कश्मीर में नार्को-आतंकवाद पर धर्म गुरु चुप
punjabkesari.in Friday, Sep 02, 2022 - 07:17 AM (IST)

भारत के खिलाफ अपने छद्म युद्ध में पाकिस्तान द्वारा नार्को आतंकवाद को एक नए हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। कश्मीर घाटी में पिछले 5 वर्षों में हैरोइन के दुरुपयोग में 2000 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। जम्मू-कश्मीर के पुलिस प्रमुख दिलबाग सिंह ने पाकिस्तान समर्थित आतंकी गतिविधियों के लिए सीधे तौर पर युवाओं को निशाना बनाने और वित्त पोषण करने वाले खतरे का जिक्र करते हुए पाकिस्तान से नार्को-आतंकवाद को ‘सबसे बड़ी चुनौती’ करार दिया है। मजबूत सुरक्षा घेरे और विभिन्न सुरक्षा एजैंसियों के बीच बढ़ते समन्वय ने आतंकवाद की गतिविधियों के पैमाने को प्रभावी रूप से कम कर दिया है। हालांकि नशीली दवाओं के खतरे पर अंकुश लगाना मुश्किल है क्योंकि पाकिस्तान ने अब ड्रोन की मदद से कश्मीर में बड़ी मात्रा में नशीले पदार्थों की घुसपैठ का सहारा लिया है।
कश्मीरी पंडितों और मुसलमानों के सदियों पुराने सांस्कृतिक और धार्मिक रिश्तों ने कश्मीरी समाज के सामाजिक-सांस्कृतिक ताने-बाने को आकार दिया। इस अद्वितीय सामाजिक-धार्मिक संगम ने विशिष्ट समकालिक भक्तिपूर्ण और दार्शनिक कश्मीरी जीवनशैली को जन्म दिया। इसने एक अनौपचारिक सामाजिक नियंत्रण प्रणाली बनाई जिसने एक प्रमुख भूमिका निभाई और व्यक्तियों पर बहुत बड़ा नियंत्रण रखा। हालांकि 1989 के बाद से सीमा पार से कट्टरपंथ, आतंकवाद और संघर्ष के बढ़ते प्रभाव ने जीवन के इस समग्र तरीके को नष्ट कर दिया है।
सामाजिक ताने-बाने को तोड़ दिया और सदियों पुरानी व्यवस्था को कमजोर कर दिया है। इसके अलावा अलगाववादियों और उग्रवादियों द्वारा बार-बार की जाने वाली हड़तालों, सुरक्षा एजैंसियों द्वारा लगाए गए लम्बे समय तक के कफ्र्यू और अंतहीन संघर्ष ने चिंता, अवसाद, ऊब और मनोवैज्ञानिक तनाव को बढ़ा दिया है। इसके अलावा मनोरंजक गतिविधियों की लगभग पूर्ण कमी ने घाटी के प्रभावशाली युवा दिमागों को नशे की लत के खतरों की ओर आकर्षित किया है। घाटी क्षेत्र के सभी सामाजिक-आर्थिक वर्गों में मादक पदार्थों की लत में खतरनाक वृद्धि देखी गई है। हर घंटे एक नया नशा करने वाला कश्मीर के नशामुक्त केंद्र में लगातार प्रवेश करता है। श्रीनगर के गवर्नमैंट मैडीकल कालेज के ओरल सब्स्टीच्यूशन थैरेपी सैंटर ने 2016 में केवल 489 मामले दर्ज किए लेकिन 2021 में यह आंकड़ा 10,000 को पार कर गया।
कश्मीर घाटी के श्रीनगर और अनंतनाग जिलों में प्रतिदिन 3.7 करोड़ रुपए से अधिक नशीले पदार्थों पर खर्च कर दिए जाते हैं। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय तथा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान द्वारा 2019 में किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार कुल जनसंख्या का 4.5 प्रतिशत से अधिक लोग ड्रग्स का उपयोग करते हैं। हाल ही में पाकिस्तान ने संघर्ष को जीवित रखने और घाटी के सामाजिक ताने-बाने के मूल को फाडऩे के लिए ड्रग्स के साथ-साथ हथियार भेजने की दोहरी राजनीति का इस्तेमाल भी किया है। पाकिस्तान से तस्करी की गई हैरोइन पूरे कश्मीर में सबसे अधिक इस्तेमाल हुई।
नशीले पदार्थों की सीमा पार तस्करी वित्त के माध्यम से आतंकवाद को ऑक्सीजन प्रदान करती है। यदि जल्द ही इस पर अंकुश नहीं लगाया गया तो यह घाटी के युवाओं के जीवन को बर्बाद कर सकता है। सुरक्षाबलों द्वारा बढ़ी हुई निगरानी के अलावा, जम्मू और कश्मीर सरकार ने श्रीनगर और जम्मू में 2 बड़ी सुविधाओं सहित 10 नशामुक्त केंद्रों की स्थापना करके नशीली दवाओं के दुरुपयोग में अभूतपूर्व वृद्धि का जवाब दिया है। प्रशासन और सुरक्षा एजैंसी जागरूकता फैलाने के लिए सैमीनार, कार्यशालाएं और सार्वजनिक व्याख्यान को भी आयोजित करती हैं। लेकिन हैरानी की बात यह है कि इस भयानक स्थिति पर धर्म गुरुओं की पूरी चुप्पी ने यह खुलासा कर दिया है कि कैसे देश की अनूठी अनौपचारिक सामाजिक नियंत्रण प्रणाली को पंगु बना दिया गया है।-आयाज वानी