समय से आगे चलने वाले नेता थे राजीव गांधी

punjabkesari.in Sunday, Aug 20, 2023 - 04:37 AM (IST)

राजीव गांधी जी ने 1985 में अमरीकी कांग्रेस में कहा था, ‘‘भारत एक पुराना देश है, लेकिन एक युवा राष्ट्र है; और हर जगह के युवाओं की तरह हम भी अधीर हैं। मैं युवा हूं और मेरा भी एक सपना है। मैं एक ऐसे भारत का सपना देखता हूं जो मजबूत, स्वतंत्र व आत्मनिर्भर हो और मानव जाति की सेवा में दुनिया के देशों की अग्रणी पंक्ति में खड़ा हो।’’वर्ष 1944 में आज के ही दिन जन्मे भारत रत्न राजीव गांधी जी देश के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री बने। नियति ने उन्हें बेहद ही कम समय मानवता की सेवा के लिए दिया, मगर अपने छोटे से राजनीतिक जीवन में उनके कार्यों ने भारत को आधुनिक, खुशहाल और एक मजबूत राष्ट्र बनाने में अहम भूमिका निभाई। 

प्रधानमंत्री के रूप में राजीव गांधी ने देश को न केवल प्रगति के पथ पर अग्रसर किया, बल्कि दृढ़ इच्छाशक्ति और दूरदृष्टि के साथ आधुनिक भारत की नींव रखकर उन्होंने देश को 21वीं सदी के लिए तैयार किया। राजीव गांधी भारत की सूचना प्रौद्योगिकी क्रांति और दूरसंचार क्रांति के जनक थे। आज पूरी दुनिया में भारत के लोगों की जो डिजिटल बढ़त दिखाई देती है, वह राजीव जी की ही देन है। सूचना प्रौद्योगिकी के दूरगामी महत्व को समझने से मिली बढ़त का फायदा जहां देश को सामरिक क्षेत्रों में लगातार मिल रहा है, वहीं देशवासियों के लिए मौलिक सुविधाएं बढ़ीं, जीवन आसान हुआ। 

राजीव गांधी के पास प्रौद्योगिकी को भारत के गरीबों और ग्रामीण क्षेत्रों तक ले जाने की दूरदर्शिता थी। उनका मानना था कि भारत 18वीं शताब्दी में हुई औद्योगिक क्रांति का हिस्सा नहीं बन पाया था, जिसका नुक्सान हुआ और हम विकास की दौड़ में पिछड़ गए, पर भारत को अब दुनिया में हो रही कम्प्यूटर क्रांति का हिस्सा बनना ही होगा, नहीं तो देश एक बार फिर पिछड़ जाएगा। 

राजीव गांधी को लोकतंत्र को जमीनी स्तर तक ले जाने के लिए पंचायती राज संस्थाओं की आधारशिला रखने का भी श्रेय जाता है। उनका मानना था कि सरकार में हिस्सेदारी से समाज के हाशिए पर खड़े वर्गों की स्थिति में सुधार आएगा। उन्होंने अपने कार्यकाल में निचले स्तर पर सत्ता के विकेंद्रीकरण का पूरा प्रस्ताव तैयार कराया। हालांकि उनके निधन के एक वर्ष बाद 1992 में ही उनकी सोच साकार हो पाई, जब 73वें और 74वें संविधान संशोधन के जरिए पंचायती राज व्यवस्था का उदय हुआ। इन कानूनों से पंचायतों और नगरपालिकाओं को कानूनी दर्जा तो मिला ही, महिलाओं के लिए इन संस्थाओं में 33 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान भी हुआ। 

समावेशी राजनीतिक विकास की दिशा में ये विधेयक अत्यंत महत्वपूर्ण थे। राजीव गांधी की दूरदर्शी सोच का परिणाम आज देश के सर्वोच्च पद पर आसीन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के रूप में हमारे सामने है, जिन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत ओडिशा के रायरंगपुर से एक पार्षद के तौर पर शुरू की थी, जो सीट आदिवासी महिलाओं के लिए आरक्षित थी। आज भारत के स्थानीय प्रशासन में करीब 15 लाख निर्वाचित महिलाएं नेतृत्व के पदों पर हैं। 

राजीव गांधी कहते थे कि किसान देश की रीढ़ हैं। किसानों की तरक्की किए बिना देश की तरक्की संभव नहीं है। राजीव गांधी ने अपने प्रधानमंत्री काल में कृषि में ज्यादा पूंजी निवेश और उत्पादन बढ़ाने के लिए जल संसाधनों के बेहतर प्रयोग पर जोर दिया।राजीव गांधी खुद युवा थे और युवाओं को सशक्त करना चाहते थे। उन्होंने देश के प्रति युवाओं को और अधिक जिम्मेदार बनाने की पहल की। इसी दिशा में मतदान करने की उम्र को 21 साल से घटाकर 18 साल करने के लिए 1989 में संशोधन विधेयक पारित किया गया। इस कदम से युवाओं को सांसदों, विधायकों व स्थानीय निकायों के जनप्रतिनिधियों को चुनने का अधिकार मिला। 

राजीव गांधी ने शिक्षा क्षेत्र में भी क्रांतिकारी फैसले लिए। देश में उच्च शिक्षा व्यवस्था को आधुनिक बनाने और उनका विस्तार करने के लिए 1986 में उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की घोषणा की। गांवों के बच्चों को उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान करने की सोच के साथ उन्होंने जवाहर नवोदय विद्यालयों की नींव डाली थी। केंद्र सरकार के अधीन आने वाले इन विद्यालयों में सर्वश्रेष्ठ ग्रामीण प्रतिभा को छठी से 12वीं कक्षा तक मुफ्त आवासीय शिक्षा प्रदान की जाती है। मौजूदा समय में लगभग 650 नवोदय विद्यालयों में करीब 3 लाख छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। 

इसके अलावा राजीव गांधी ने कई शांति समझौते किए जिनसे असम, पंजाब, मिजोरम और दार्जिलिंग जैसे अशांत क्षेत्रों में शांति और विकास की गतिविधियां वापस आईं। उन्होंने राजनीति को परे करके जनता द्वारा चुनी  हुई कांग्रेस पार्टी की प्रदेश सरकारों का बलिदान करके देश के बड़े हिस्सों में शांति स्थापित की। लोक अदालतों को कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत वैधानिक दर्जा देकर उन्होंने लोक अदालतों के माध्यम से त्वरित न्याय प्रदान किए जाने को बढ़ावा दिया। उन्होंने गंगा नदी को स्वच्छ बनाने के लिए एक राष्ट्रीय कार्यक्रम की भी शुरूआत की थी। राजीव गांधी एक स्वप्नदृष्टा थे; समय से आगे चलने वाले, नई पीढ़ी के नेता थे। वे आज जीवित होते तो 79 साल के होते। भारत का दुर्भाग्य है कि वह उनकी ऊर्जा, नई सोच और देश को लेकर उनकी महत्वाकांक्षा का अधिक समय के लिए लाभ नहीं उठा सका। 

राजीव गांधी ने जीवनपर्यन्त देशसेवा की और 47 साल की युवा उम्र में देश के दुश्मनों के एक आतंकी हमले में शहीद हो गए। भारतीय संस्कृति में शहीदों का सबसे ज्यादा सम्मान किया जाता है, उन्हें दलगत राजनीति से ऊपर रखा जाता है लेकिन इसके बावजूद जब राजनीतिक द्वेष और कुंठा से ग्रस्त देश के जिम्मेदार पदों पर बैठे कुछ राजनेता उनके बारे में दुष्प्रचार और झूठ फैलाते हैं तो देश को उनके योगदान के बारे में जानने का हक है।-विनीत पुनिया(राष्ट्रीय सचिव, कांग्रेस)


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