हिमाचल विधानसभा के लिए रिकार्ड मतदान के नतीजे चौंकाने वाले होंगे

Friday, Nov 17, 2017 - 02:20 AM (IST)

हिमाचल प्रदेश विधानसभा के लिए चुनाव सम्पन्न हो चुके हैं। नतीजे 18 दिसम्बर को जगजाहिर होंगे। इसी बीच सभी राजनीतिक दल अपनी जीत के दावे कर रहे हैं। कार्यकत्र्ताओं के स्तर पर फीडबैक भी लिया जा रहा है।

सारे चुनावी अभियान दौरान तथा मतदान करने तक प्रदेश के मतदाताओं ने मौन धारण किए रखा। उनकी मतदान में हिस्सेदारी अब तक के तमाम पहले विधानसभा चुनावों की तुलना में सर्वाधिक रही। महिलाओं ने 68 में से 49 विधानसभा क्षेत्रों में पुरुषों को पछाड़ते हुए 77 प्रतिशत मतदान कर बड़ी बाजी मारी। भारी संख्या में युवाओं ने भी लोकतांत्रिक प्रक्रिया में पहली बार हिस्सा लेकर चुनावी गणित प्रभावित करने में उत्साह दर्शाया। 

चुनाव आयोग द्वारा पिछले कुछ महीनों से राज्य तथा जिला स्तर पर स्वीप कार्यक्रम के तहत भारी उत्साह के साथ जनजागरूकता अभियान चलाकर नए मतदाताओं के पंजीकरण तथा सभी को चुनाव में आगे आकर प्रतिभागिता दर्ज कराने के लिए प्रेरित किया गया, वहीं ए.वी.एम. तथा प्रदेश में पहली बार इस्तेमाल होने वाली वीवीपैट मशीनों के प्रयोग से भी आम मतदाताओं को अवगत करवाया।

परिणामस्वरूप इस बार मतदान प्रतिशतता बढ़ी है। प्रदेश में चुनाव दौरान शांति और व्यवस्था बनाए रखने तथा दूर-दराज के चुनाव बूथों पर पहुंचकर शांतिपूर्ण चुनाव सम्पन्न करवाने में पुलिस तथा अन्य अद्र्धसैनिक बलों के जवानों ने भी बड़ा योगदान दिया। कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा केवल एक दिन के लिए प्रदेश में आकर 3 बड़ी रैलियां करने के अतिरिक्त प्रदेश में कांग्रेस का सारा अभियान वीरभद्र सिंह की ही रहनुमाई में लड़ा गया। 83 वर्षीय बुजुर्ग नेता ने बड़ी हिम्मत और साहस के साथ कड़ी मेहनत करके अपने चुनावी अभियान को चलाया। 

भाजपा के तमाम दिग्गज राष्ट्रीय नेताओं ने प्रदेश में बड़ी-बड़ी रैलियां करके चुनावी माहौल को गर्माए रखा। चुनाव के कुछ ही दिन पूर्व केंद्रीय नेतृत्व को प्रदेश से मिले फीडबैक के आधार पर भाजपा के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता प्रो. प्रेम कुमार धूमल को बतौर मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित करना पड़ा। इससे निश्चित रूप से भाजपा के पक्ष में माहौल बदला। भले ही इस बार भी टक्कर प्रो. प्रेम कुमार धूमल व राजा वीरभद्र सिंह इन दो बड़ी शख्सियतों के मध्य हुई और इन्हीं में से किसी एक के नेतृत्व में नई सरकार का गठन होना तय है। माकपा को भी उम्मीद है कि उनके 2 से 4 विधायक इस बार विधानसभा में प्रवेश पा सकेंगे। कुछेक बागी आजाद उम्मीदवार भी विजय हासिल करके दोनों पार्टियों के सत्ता में आने के दावों का गणित प्रभावित कर सकते हैं। 

इस बार प्रदेश में सभी स्तर के नेताओं द्वारा जिस तरह प्रचार रैलियां और राजनीतिक टिप्पणियां की गईं, हिमाचल प्रदेश के जनमानस ने उन्हें नहीं सराहा है। आम लोगों के मुद्दे या प्रदेश के विकास के लिए एक विजन की बजाय निजी और निचले स्तर के आरोप-प्रत्यारोप से शालीनता तथा सम्मान के संस्कार पसंद करने वाले हिमाचल के मतदाता इनसे आहत हुए हैं। इसी कारण मतदान करने तक उनकी खामोशी ने सभी को नतीजे आने तक अचंभित कर रखा है। इन चुनावों में सरकारी क्षेत्र के स्कूलों व कालेजों से 55 हजार शिक्षकों ने चुनावी प्रक्रियाओं में भाग लेकर सेवाएं दी हैं, लेकिन इनके लगातार शिक्षण संस्थानों से बाहर रहने के कारण प्रदेश के विद्यार्थियों की शिक्षा की बहुत क्षति हुई है। जिसके लिए समय-समय पर इन्हें सरकार का भी कोपभाजन बनना पड़ता है। अब मार्च तक शिक्षक वर्ग के लिए अपने शिक्षण संस्थाओं में अध्ययन-अध्यापन की भरपाई हेतु सरकार को गंभीर चिंता और चिंतन करना चाहिए। 

सबको पता है कि अब चुनावी नतीजे 18 दिसम्बर को आएंगे और तब तक सभी राजनीतिक दल और राजनेता अपनी-अपनी जीत-हार का गणित जुटाने में लगे हैं। इनकी धुक-धुक तब तक जारी रहेगी। हर दल के प्रत्याशियों की संभावना पर भीतरघाती और चापलूस घात लगा सकते हैं। पैसा, शराब बांटकर क्षेत्र में दबंगई आचरण व माफियों के साथ रिश्ता साधने वालों को आम मतदाताओं का कोपभाजन बनना पड़ सकता है। धर्म-सम्प्रदाय, जात-पात तथा क्षेत्रवाद की राजनीति करने वाले प्रत्याशियों की जीत पर भी प्रश्नचिन्ह लग सकता है। कुल मिलाकर प्रदेश में कौन-सा राजनीतिक दल किस बड़े नेता के नेतृत्व में सरकार बनाने में सक्षम होगा, यह केवल नतीजों के बाद ही पता लगेगा।-कंवर हरि सिंह

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