रुमेटाइड आर्थराइटिस : इलाज संभव है?
punjabkesari.in Monday, Jan 08, 2024 - 05:54 AM (IST)

सोशल मीडिया के दुरुपयोग के मामले अक्सर सामने आते रहते हैं। पिछले 3 वर्षों से फेसबुक पर एक विज्ञापन चल रहा है जिसमें दावा किया जाता है कि चॢचत पत्रकार विनीत नारायण के घुटनों के दर्द का सफल इलाज। विज्ञापन देने वाले ने मेरे घुटनों के दर्द की कहानी बता कर अपनी दवा और इलाज का प्रमोशन किया है। मैं कितना चॢचत हूं या गुमनाम हूं यह विषय नहीं है। पर इस हिंदी विज्ञापन के कारण आए दिन हिंदी भाषी राज्यों के मेरे परिचितों के फोन मुझे आते रहते हैं जो यह जानना चाहते हैं कि क्या वाकई इस इलाज से मेरे घुटने ठीक हो गए?
मेरा जवाब सुन कर उन्हें लगता है क्योंकि वे इस विज्ञापन पर यकीन कर बैठे थे और कुछ ने तो इलाज भी शुरू कर दिया था। मेरा उनको जवाब होता है कि मैं खुद हैरान हूं इस विज्ञापन से। क्योंकि मैंने ऐसे किसी व्यक्ति से अपना इलाज कभी नहीं कराया। ये नितांत झूठा विज्ञापन है। अगर मुझे उस व्यक्ति का पता मिल जाए तो मैं उसके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई अवश्य करूंगा। यह सही है कि पिछले 3 वर्षों से मुझे घुटनों में दर्द की शिकायत है। जो कभी बढ़ जाता है तो कभी गायब हो जाता है। इस बीमारी का नाम है ‘रुमेटाइड आर्थराइटिस’ जिसे आयुर्वेद में आमवात रोग कहते हैं। यह एक किस्म का गठिया रोग है।
यह क्यों, किसे और कब होता है इसका कोई स्पष्ट कारण पता नहीं है। पर चिंता की बात यह है कि ये काफी लोगों को होने लगा है। यहां तक कि किशोरों में भी अब यह रोग काफी पाया जाने लगा है। इसमें अक्सर जोड़ों में सूजन आ जाती है। जो 2 दिन से लेकर 10 दिन तक चलती है और भयंकर पीड़ा देती है। रात में यह दर्द और बढ़ जाता है। कभी-कभी सारी रात जाग कर काटनी पड़ती है। मरता क्या न करता। इस रोग के शिकार दर-दर भटकते हैं। अगर आप यू-ट्यूब पर जाएं तो रुमेटाइड आर्थराइटिस का इलाज बताने वाले दर्जनों शो मिल जाएंगे, जो प्राकृतिक चिकित्सा, होम्योपैथी, आयुर्वेद और एलोपैथी में इसका अचूक इलाज होने का दावा करते हैं।
इसलिए 3 वर्ष पहले जब मुझे पहली बार इस रोग ने हमला किया तो मैं भाग कर वृंदावन के मशहूर होम्योपैथिक डाक्टर प्रमोद कुमार सिंह को दिखाने हवाई जहाज से पूना गया क्योंकि उन दिनों वे निजी कारणों से पूना में थे। उन्होंने एक घंटे मुझ से सवाल-जवाब किए और एक पुडिय़ा होम्योपैथी की मीठी गोलियां दीं। जिसको खाने के 24 घंटों में मेरी सारी सूजन और दर्द चला गया। मैंने बड़ी श्रद्धा और विश्वास से 6 महीने उनसे इलाज करवाया। हां उनके बताए 2 काम मैं नहीं कर सका। एक तो नियमित प्राणायाम करना और दूसरा एक घंटे रोज धूप में बैठना।
इन 6 महीनों में स्थिति काफी नियंत्रण में रही। लेकिन फिर भी कभी-कभी जोड़ों की सूजन बढ़ जाती थी। तो मैंने आयुर्वेद का इलाज कराने का निश्चय किया। आयुर्वेद का इलाज कराने मैं जयपुर जा पहुंचा। वहां आयुर्वैदिक मैडीकल कालेज के प्राचार्य रहे महेश शर्मा ने मेरा इलाज शुरू किया। 6 महीने तक मैंने उनकी सभी दवाएं नियम से लीं। साथ ही उनके बताए परहेज भी काफी निष्ठा से किए। जिसका मतलब था कि खाने में गेहूं, चावल, मैदा, चीनी और दूध के पदार्थों का निषेध और दालों में केवल मूंग और मसूर की दाल। डॉक्टर साहब ने यह बताया कि, आम वात रोग राख में दबी चिंगारी की तरह होता है, आप जरा-सी लापरवाही करेंगे तो फिर बढ़ जाएगा। उसके बाद मैं काफी समय तक ठीक रहा। परंतु शाकाहारी होते हुए कई बार खान-पान का अनुशासन तोड़ देता था। परिणाम वही हुआ जो उन्होंने कहा था। बीमारी फिर बढ़ गई।
मेरे परिवेश में जितने भी लोग हैं वे मेरी मान्यताओं से इत्तेफाक नहीं रखते। उनका कहना है कि आज के युग में जब हवा-पानी, खान-पान सब अशुद्ध हैं और खाद्य पदार्थों पर कीटनाशक दवाओं और रासायनिक उर्वरकों का भारी दुष्प्रभाव है तो होम्योपैथी, आयुर्वेद या प्राकृतिक चिकित्सा के कड़े नियमों का पालन करना लगभग असंभव है। इन पद्धतियों में कोई कमी नहीं है। किंतु हमारी परिस्थिति, दिनचर्या और खान-पान हमें इनके नियमों का पालन नहीं करने देते। इसलिए इनका पूरा व सही लाभ नहीं मिल पाता। इन सब मित्रों और परिवारजनों का आग्रह था कि मैं एलोपैथी डाक्टर से इलाज करवाऊं, तो मैंने दिल्ली के ‘इंडियन स्पाइनल इंजरीज अस्पताल’ के मशहूर डाक्टर संजीव कपूर को दिखाया। जिन्हें मैं 2 बरस पहले दिखा चुका था, पर इलाज नहीं किया था। यह उन्हें याद था। वे बोले, आप देश के प्रबुद्ध व्यक्ति हैं।
आपके विचारों और लेखों का आमजन पर प्रभाव पड़ता है। फिर आप हमारी पद्धति पर शक क्यों करते हैं? हमारे पास दुनिया का सर्वश्रेष्ठ इलाज है और रुमेटाइड आर्थराइटिस की हर अवस्था का हम इलाज कर सकते हैं। आप आश्वस्त रहिए हम आपका कष्ट दूर कर देंगे। अब मैंने उनका इलाज शुरू कर दिया है। उम्मीद है उनका दावा सही निकलेगा और मैं शेष जीवन इस कष्ट के बिना जी पाऊंगा जो मेरी भाग-दौड़ की सामाजिक जिंदगी के लिए बहुत जरूरी है।-विनीत नारायण