिवार और समुदाय की भूमिका : नशा मुक्ति में परिवार की भूमिका अति आवश्यक तथा महत्वपूर्ण होती है। यदि परिवार अपने बच्चों की परवरिश करते समय उनकी ऐसी गतिविधियों पर नजर न रखें तो धीरे-धीरे वे बच्चे बुरी संगत में पड़ सकते हैं और छोटे-छोटे नशे करने का प्रयास करने लगते हैं, इसलिए परिवार को चाहिए कि वह शुरू से ही अपने बच्चों के साथ समय बिताएं तथा उन्हें अच्छे संस्कार दें। परिवार नशेड़ी सदस्य की प्रत्येक गतिविधि पर नजर रखे। सर्वप्रथम, उसके नजदीकी दोस्तों जिनके साथ मिलकर वह नशा करता है उनसे दूरी बनाने के प्रयास करने होंगे, जब कभी वे मिलने का प्रयास करें तो  बहाना बनाकर टाला जाए ताकि उनका संपर्क टूट जाए। नशेड़ी को पैसे प्राप्त करने के सभी रास्ते बंद करने होंगे परंतु बोलचाल में उसके साथ अच्छा व्यवहार किया जाए। 

इलाज में सहयोग किया जाए, अच्छे पड़ोसियों तथा रिश्तेदारों का सहयोग लेकर उनके सकारात्मक विचारों को नशेड़ी तक पहुंचाया जाए। किसी भी हालत में गाली-गलौच या झगड़े की नौबत न आने दी जाए, प्यार, हमदर्दी, स्नेह व सहानुभूति दिखाई जाए। जब कभी भी कोई प्रतिक्रिया हो उसे सकारात्मक तरीके से लें, किसी भी प्रकार के ड्रग्स को उसकी पहुंच से बाहर रखा जाए। यदि उसके पास मोबाइल हो तो उसे तुरंत प्रभाव से बंद करना चाहिए और घर में सुखद माहौल बनाने के लिए संतों, महात्माओं तथा महापुरुषों के विचार व वाणियों को उसे सुनाया जाए। पाठ-पूजा व धार्मिक कार्यों की तरफ उसका रुझान बढ़ाया जाए, जब कभी भी वह कोई अच्छा कार्य करे तो उसकी समय-समय पर सराहना या प्रशंसा की जाए। उसकी दिनचर्या को अनुशासित व नियमित करने के लिए कदम उठाए जाएं। आवश्यकता पडऩे पर उसे अच्छे नशा मुक्ति केंद्र्र में भर्ती कराया जाए। 

समुदाय की सक्रिय भूमिका नशों से निजात दिलवाने में जरूरी है क्योंकि इसमें समूह समाज, अधिकारी तथा कर्मचारी सभी शामिल हैं। सभी के साथ व सहयोग से नशे उपलब्ध कराने वालों पर सख्त नजर रखते हुए तुरंत कार्रवाई करवाने या करने में पूर्ण सहयोग देना चाहिए। स्वयंसेवी संगठनों, धार्मिक संस्थाओं, सिविल सोसायटियों, गैर-सरकारी संगठनों, पंचायतों व शहरी निकायों के प्रतिनिधियों, युवा क्लबों, विद्यार्थी संगठनों, शिक्षकों, आंगनबाड़ी कर्मचारियों, नेहरू युवा क्लबों, मानव कल्याण समितियों, खाप पंचायतों तथा सरकारी कर्मचारियों को नशा मुक्ति अभियान में तन, मन, धन से योगदान देना चाहिए। नशा के प्रयोग पर रोक लगाने के लिए जागरूकता पैदा करनी आवश्यक है। यह सुनिश्चित करना होगा कि इलाके में न कोई अपना न कोई अन्य व्यक्ति नशा ला सके, न उसे बेच सके और न ही उसका प्रयोग कर सके।-प्रो. मोहिन्द्र सिंह 
 


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