महिलाओं के रास्ते की बाधाएं हटाएं ताकि वे और ऊंची उड़ान भर सकें
punjabkesari.in Tuesday, Mar 08, 2022 - 04:56 AM (IST)

वैसे तो 8 मार्च का दिन ‘विश्व महिला दिवस’ के रूप में मनाया जाता है, परंतु मार्च के पूरे महीने को इस बार ‘वुमन हिस्ट्री मंथ’ (महिला इतिहास मास) के रूप में मनाया जा रहा है।
इन दिनों अमरीका के वाशिंगटन डी.सी. में स्थित ‘स्मिथसोनियन म्यूजियम’ ने विज्ञान के क्षेत्र में महान योगदान देने वाली महिलाओं पर एक प्रदर्शनी आयोजित की है जिनमें उनकी संतरी रंग की बनाई हुई प्रतिमाएं प्रदर्शित की जा रही हैं और उनके साथ लगे ‘क्यू.आर.कोड’ स्कैन करने पर किसी भी व्यक्ति के मोबाइल फोन में उनके बारे में सारी जानकारी आ जाती है।
महिलाओं को प्रेरित करने के लिए म्यूजियम की यह प्रदर्शनी अमरीका में विभिन्न स्थानों पर लगाने की योजना है ताकि लोग भी जान सकें कि विज्ञान के क्षेत्र में मैरी क्यूरी जैसी महिलाओं ने ही महान कार्य नहीं किए, बल्कि अन्य अनेक महिलाओं ने इस क्षेत्र में अपना योगदान दिया है। भारत में भी अन्य क्षेत्रों के साथ-साथ विज्ञान के क्षेत्र में भी महिलाओं ने अभूतपूर्व कार्य किए हैं। दुनिया में भारत का नाम चमकाने वाले ‘चंद्रयान-2’ अभियान की सफलता में भी महिलाओं का योगदान उल्लेखनीय रहा।
‘रॉकेट वुमन ऑफ इंडिया’ के नाम से मशहूर रितु करिधल को इस मिशन की डायरैक्टर बनाया गया था जो इससे पहले ‘मार्स आर्बिटर मिशन’ में डिप्टी ऑप्रेशंस डायरैक्टर रह चुकी हैं। ‘चंद्रयान-2’ अभियान में उनके साथ मुथैया वनीता को प्रोजैक्ट डायरैक्टर बनाया गया था। वैसे यह कोई पहला मौका नहीं था, जब इसरो में महिला वैज्ञानिकों को इतनी बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई हो। इससे पहले ‘मंगल मिशन’ में भी 8 महिला वैज्ञानिकों को प्रमुख भूमिका में रखा गया था।
टेसी थॉमस को भारत की ‘मिसाइल वुमन’ के नाम से जाना जाता है, जो वैमानिकी प्रणालियों की महानिदेशक और रक्षा अनुसंधान तथा विकास संगठन में ‘अग्नि-4’ मिसाइल की पूर्व परियोजना निदेशक तथा भारत में एक मिसाइल परियोजना का नेतृत्व करने वाली पहली महिला वैज्ञानिक हैं। विज्ञान के क्षेत्र में बढिय़ा काम करने वाली कुछ प्रमुख भारतीय महिलाओं में रसायन वैज्ञानिक दर्शन रंगनाथन (यूरिया चक्र और प्रोटीन संरचना पर कई शोध), आसिमा चटर्जी (मलेरिया प्रतिरोधक दवाओं पर शोध), डा. कादम्बिनी गांगुली, जानकी अम्माल (वनस्पति विज्ञान में डाक्टरेट की डिग्री हासिल करने वाली पहली महिला), अन्ना मणि (मशहूर मौसम वैज्ञानिक), रमन परिमाला (गणित), राजेश्वरी चटर्जी (कर्नाटक की पहली महिला इंजीनियर), बिभा चौधरी (कलकत्ता विश्वविद्यालय से भौतिक विज्ञान में एम.एस.सी. करने वाली पहली महिला) शामिल हैं।
नारी शक्ति का एक उदाहरण इन दिनों जारी यूक्रेन संकट के दौरान वहां फंसे भारतीय छात्र-छात्राओं को स्वदेश लाने के अभियान में शामिल दिशा मन्नूर ने भी पेश किया है। विमान सेवा ‘एयर इंडिया’ में पायलट दिशा मन्नूर उन पांच पायलटों में से एक थी जिन्हें नई दिल्ली से कीव जाने वाली एयर इंडिया की उड़ान संख्या ए.आई. 1947 का संचालन करने के लिए चुना गया और वह वहां से 2042 भारतीयों को लेकर आई।
कर्नाटक के रहने वाले पायलट आदित्य मन्नूर से 2015 में विवाहित दिशा मन्नूर उर्फ गीता मूलत: भुज (गुजरात) की रहने वाली है। इससे पहले कोविड महामारी के दौरान भी वह कई बार मैडीकल आक्सीजन लाने के लिए हांगकांग, पैरिस और सिंगापुर तथा दवाएं लाने के लिए विमान लेकर अमरीका जा चुकी है। दिशा का कहना है कि फंसे हुए छात्रों को यूक्रेन से लाने के लिए चुनी जाने पर उसने स्वयं को अत्यन्त गौरवान्वित महसूस किया, क्योंकि अन्य विमान तो बुखारेस्ट तथा बुडापेस्ट में उतारे जा रहे थे जबकि उसे अपना विमान यूक्रेन ले जाने का मौका मिला।
दिशा की सास पद्मजा मन्नूर का कहना है कि वह तो कुछ डरी हुई थीं परन्तु दिशा ने कहा ‘‘यह मेरा कत्र्तव्य है और चिन्ता करने की कोई जरूरत नहीं।’’ अब इस कार्य के लिए दिशा की भारी प्रशंसा हो रही है। चूंकि, आज भी भारत में उच्च योग्यता वाले तकनीकी क्षेत्रों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व उतना नहीं है जितना होना चाहिए, अत: अब समय आ गया है कि अधिक से अधिक महिलाएं विज्ञान, चिकित्सा तथा अन्य तकनीकी क्षेत्रों में भी आगे आएं और वे केवल महिलाओं के लिए उचित समझीे जाने वाली नौकरियों तक सीमित न रहें। बेशक हर काम अच्छा होता है परंतु महिलाओं को विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में और सक्रिय रूप से हिस्सा लेकर उच्च पदों पर पहुंचना चाहिए।
कई भारतीय महिलाओं ने मैनेजमैंट के क्षेत्र में भी अच्छा काम किया है और कई कम्पनियों में उच्च पदों पर वे काम भी कर रही हैं लेकिन जरूरी है कि उनके रास्ते की बाधाएं हटा कर विज्ञान के क्षेत्र में उन्हें आगे बढऩे के लिए और मौके दिए जाएं। कोरोना के दौरान कई कम्पनियों ने महिलाओं को भर्ती करना कम कर दिया है। इस ओर भी ध्यान देना जरूरी है। इस मौके पर केवल ‘महिला दिवस’ की शुभकामनाएं भेजते हुए या कहते हुए ही दिन की समाप्ति न करें बल्कि कोशिश करें कि महिलाओं को हर बराबरी का अवसर प्रदान किया जा सके क्योंकि यही परिवार की ओर से उनके प्रति सर्वश्रेष्ठ योगदान होगा।