अदालतों से राहत, क्या इमरान बनेंगे नई ताकत

punjabkesari.in Saturday, May 13, 2023 - 04:35 AM (IST)

क्या पाकिस्तान फिर एक बार टुकड़े होने की कगार पर है? क्या इमरान खान नए टुकड़े हुए पाकिस्तान के मसीहा बनेंगे? ये वो सवाल हैं जो भले ही भविष्य की गर्त में छिपे हों लेकिन कयास यही लगाए जा रहे हैं। वहीं इमरान खान जो फौज की आंखों का तारा बन प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे, लेकिन अपनी अलग छाप छोडऩे और काम के तौर-तरीकों से उसी की आंखों की किरकिरी बन गए। पहली बार अविश्वास प्रस्ताव के जरिए हटने वाले प्रधानमंत्री भी बने, लेकिन उन्होंने देश नहीं छोड़ा बल्कि नया आन्दोलन खड़ा कर दिया। पूरी दुनिया ने देखा कि किस तरह से इस्लामाबाद हाईकोर्ट में बायोमैट्रिक मशीन में अपनी हाजिरी लगाते समय इमरान खान को पाकिस्तानी रेंजर्स ने कांच तोड़ कालर पकड़ कर घसीटते हुए फौज की गाड़ी में डाल दिया। 

इससे भी बड़ा यह कि गिरफ्तारी के 50 घण्टे के अन्दर ही पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने इसे अवैध बताते हुए तुरंत सशर्त रिहाई के निर्देश देकर हीरो होने का ठप्पा लगा दिया। कई पाकिस्तानी जिम्मेदारों ने जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ उंगली उठाई वो बताता है कि वहां लोकतंत्र कितना मजबूत है? मुख्य न्यायाधीश के नैशनल टी.वी. पर अनाप-शनाप वाले बयान बताते हैं कि अदालतों पर फौज और सरकार का कितना दबाव होगा। यकीनन पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट का फैसला दुनिया भर में अलग-अलग नजरिए से देखा जाएगा लेकिन भारत का चुपचाप रहकर नजर रखना बड़ी बुद्धिमानी है। 

गुरुवार को जब वहां की सुप्रीम कोर्ट ने भ्रष्टाचार निरोधी संस्था को एक घंटे में उन्हें पेश करने का हुक्म दिया, तभी साफ हो चुका था कि रिहाई तय है। सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार की इजाजत के बगैर उनकी गिरफ्तारी को अदालत की अवमानना बताना तथा आत्मसमर्पण के बावजूद ऐसा व्यवहार अदालत को नागवार गुजरा। वहीं शुक्रवार को इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने तोशाखाना मामले में ट्रायल रोक कर बड़ी राहत जरूर दी और इसके थोड़ी देर बाद अल कादिर मामले में दो हफ्ते के लिए और थोड़ी देर बाद सभी 201 मामलों में इमरान को 17 मई तक की जमानत मिल गई। 

हैरानी इस बात की है कि सब कुछ जानते हुए भी पाकिस्तान को गृह युद्ध में झोंकने की रणनीति कौन और क्यों बना रहा है? कैसे सुप्रीम कोर्ट व वहां की सरकार आमने-सामने हैं दुनिया देख रही है। इमरान बनाम पाकिस्तानी हुक्मरान को देख दुनिया में चर्चाएं शुरू हो गई है कि क्या पाकिस्तान के अभी और टुकड़े होंगे? जानकार इसके पीछे पुख्ता वजहें भी बताते हैं जिनमें सबसे बड़ी वजह राजनीतिक व आर्थिक संकट है। जबरदस्त महंगाई, सुरक्षा, पहचान, पर्यावरण व सरकारी तंत्र के गड़बड़ झाले भी बड़ी वजहें हैं। ऐसे में यदि भारत की थोड़ी भी हलचल बढ़ती है तो पाकिस्तान के सामने बड़ी चुनौती होगी क्योंकि यह वह वक्त है जब आधी फौज तालिबान से जूझ रही है तो आधी अंदरूनी हालातों से। पाकिस्तान की सरकार का जो स्वरूप है उससे भी सभी एकमत नहीं क्योंकि कभी फौज की हुकूमत तो कभी टी.टी.पी. की हुकूमत दिखती है। 

आधे पाकिस्तानी चाहते हैं कि उन्हें भारत जैसी उदार और धर्म निरपेक्ष व्यवस्था चाहिए जो मुनासिब नहीं, जबकि आधे शरिया कानून की सख्ती चाहते हैं। प्रकृति ने भी लगातार बाढ़, बारिश, तूफान और भूकंप से पाकिस्तान की कमर तोड़ रखी है। 1958 के बाद जनरल अयूब खान की हुकूमत के दौर में पाकिस्तान ने काफी आर्थिक तरक्की की जो 1965 तक दिखी। तब दक्षिण एशिया के दूसरे मुल्कों के मुकाबले पाकिस्तान 3 गुना तेजी से बढ़ा था। लेकिन 1965 के युद्ध ने उसे पीछे धकेलना शुरू किया जिससे 20 प्रतिशत तक की गिरावट आई। 

1971 के दौर में गलत नीतियों से पाकिस्तान दो टुकड़े हुआ और बंगलादेश बनने के साथ आर्थिक स्थिति बिगड़ती चली गई। इसके बाद जुल्फिकार अली भुट्टो रोटी, कपड़ा और मकान के नारे से सत्ता तक पहुंचे। लेकिन बैंक, बीमा सहित कई उद्योगों के राष्ट्रीयकरण की नीतियों से जबरदस्त नुक्सान हुआ और विदेशी निवेशकों ने हाथ खींच लिया। 1978 में जिया-उल-हक के दौर में आर्थिक तरक्की तो हुई लेकिन विदेशियों के रहमो-करम पर। जाहिर है पाकिस्तान किसका कठपुतली रहा कहने की जरूरत नहीं। 

17 अगस्त 1988 को एक हादसे में उनकी मौत हो गई। इसके बाद विश्व मुद्रा कोष जो अब तक पाकिस्तान को उसकी शर्तों पर मदद कर रहा था अपनी शर्तों पर अड़ गया जिससे वहां की नीतियों में मजबूरन बदलाव हुआ। लेकिन तब तक कर्ज 290 मिलियन डॉलर पार पहुंच गया। जिया-उल-हक के बाद बेनजीर भुट्टो और नवाज शरीफ सत्ता में आए। 1996 तक कर्ज 900 बिलियन डॉलर पार करने के बावजूद आर्थिक स्थिति कई मामलों में भारत से बेहतर रही। इसकी वजह लगभग 20 लाख पाकिस्तानी विदेशों में काम करते थे। 

इधर अब बिगड़ते हालातों के बीच पाकिस्तान को कई बंगलादेश बना देने की धमकियां भी मिलने लगी हैं। वैसे भी चार टुकड़े होने की बातें सुनाई देती हैं जो पख्तूनिस्तान, बलूचिस्तान, सिंध और पंजाब होंगे। राजनीतिक पंडित इसे अच्छा नहीं मानते क्योंकि अभी एक पाकिस्तान कम है जो चार और खड़े हो जाएंगे? जाहिर है अब इमरान अगले बुधवार तक गिरफ्तार नहीं होंगे। क्या वह फिर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में पुलिस की सुरक्षा में रहेंगे या फिर घर वापस जा पाएंगे? देखना है आगे-आगे होता है क्या?-ऋतुपर्ण दवे
 


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