‘असली हिन्दुत्व’ जीत गया, ‘नकली’ हार गया

Tuesday, Dec 19, 2017 - 03:10 AM (IST)

गुजरात चुनाव के परिणाम ने सभी मिथकों, खुशफहमियों, अफवाहों को झूठा साबित कर दिया है और यह प्रमाणित कर दिया कि गुजरात में हिन्दुत्व अभी भी जीवंत राजनीतिक प्रश्न है जिससे गुजरात की जनता अलग नहीं होना चाहती है तथा गोधरा कांड के बाद उपजी हिंदुओं की एकजुटता के सामने राहुल गांधी का कथित हिन्दुवाद दफन हो गया, हार्दिक पटेल का पाटीदारवाद विध्वंस हो गया और अल्पेश ठाकोर-जिग्नेश मेवाणी के भी जातिवाद तहस-नहस हो गए, कोई करिश्मा नहीं कर पाए, ये सब मिलकर भी नरेन्द्र मोदी की राजनीतिक उड़ान पर विराम नहीं लगा सके। 

विपक्ष का अर्थ गुजरात चुनाव में कांग्रेस ही था। कांग्रेस ने मिथक और खुशफहमियां पाल रखी थीं और फैला रखी थीं कि असली और कट्टर हिन्दुत्व को उदार हिन्दुत्व से पराजित किया जा सकता है, गुजरात में भाजपा का हिन्दुत्व का प्रश्न अब शक्तिहीन हो गया है, गुजरात का विकास पागल हो गया है, गुजरात में विकास ही नहीं हुआ है, नरेन्द्र मोदी के विकास के दावे झूठे हैं, जी.एस.टी. ‘गब्बर सिंह टैक्स’ बन गया है, जबकि हार्दिक पटेल और अल्पेश ठाकोर तथा जिग्नेश मेवाणी अपनी-अपनी जातियों की राजनीति से नरेन्द्र मोदी की राजनीतिक उड़ान को रोक लेंगे, उनकी अपनी जाति गुलाम जैसी है जो उनकी उंगलियों पर नाच करेगी और भाजपा के खिलाफ वोट डालकर उनकी किस्मत चमकाएगी। 

कहने की जरूरत नहीं है कि गुजरात की जनता के बीच में हिन्दुत्व अभी जीवंत है व अस्मिता का प्रश्न बना हुआ है और नरेन्द्र मोदी का विश्वास अभी भी गुजराती जनता के सिर पर चढ़कर बोल रहा है। कांग्रेस तो जिंदा रहेगी, गुजरात में विपक्ष की भूमिका में रहेगी, पर हाॢदक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवाणी का अब ग्राफ गिरेगा, इनकी सनसनी जमींदोज होगी, हवा-हवाई हुई इनकी किंग मेकर की छवि अब धमाल मचाएगी नहीं। असली-नकली के संघर्ष में असली जीत गया, नकली हार गया।

राहुल गांधी ने भाजपा के विकल्प में कुछ नए, कुछ अचम्भित करने वाले हथियार तलाशने की जगह भाजपा के राजनीतिक हथियार को ही हाथ में ले लिया। भाजपा का राजनीतिक हथियार है हिन्दुत्व। भाजपा पिछले 22 सालों से गुजरात में हिन्दुत्व के नाम पर सत्ता हासिल करती रही है। इतना ही नहीं बल्कि हिन्दुत्व के प्रश्न पर केन्द्रीय सत्ता भी हासिल की थी। हिन्दुत्व के प्रश्न पर भाजपा को परास्त करना मुश्किल है। राहुल गांधी को सिखा दिया गया कि हिन्दुत्व का चुनावी हथियार उठाकर भाजपा का वध किया जा सकता है। इसी कारण राहुल गांधी मंदिर-मंदिर घूमने लगे। इतना ही नहीं बल्कि वेश-भूषा से मुस्लिम दिखने वालों को कांग्रेस कार्यालयों और कांग्रेस प्रचार से दूर रखा गया।

अप्रत्यक्ष तौर पर ऐसे लोगों को महसूस कराया गया था कि आपके सक्रिय रहने से हिन्दू मत एकजुट हो जाएंगे, ऐसे में भाजपा जीत जाएगी और कांग्रेस एक बार फिर पराजित हो जाएगी। इसी दृष्टिकोण से कांग्रेस ने गुजरात में प्रत्याशी चयन में मुस्लिम वर्ग की उपेक्षा की थी, मुस्लिम वर्ग को अपेक्षित सीटें नहीं मिली थीं। कांग्रेस हिन्दू मतों की प्राप्ति हेतु मुस्लिम तुष्टीकरण के पाप से मुक्ति चाहती थी। क्रिया की विपरीत प्रतिक्रिया होती है। इतिहास कसौटी पर होता है। कांग्रेस का इतिहास भाजपा ने कसौटी पर रख दिया। राहुल गांधी का नकली हिन्दू प्रेम का बाजा तो भाजपा ने कम बजाया पर भाजपा समर्थक सोशल मीडिया ने खूब बजाया, तथ्यों के चाक-चौबंद के साथ बाजा बजाया। गुजरात की बहुसंख्यक जनता का स्वाभिमान राहुल गांधी और कांग्रेस समझ नहीं पाई। गुजरात की जनता इसी में खुश है कि नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं। विकास और उन्नति तो पहले से ही स्पष्ट है। राहुल गांधी ही नहीं पूरे विपक्ष को अब कुछ प्रश्नों पर फिर से विचार करना होगा। 

गुजरात में हर समय सक्रिय रहने वाले और विदेशी पैसों पर पल रहे संगठन चुनाव के समय एकाएक गायब क्यों हो जाते हैं, येे संगठन हिन्दू विरोध में चुनाव के समय भी सक्रिय क्यों नहीं रहते हैं, फिर ऐसे संगठनों को विपक्ष का संरक्षण क्यों मिलता है? साम्प्रदायिकता की एकाकी व्याख्या से बहुंसख्यकों को जब तक निशाना बनाया जाएगा तब तक भाजपा को हराना मुश्किल है। नरेन्द्र मोदी का अतिविरोध भी नुक्सानकुन है। उत्तर प्रदेश, हिमाचल और अब गुजरात में भाजपा की जीत के बाद नोटबंदी और जी.एस.टी. जैसे बखेड़े जमींदोज हो गए हैं, इन पर जनता की स्वीकृति मिल गई है। मोदी का असली हिन्दुत्व जीत गया और कांग्रेस-राहुल गांधी का नकली हिन्दुत्व हार गया।-विष्णु गुप्त

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