दुर्लभ रोग डी.एम.डी. से पीड़ित बच्चों के परिजनों की गुहार

punjabkesari.in Sunday, Mar 19, 2023 - 05:07 AM (IST)

जेनेटिक (अनुवांशिक) दुर्लभ बीमारी ‘ड्यूचेन मस्कुलर डिस्ट्राफी’  (डी.एम.डी) जीन की गड़बड़ी से 5-6 साल की आयु तक पांव की मांसपेशियां कमजोर होने से चलने में दिक्कत होती है। हृदय-फेफड़ों सहित सम्पूर्ण शरीर पर इसके  प्रभाव से अधिकांश बच्चे व्हील चेयर पर पहुंच जाते हैं या इलाज के अभाव में 20-25 वर्ष की आयु तक दुनिया से विदा हो जाते हैं। मैडीकल आंकड़ों के अनुसार भारत में 3500 में एक बच्चा डी.एम.डी के साथ पैदा होता है।

आधुनिक युग में भी कोई इलाज नहीं बन पाना कई सवाल खड़े करता है वहीं उपचार में स्टेरायड की डोज के गंभीर साइड इफैक्ट भी मरीजों में भय उत्पन्न कर रहे हैं। भले ही कुछ विकासशील देशों में  दवाइयों-जीन थैरेपी इलाज से उम्मीद की किरण जगी थी पर करोड़ों का खर्च अधिकांश के वश से बाहर है। इस रोग से  शारीरिक-मानसिक-आर्थिक स्थिति मरीजों को आत्महत्या के रास्ते पर बढ़ा रही है।

इसी वर्ष 26 जनवरी को मध्य प्रदेश के संजीव शर्मा के डी.एम.डी. पीड़ित दोनों बेटों के कारण इलाज की कमी से दुखी परिवार ने सामूहिक आत्महत्या कर ली  थी। इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसे बच्चों के अभिभावकों से अपील है कि ‘‘इन बच्चों को भी जीने का हक है तो दवाइयों-इलाज का प्रबंध करके कीमती जिंदगियों को बचाने में मदद करें।’’

ऐसे बच्चों की ओर ध्यान दिलाने के लिए पंजाब के 1178 मरीजों के परिजनों का प्रतिनिधिमंडल राज्य को-आर्डीनेटरों के सान्निध्य में बच्चों को कंधों पर उठाकर आर-पार की लड़ाई के उद्देश्य से 24-25 मार्च को जंतर-मंतर, नई दिल्ली में मौन धरना देकर ‘दुर्लभ रोग राष्ट्रीय नीति’ के तहत भारत में जीन-थैरेपी, एक्सॉन स्किपिंग ड्रग्स से उपचार सहित वित्त सहायता, मासिक पैंशन, शिक्षा में मदद, रोजगार, आयुष्मान योजना, घर बैठे विकलांग सर्टीफिकेट, यू.डी.आई.डी. कार्ड, टैक्स फ्री दवाइयां, रिसर्च संस्थानों को फंड, सरकारी उपचार समिति में अभिभावक को सम्मिलित करके नई नीतियां बनाने जैसी प्राथमिक सुविधाओं की गुहार लगाएंगे। -अजय कुमार/इंद्रप्रीत कौर, हाऊस नं. 1, रोज एवेन्यू, नजदीक ट्रक यूनियन मालेरकोटला (पंजाब) 98153-53588


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News