म्यांमार के सैनिकों द्वारा दुष्कर्म की शिकार रोहिंग्या मुस्लिम महिलाओं की दुख भरी आपबीती

Friday, Dec 15, 2017 - 04:06 AM (IST)

यह तो ज्ञात नहीं कि हाल ही के महीनों में म्यांमार के सैनिकों ने रोहिंग्या समुदाय की कितनी महिलाओं और लड़कियों से दुष्कर्म किया है लेकिन रोङ्क्षहग्या शरणार्थियों को सहायता पहुंचा रहे एन.जी.ओ. कार्यकत्र्ताओं को आशंका है कि इस भयावह कुकृत्य के बारे में बहुत ही थोड़ी-सी औरतों ने बोलने की हिम्मत की है। 

एक समाचार एजैंसी द्वारा की गई जांच-पड़ताल से यह खुलासा हुआ है कि महिलाओं और किशोरवय लड़कियों के साथ म्यांमार के सुरक्षा बलों द्वारा दुष्कर्म बहुत विधिपूर्वक और व्यापक था। इस उत्पीडऩ में जो महिलाएं जिंदा बची हैं वे बहुत ही डरावने अनुभव बयां करती हैं, जैसे कि सामूहिक दुष्कर्म इतने अमानवीय थे कि गर्भवती महिलाओं का गर्भपात हो गया। म्यांमार के सैनिकों ने 13 वर्षीय लड़कियों से भी बंदूक की नोक पर दुष्कर्म किया। इस पाश्वकिता में जिंदा बची महिलाओं की आयु 13 से 35 वर्ष के बीच है और वे बंगलादेश में अनेक शिविरों में रह रही हैं। वे सभी म्यांमार के रखीण प्रांत के विभिन्न गांवों से संबंधित हैं। उन्होंने बताया कि उनके साथ यह व्यवहार अक्तूबर 2016 और सितम्बर 2017 के बीच की अवधि में हुआ था। 

सभी पीड़िताओं की आपबीती बदहवासी की हद तक एक जैसी है। लगभग सभी ने यह बताया कि उन पर हमला करने वाले लोग वर्दीधारी थे। इन साक्ष्यों से संयुक्त राष्ट्र के इस दावे को और भी बल मिला है कि म्यांमार की सशस्त्र सेनाएं रोहिंग्या समुदाय का पूर्ण संहार करने के उद्देश्य से दुष्कर्म को बहुत सोची-समझी योजना के तहत आतंक फैलाने के हथियार के रूप में प्रयुक्त करती हैं। म्यांमार की सेना को इस संबंध में बहुत से लोगों और संस्थाओं ने सवाल पूछे हैं लेकिन उसने किसी भी सवाल पर टिप्पणी नहीं की लेकिन इस सेना द्वारा पिछले महीने करवाई गई आंतरिक जांच से यह निष्कर्ष निकला था कि ऐसा कोई हमला हुआ ही नहीं।

जब सितम्बर में रखीण प्रांत की सरकार द्वारा आयोजित यात्रा के दौरान पत्रकारों ने दुष्कर्म के आरोपों के संबंध में सवाल पूछे तो सीमांत मामलों के रखीण प्रांत के मंत्री फोनचिंटो ने उत्तर दिया: ‘‘ये महिलाएं दावा कर रही हैं कि उनके साथ दुष्कर्म किया गया है, जरा इनकी शक्ल-सूरत तो देखो। क्या ये इतनी खूबसूरत हैं कि कोई दुष्कर्म की मंशा से इनकी ओर आकर्षित हो?’’ 

फिर भी डाक्टरों और सहायता संगठन के कार्यकत्र्ताओं का कहना है कि दुष्कर्मों की इतनी भारी संख्या से वे खुद सकते में हैं और उन्हें संदेह है कि वास्तविक पीड़िताओं का एक बहुत छोटा-सा प्रतिशत ही सामने आकर अपनी व्यथा बयां कर रहा है। ‘मैडीसिन सैन्ज फ्रंटियर्ज’ ने अगस्त से लेकर अब तक यौन हिंसा में जीवित बची 113 महिलाओं का इलाज किया है। जिनमें से एक तिहाई की आयु 18 वर्ष से भी कम है, जबकि सबसे छोटी आयु की पीड़िता 9 वर्ष की है। एक-एक पीड़िता ने साक्षात्कार में बताया कि उन पर हमला पुरुषों के समूह द्वारा किया गया था जो अक्सर दुष्कर्म के साथ-साथ यातना के अन्य भी जघन्य तरीके अपनाते थे। 

बेशक इन हमलों का पैमाना पहले की तुलना में काफी बड़ा है। तो भी म्यांमार की सुरक्षा सेनाओं द्वारा यौन ङ्क्षहसा का प्रयोग कोई नई बात नहीं। म्यांमार की सिविलयन नेता बनने से पूर्व आंग सान सू की खुद कहा करती थीं कि म्यांमार की शस्त्र सेनाएं नस्ली अल्पसंख्यक लोगों को भयभीत करने के लिए दुष्कर्म को हथियार के रूप में प्रयुक्त करती हैं। इसके बावजूद सू की की सरकार न केवल दुष्कर्म की हाल ही की घटनाओं की निंदा करने में विफल रही है बल्कि इसने जुल्मो-सितम की कहानियों को झूठ का पुलिंदा करार दिया है। दिसम्बर 2016 में म्यांमार सरकार ने एक प्रैस विज्ञप्ति जारी करके रोहिंग्या मुस्लिम महिलाओं पर यौन हमले होने की बात को चुनौती दी थी। इस प्रैस विज्ञप्ति के साथ एक तस्वीर दी गई थी जिसके नीचे कैप्शन थी : ‘‘जाली दुष्कर्म।’’

फातिमा (काल्पनिक नाम) अपने घर में हमलावरों के घुसने के तीन महीने से भी अधिक समय बाद एक पड़ोसी दम्पति के साथ रह रही थी जिनका एक 5 वर्षीय बेटा था। वह उस समय लगभग 3 माह की गर्भवती थी जिससे यह स्पष्ट था कि उसकी कोख में पल रहा बच्चा उन्हीं हमलावरों में से एक का हो सकता है। वह केवल यह दुआ ही कर सकती थी कि इससे अधिक बुरा दिन उसे न देखना पड़े। तभी सितम्बर के मध्य में एक रात हमलावर फिर से आ धमके। अबकी बार उनकी संख्या 5 थी। वे दरवाजा तोड़कर अंदर घुसे। फातिमा ने बताया कि उन्होंने बच्चे का गला काट दिया और उसके पिता की हत्या कर दी और फिर उन्होंने उसकी मां और उसे (फातिमा को) दबोच लिया और फिर से वही खौफनाक कुकृत्य दोहराया जाने लगा। उन्होंने दोनों महिलाओं को निर्वस्त्र कर फर्श पर गिरा दिया। फातिमा की पड़ोसन ने उनसे हाथापाई की तो उन्होंने उसे इतनी बुरी तरह पीटा कि उसकी चमड़ी उधड़ गई।

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