अनुच्छेद 370 हटाने का असर, नहीं होगी राजनयिकों की वार्षिक कॉन्फ्रैंस

Tuesday, Sep 10, 2019 - 03:36 AM (IST)

मोदी सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को हटाए जाने का असर काफी तीव्रता से विदेश मंत्रालय द्वारा भी महसूस किया जा रहा है। इस फैसले के बाद भारतीय राजनयिक पूरी दुनिया में लगातार कूटनीतिक मोर्चे पर व्यस्त हैं और इसके चलते मंत्रालय ने कथित तौर पर गुजरात में अगले सप्ताह आयोजित होने वाली मिशन के प्रमुखों की अपनी वार्षिक कॉन्फ्रैंस को भी रद्द कर दिया है। 

बैठक को रद्द करने का निर्णय कथित तौर पर अनुच्छेद 370 हटाने के बाद कुछ हफ्ते के लिए लिया गया है। तब से एम.ई.ए. के राजनयिक  पूरी तरह से व्यस्त हैं और इस धारा को हटाए जाने के कारण पूरी दुनिया को समझा रहे हैं। लगभग सभी राजदूत और उच्चायुक्त वर्तमान समय में इस मुद्दे पर विभिन्न द्विपक्षीय और बहुपक्षीय मंचों पर एक गहन कूटनीतिक संपर्क कार्यक्रम में शामिल हैं। साथ ही, यह भी कहा गया है कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जो इस कॉन्फ्रैंस का उद्घाटन करने वाले थे, उस समय किसी यात्रा पर होंगे। यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि कॉन्फ्रैंस को बाद की तारीख के लिए पुनर्निर्धारित किया जाएगा या पूरी तरह से रद्द कर दिया गया है। 

सचिवों के कार्यकाल के बारे में गहराता रहस्य
नए कैबिनेट सचिव, रक्षा सचिव, रक्षा उत्पादन सचिव और लोकपाल सचिव की हालिया उच्च स्तरीय नियुक्तियों ने सत्ता के गलियारों में अटकलों को विराम दे दिया है। इस संबंध में जारी नई अधिसूचना में नए कैबिनेट सचिव के रूप में 1982 बैच के आई.ए.एस. अधिकारी और गृह सचिव राजीव गाबा की नियुक्ति के बारे में दो साल के कार्यकाल का उल्लेख है लेकिन रक्षा सचिव, रक्षा उत्पादन सचिव और लोकपाल के सचिवों की नियुक्तियों के कार्यकाल पर कुछ नहीं कहा गया है। बाबुओं पर नजर रखने वाले सोच रहे हैं कि क्या इसमें कोई महत्वपूर्ण अंतर है? गाबा की नियुक्ति के बारे में जानकारों का कहना है, ऐसी उम्मीद की गई थी और इसे कुछ लोगों द्वारा अनुच्छेद 370 पर सरकार की योजनाओं को अच्छी तरह से लागू करने के लिए एक पुरस्कार के रूप में देखा जा रहा है। 

नए रक्षा सचिव अजय कुमार की नियुक्ति उनके पूर्ववर्ती की तर्ज पर लगती है। संजय मित्रा को भी रक्षा सचिव के रूप में एक निश्चित दो साल का कार्यकाल दिया गया था लेकिन इसने सेवानिवृत्ति-कार्यकाल के अंतराल के मामले में उनकी बहुत मदद नहीं की। हालांकि कुमार अक्तूबर 2022 में सेवानिवृत्त होने वाले हैं। बाबुओं को आश्चर्य है कि क्या वह तीन साल से अधिक समय तक रक्षा सचिव बने रहेंगे, जब तक उनकी सेवानिवृत्ति नहीं हो जाती? इन अधिकारियों के कार्यकाल को परिभाषित नहीं करके सरकार ने अटकलों को जगह दे दी है। सुभाष चंद्रा जो रक्षा उत्पादन विभाग के नए सचिव हैं, सेवानिवृत्ति से सिर्फ चार महीने दूर हैं। यहां भी बाबुओं को आश्चर्य हो रहा है कि क्या सरकार उन्हें दिसम्बर 2019 के बाद फिर से नियुक्ति के आधार पर रखेगी? 

जब सजा के तौर पर हुआ तबादला
दक्षिणी रेलवे के चीफ मैकेनिकल इंजीनियर शुभ्रांशु का बिहार में अचानक और बिना किसी कारण के स्थानांतरण संभवत: प्रशासनिक मुद्दे पर बाबू का स्वतंत्र रूप से कार्य करने के लिए अपने वरिष्ठों से नाराजगी मोल लेने का परिणाम अधिक लग रहा है। स्थानांतरण से पहले शुभ्रांशु की भारत की पहली सैमी-हाई-स्पीड ‘ट्रेन 18’ के डिजाइन और विकास के लिए सराहना की गई थी, जिसे बाद में वंदे भारत एक्सप्रैस के तौर पर शुरू किया गया है, लेकिन जब उन्होंने फंड्स की कमी के कारण कई ट्रेनों में ऑनबोर्ड हाऊसकीपिंग सेवाओं को निलंबित करने का आदेश दिया तो इसे अच्छा कदम नहीं माना गया। 

सूत्रों का कहना है कि हालांकि रेल ठेकेदारों को भुगतान करने के लिए धन की कमी को उजागर करते हुए रेल मंत्रालय ने कुछ धनराशि तुरंत जारी करने के लिए जोर लगाया लेकिन नकारात्मक प्रचार बाबू के खिलाफ गया। दिलचस्प बात यह है कि शुभ्रांशु के इस रुख का समर्थन दक्षिण रेलवे महाप्रबंधक राहुल जैन ने भी किया जिन्होंने न केवल मंत्रालय को एक एस.ओ.एस. भेजा, बल्कि यह भी चेतावनी दी कि यदि पर्याप्त धनराशि आबंटित नहीं की गई तो यात्री सुविधाओं को वापस लेना पड़ सकता है। पर्यवेक्षक यह भी बताते हैं कि फंड्स और शुभ्रांशु का स्थानांतरण आदेश लगभग साथ-साथ ही आए हैं।-दिलीप चेरियन
 

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