भारत-पाक में रेल और बस सेवा बंद दोनों देशों के रिश्तेदारों को होगा नुक्सान

Tuesday, Aug 13, 2019 - 03:06 AM (IST)

भारत सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने की बौखलाहट पर पाकिस्तान सरकार ने न सिर्फ दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों का दर्जा घटा दिया है बल्कि भारत के साथ औपचारिक रूप से व्यापारिक संबंध भी समाप्त कर दिए हैं। यही नहीं पाकिस्तान सरकार ने दोनों देशों के बीच चलने वाली रेलगाडिय़ों ‘समझौता एक्सप्रैस’ और ‘थार एक्सप्रैस’ के अलावा भारत-पाकिस्तान बस सेवा के परिचालन पर भी रोक लगा दी है जबकि इससे पूर्व उसने भारतीय विमानों के लिए अपने नौ वायु मार्गों में से तीन मार्ग बंद कर दिए थे। 

‘समझौता’ तथा ‘थार एक्सप्रैस’ को भारत सरकार द्वारा शताब्दी और राजधानी जैसी रेलगाडिय़ों से भी अधिक महत्व दिया जाता था ताकि ये लेट न होने पाएं। अब उक्त दोनों रेलगाडिय़ों और बस सेवा बंद होने से दोनों देशों के नागरिकों में रोष व्याप्त है क्योंकि दोनों ही देशों में दोनों देशों के लोगों के रिश्तेदार मौजूद हैं और वे उनसे मिलने के लिए इन्हीं दोनों रेलगाडिय़ों और बस से आया-जाया करते थे। इन गाडिय़ों और बस में यात्रा करने वाले दोनों ही देशों के नागरिकों का कहना है कि भारत-पाकिस्तान में तनातनी कोई नई बात नहीं है और दोनों देशों के बीच संबंध चाहे जैसे भी रहें ये दोनों गाडिय़ां और बस सेवा चलती रहनी चाहिए क्योंकि इनका परिचालन बंद होने से दोनों देशों के नागरिकों (रिश्तेदारों) के बीच आपसी संबंधों में दूरी आने लगेगी और एक-दूसरे के यहां विवाह-शादी आदि में आना-जाना कठिन हो जाएगा। 

गत दिवस जोधपुर के ‘भगत की कोठी’ रेलवे स्टेशन पर अंतिम बार पहुंची थार एक्सप्रैस से उतरे यात्रियों का कहना था कि ‘‘दोनों ही देशों के नागरिक शांति चाहते हैं और इन रेल गाडिय़ों को दोनों देशों के बीच तनाव की बलि नहीं चढऩा चाहिए।’’ ‘समझौता’ और ‘थार एक्सप्रैस’ गाडिय़ों तथा बस सेवा के निलंबन को लेकर इनसे यात्रा करने वाले यात्रियों की चिंता उचित है क्योंकि इनके माध्यम से ही दोनों देशों के नागरिक अपने सगे-संबंधियों के साथ जुड़े हुए थे। लिहाजा विवेक से काम लेते हुए पाकिस्तान सरकार को अपने निर्णय पर पुनॢवचार कर इन्हें बहाल करना चाहिए ताकि दोनों ही देशों के नागरिकों के बीच आपसी संबंधों की डोर कमजोर न पड़े।—विजय कुमार 

Advertising