राहुल की यात्रा एक बेहतर कल की ओर
punjabkesari.in Sunday, Jan 29, 2023 - 03:59 AM (IST)

मुझे पता है कि लोगों को यह विश्वास करना कठिन लगता है कि एक राजनीतिक नेता बिना किसी राजनीतिक उद्देश्य के साथ यात्रा (मार्च) शुरू कर सकता है। इतिहास में मार्च के कई उदाहरण हैं : आदि शंकराचार्य (700 सी.ई. : विवादित, धार्मिक), माओ त्से तुंग (1934-35, सैन्य), महात्मा गांधी (1930 सविनय अवज्ञा) और मार्टिन लूथर किंग (1963, 1965, नागरिक अधिकार)।
जब आप रविवार 29 जनवरी 2023 को इस लेख को पढ़ेंगे तो राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ 135 दिनों में लगभग 4000 किलोमीटर का सफर तय कर चुकी होगी। किसी का राजनीतिक उद्देश्य चाहे जो भी हो मगर राहुल की यात्रा धैर्य, दृढ़ संकल्प और शारीरिक सहनशक्ति का एक अद्भुत प्रदर्शन कर रही है।
भाजपा सचेत क्यों?: राहुल गांधी ने बार-बार कहा है कि उनकी यात्रा का कोई राजनीतिक या चुनावी उद्देश्य नहीं है और उनका एकमात्र उद्देश्य प्रेम, बंधुत्व, साम्प्रदायिक सद्भाव और एकता का संदेश फैलाना था। इस यात्रा को राजनीतिक या चुनावी के रूप में लेबल नहीं किया जा सकता। इसलिए भाजपा और अन्य आलोचक बौखलाए हुए हैं। भाजपा ने यात्रा की आलोचना करने केलिए तर्कहीन आधार प्रस्तुत किया है। इसके स्वास्थ्यमंत्री भी गांधी को यात्रा रद्द करने के लिए कोरोना वायरस के प्रसार के खतरे के बचकाने विचार पर प्रहार करते हैं। राहुल विचलित नहीं हुए।
उन्होंने आलोचना के बावजूद यात्रा जारी रखी। वह लोगों विशेषकर युवाओं, महिलाओं, बच्चों, किसानों, मजदूरों और समाज के हाशिए पर रहने वाले लोगों तक पहुंचे हैं। उन्हें अपने विश्वास की पुष्टि मिल गई है कि भारत में व्यापक गरीबी और बेरोजगारी है। जनताका हर तबका महंगाई के बोझ से कराह रहा है। समाज में नफरत के संदेश वाहक हैं और भारतीय समाजपहले से कहीं अधिक विभाजित हुआ दिखाई दे रहा है। यात्रा के दौरान राहुल को मिली भारी प्रतिक्रिया से भाजपा आखिर चिंतित क्यों है? विश्वास करने के लिए कुछ बातों को देखना पड़ता है। मैं राहुल के साथ कन्याकुमारी, मैसूर और दिल्ली में घूमा। जगह-जगह भारी भीड़ थी। ऐसा हर राज्य और हर जगह थी। मैंने तस्वीरें और वीडियो देखे हैं।
यात्रा मार्ग पर किसी को भी बस नहीं दी गई थी। भाग लेने के लिए किसी को भुगतान नहीं किया गया। किसी को खाने का पैकेट देने का वायदा भी नहीं किया गया। हजारों की तादाद में युवा राहुल के साथ पैदल चल रहे थे। सड़क के दोनों ओर सैंकड़ों अधेड़ और बूढ़े व्यक्ति और बच्चे फूल फैंक रहे थे और तिरंगा फहरा रहे थे। लगभग सभी के पास मोबाइल फोन था और उन्होंने तस्वीरें लीं। कलाकार, लेखक, विद्वान, राजनेता, विकलांग आदि विशेष लोग थे, जहां तक मेरा ताल्लुक थासामान्य लोग यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा थे। वे सभी एक मौन संदेश दे रहे थे कि उन्होंने राहुल के संदेशको सुना और समझा है कि भारत बहुतअधिक विभाजित था और घृणा तथा हिंसा से भर गया था। सामाजिक समझौते के पतन का उत्तर प्रेम, बंधुत्व, साम्प्रदायिक सद्भाव और एकता को गले लगाना था।
गरीबी की उपस्थिति: जिस चीज ने मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित किया वह थी हर जगह गरीब लोगों की संख्या। इंकार करने वाले यदि वहां उपस्थितहोते तो उन्हें इस बात का एहसास होता कि कितनेहजारों गरीब थे और इस गरीबी का कारण बेरोजगारी था। वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2022 के अनुसार भारत में गरीबी का अनुपात जनसंख्या का 16 प्रतिशत है। यानी कि 22.4 करोड़ लोग। इसका मतलब यह नहीं कि बाकी के अमीर हैं। गरीबी रेखा 1286 रुपए प्रति माह (शहरी क्षेत्रों में) और 1089 रुपए प्रति माह (ग्रामीण क्षेत्रों में) पर कम है। दिसम्बर 2022 में बेरोजगारी दर 8.3 फीसदी थी।
मुझे यकीन है कि भीड़ में सैंकड़ों लोग थे जिन्होंने पिछले चुनावों में भाजपा या गैर-कांग्रेसी पार्टी को अपना वोट दिया था। लेकिन मैंने ऐसे लोगों के चेहरे पर कोई दुश्मनी नहीं देखी। सभी लोग उत्सुक थे लेकिन लगभग सभी की आंखों में आशा की एक किरण थी। क्या यह यात्रा एक बेहतर कल की ओर ले जाएगी।
भाजपा की दुश्मनी क्यों?: प्रेम और साम्प्रदायिक सद्भाव फैलाने के विस्तार के प्रति भाजपा शत्रुतापूर्ण क्यों है? क्योंकि ‘सबका साथ, सबका विकास’ के बावजूद भाजपा ने व्यवस्थित रूप से मुसलमानों और ईसाइयों को बाहर कर दिया है। इसके अलावा अन्य अल्पसंख्यकों का तिरस्कार किया जा रहा है। केंद्रीय मंत्रिपरिषद में कोई मुसलमान नहीं है। भाजपा के लोकसभा के 303 और राज्यसभा के 92 सदस्यों में से एक भी ऐसा सदस्य नहीं है जो मुस्लिम हो। सुप्रीमकोर्ट में एकमात्र मुस्लिम जज 5 जनवरी 2023 को सेवानिवृत्त हुए। भाजपा समर्थक हिजाब पहनना, अंतर-धार्मिक विवाह, तथाकथित लव जेहाद, गायों को ले जाना, छात्रावासों में मांसाहारी भोजन परोसना जैसे बहाने ढूंढते हैं। इनकी मॉब लिंचिंग होती है। ईसाई चर्चों में तोड़-फोड़ की जाती है।
एक आदमी के तौर पर राहुल गांधी में क्या है? यात्रा के अनुभव ने भले ही गांधी को प्रभावित किया हो लेकिन मैं जानता हूं कि इससे लोगों के उन्हें देखने के तरीके में उल्लेखनीय बदलाव आया है। यहां तक कि भाजपा के सदस्य भी अनिच्छा से उनके धैर्य, दृढ़ संकल्प और शारीरिक तनाव को सहन करने की इच्छा को सहन करते हैं। राहुल ने एक सम्मान अर्जित किया है। उनका मिशन नि:संदेह एक सफलता है और उन्होंने अपने संदेश को दूर-दूर फैलाया है।-पी. चिदम्बरम
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