राहुल पर कस सकता है ‘फर्स्ट क्लास’ शिकंजा

punjabkesari.in Sunday, Jun 16, 2019 - 03:30 AM (IST)

अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से राहुल गांधी की नाराजगी कम होने का नाम नहीं ले रही। वह इस बात पर अब भी अड़े हैं कि उनकी जगह किसी और को पार्टी अध्यक्ष का जिम्मा सौंपा जाए। कांग्रेस दो कार्यकारी अध्यक्षों वाले फार्मूले पर काम कर रही थी, पर कहते हैं यह आइडिया भी राहुल को रास नहीं आया।

सूत्रों की मानें तो फिर अहमद पटेल ने पार्टी का पूर्णकालिक अध्यक्ष बनने के लिए ए.के. एंटनी और के. वेणुगोपाल से सम्पर्क साधा, पर ये दोनों भी इसके लिए जब राजी नहीं हुए तो संत्रास भाव में डूबते-उतरते राहुल ने पिछले दिनों अचानक लंदन की फ्लाइट पकड़ ली। कहते हैं आनन-फानन में उनके लिए वर्जिन एयरवेज में फस्र्ट क्लास की टिकट बुक कराई गई। 

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अब मोदी सरकार की नजर राहुल की विदेश यात्राओं पर भी है। सूत्रों की मानें तो केन्द्र सरकार को इस बात की पुख्ता जानकारी है कि पिछले 10 वर्षों में कम से कम 68 बार राहुल ने फस्र्ट क्लास में विदेश यात्राएं की हैं, आने वाले दिनों में उस ट्रैवल एजैंसी से पूछताछ मुमकिन है जो राहुल के लिए एयर टिकट बुक कराती है। जांच एजैंसियों को लगता है कि इनमें से अधिकांश टिकटों के भुगतान नकद में किए गए हैं, इस बात को लेकर राहुल को घेरने की तैयारी है। 

जब पी.के. से मिलने पहुंचीं प्रियंका 
चुनावी रणनीति बुनने में माहिर प्रशांत किशोर के अच्छे दिन आ गए हैं। जब से आंध्र में जगनमोहन रैड्डी को बम्पर जीत मिली है, पी.के. की गाड़ी ने रफ्तार पकड़ ली है। पहले ममता बनर्जी का न्यौता आया, कहते हैं ममता ने बंगाल की चुनावी व्यूह रचना गढऩे का कार्य पी.के. को सौंप दिया है। अब चंद्रबाबू नायडू ने भी उन्हें याद किया है। पी.के. के बंगाल जाने पर सवाल उठाने वाले जद (यू) प्रवक्ता अजय आलोक की नीतीश ने छुट्टी कर दी है। विश्वस्त सूत्रों के दावों पर अगर यकीन किया जाए तो पिछले हफ्ते जब पी.के. दिल्ली में थे तो उन्हें प्रियंका गांधी का फोन गया और पुराने गिले-शिकवे भुला कर मिलने-मिलाने की बात हुई। 

कहते हैं यू.पी. विधानसभा चुनावों के दौरान ही कुछ ऐसी बातें हुईं कि प्रियंका ने पी.के. के फोन लेने बंद कर दिए थे। सूत्रों की मानें तो इस दफे प्रियंका बैकफुट पर थीं और पी.के. को मनाने वसंत कुंज स्थित उनके घर जा पहुंचीं, जहां दोनों के बीच कांग्रेस की भावी रणनीतियों को लेकर लम्बी बातचीत हुई। उस मुलाकात में पी.के. ने यह भी दावा किया कि पंजाब में कांग्रेस उनकी वजह से जीत पाई थी। खैर, जब दोनों के बीच गिले-शिकवे दूर हुए तो पी.के. ने जानना चाहा कि आखिर कांग्रेस ने यकबयक उनसे किनारा क्यों कर लिया था? 

इस पर कहते हैं प्रियंका ने कहा कि हमें पुरानी बातें भुला कर आगे बढऩा चाहिए। हां, प्रियंका ने पी.के. से जरूर कहा कि ऐसी मुलाकातों की खबरें मीडिया में लीक नहीं होनी चाहिएं। प्रियंका ने पी.के. को याद दिलाया कि यू.पी. चुनाव के दौरान उन्होंने जब अपने होटल में पी.के. को डिनर पर आमंत्रित किया था तो यह खबर तब आग की तरह चारों ओर फैल गई थी। सूत्रों की मानें तो सुप्तप्राय: कांग्रेस में एक नई जान फूंकने के लिए पी.के. तैयार हो गए हैं, पर इसके एवज में उन्होंने कांग्रेस से जो एक भारी-भरकम फीस मांगी है, इस बारे में पार्टी को अभी सोचना होगा। 

संघ का ईद मिलन
देर से ही सही, संघ समर्थित मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने पिछले मंगलवार को पाॢलयामैंट एनैक्सी में ईद मिलन समारोह का आयोजन किया। इस ईद मिलन समारोह का फलक अंतर्राष्ट्रीय था क्योंकि इसमें बड़़े पैमाने पर मुस्लिम देशों के राजदूतों, कई बड़े मुस्लिम बुद्धिजीवियों, बड़े पत्रकारों और कई केन्द्रीय मंत्रियों ने शिरकत की। इस मंच के कत्र्ताधत्र्ता इंद्रेश कुमार हैं, जो काफी पहले से मुस्लिम समुदाय को संघ व भाजपा से जोडऩे की कवायद में जुटे हैं। 

सनद रहे कि इंद्रेश कुमार 2015 के बाद से ही लगातार ऐसी इफ्तार पाॢटयों का आयोजन करते रहे हैं। इससे पहले अपनी पहली मंत्रिमंडलीय बैठक में स्वयं प्रधानमंत्री इस बारे में इशारा दे चुके हैं कि उनकी सरकार को देश के मुसलमानों का दिल जीतना है। सो, तीन तलाक बिल संशोधन से लेकर मदरसों के आधुनिकीकरण (जहां हर मदरसे में कम्प्यूटर लगना है और वहां साइंस की पढ़ाई होनी है) पर पी.एम. ने बल दिया। कहते हैं अल्पसंख्यक मंत्रालय के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी से कह दिया गया है कि उनका मंत्रालय मुस्लिम युवाओं के कौशल विकास प्रबंधन पर पूरा ध्यान दे, नई योजनाएं चलाए और देश के मुसलमानों का भरोसा जीते, इसके लिए उनके मंत्रालय को धन की कमी होने नहीं दी जाएगी। नीयत नेक है, मंशा परवान चढ़़े तो सूरतेहाल भी बदले। 

माधवन का रॉबर्ट एंगल
रॉबर्ट वाड्रा से ई.डी. की पूछताछ लगातार जारी है। सूत्रों की मानें तो ऐसे ही पूछताछ के एक क्रम में रॉबर्ट के मुंह से सोनिया गांधी के सहायक माधवन का नाम निकल गया, वह भी तब जब रॉबर्ट से उनके विदेशी निवेश और चल-अचल सम्पत्तियों के बारे में पूछा जा रहा था। सूत्रों की मानें तो जांच एजैंसियों के समक्ष वाड्रा ने यह राज उगल दिया है कि उनकी लंदन और दुबई की कथित बेनामी संपत्तियों की बाबत स्काईलाइट हास्पिटैलिटी कम्पनी के सी.सी. थम्पी को उनसे मिलवाने में सोनिया के पूर्व ओ.एस.डी. पी.पी. माधवन की भूमिका रही थी। अपना नाम सामने आते ही माधवन को 440 वोल्ट का झटका लगा और सूत्रों की मानें तो माधवन ने एक बड़ा निर्णय लिया कि वह सब छोड़-छाड़ कर वापस केरल लौट जाएंगे। 

माधवन को सोनिया की एडवाइस
अपने हाल से बेहाल, बदहवास से माधवन सीधे सोनिया गांधी के पास जा पहुंचे और उतावलेपन से कहा-‘मैडम, आप मेरा इस्तीफा ले लीजिए, अब दिल्ली में दिल नहीं लगता, मेरा परिवार भी वापस केरल जाने की जिद कर रहा है।’ सोनिया ने माधवन को समझाते हुए कहा-‘आप हमारे परिवार के एक सदस्य की तरह हैं, वफादारी अच्छे से ज्यादा बुरे वक्त में साथ रहने से प्रमाणित होती है।’ फिर माधवन ने अपने दर्द को स्वर दिया कि रॉबर्ट ने उनका नाम ले लिया है। कहते हैं इस पर सोनिया ने कहा ‘जब तक आप 10 जनपथ में हैं आपकी रक्षा होगी, लिहाज होगा, यहां से निकल कर कहीं और चले गए तो आपकी रक्षा में आना हमारे लिए भी संभव नहीं होगा।’ बात माधवन की समझ में आ गई, अभी भी वह निरंतर 10 जनपथ में बने हुए हैं। 

न कर सकते हैं नीतीश
सियासी धुरंधरी में भले ही नीतीश को महारत हासिल हो पर जब सामना सियासत के नए शहंशाह अमित शाह से हो तो इस बिहारी सूरमा को गाहे-बगाहे समझौते की कड़वी गोली भी निगलनी पड़ी है पर इस बार मामला उलट है। नीतीश अपने बगावती तेवरों से लैस नजर आ रहे हैं, उन्होंने अपने पार्टी नेताओं और कार्यकत्र्ताओं से अभी से बिहार के आने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारियों में जुट जाने को कहा है। 

नीतीश ने अपने पार्टी कैडर को इस बात की कड़ी हिदायत दे रखी है कि बिहार विधानसभा की हर सीट पर तैयारी दिखनी चाहिए। इसके बाद से जद (यू) के कार्यकत्र्ता और नेता जोश में आ गए और हर विधानसभा को चिन्हित कर बैनर, पोस्टर और होॄडग्स लगने शुरू हो गए हैं। उन विधानसभा सीटों पर भी जहां से अभी भाजपा विधायक निर्वाचित हैं। गठबंधन साथी के बगावती रुख को भांपते सुशील मोदी भागे-भागे नीतीश के पास पहुंचे, बोले-‘हम गठबंधन के साथी हैं, इससे जनता में ठीक संदेश नहीं जा रहा।’ सूत्रों की मानें तो इस पर नीतीश ने अपने अंदाज में हुंकार भरी और कहा-‘राजनीति मैं आपसे पहले से कर रहा हूं, सम्मान के बदले सम्मान देता रहा हूं, अपमान के बदले क्या देना है यह मैं जानता हूं।’ 

मुलायम का हाल जानने पहुंचे योगी
खबर फैली कि मुलायम सिंह यादव गंभीर रूप से बीमार हैं और उन्हें गुडग़ांव के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है। सो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आनन-फानन में अपने दल-बल के साथ दिल्ली पहुंच गए और नेताजी को देखने अस्पताल जा पहुंचे। वहां पहुंच कर योगी ने पाया कि नेताजी को हाई शूगर की वजह से अस्पताल में एडमिट कराया गया था और अब वह पहले से बहुत ठीक थे। योगी जब मुलायम से मिल कर वापस जाने लगे तो वहां पास बैठे शिवपाल से नेताजी ने कहा कि वह मुख्यमंत्री को नीचे गाड़ी तक छोडऩे जाएं। शिवपाल योगी को छोडऩे उनके साथ-साथ चलने लगे तो योगी ने शिवपाल से पूछा-‘कोई ङ्क्षचता की बात तो नहीं।’ कहते हैं इस पर शिवपाल ने चुटकी ली और कहा-‘हमें अखिलेश की असली ङ्क्षचता से वाकिफ होने की जरूरत है।’ योगी तब तक अपनी गाड़ी में बैठ चुके थे और शिवपाल अपने दौड़ते विचारों में खोए हुए थे। 

नायडू पर सरकार की टेढ़ी नजर
मोदी सरकार 2.0 में आंध्र के नए-नवेले मुख्यमंत्री जगनमोहन रैड्डी को खूब भाव मिल रहा है। जगन की पार्टी को लोकसभा में डिप्टी स्पीकर का पद देने की भी पेशकश हुई है और मोदी सरकार के कर्णधारों ने जगन को आश्वस्त किया है कि आंध्र में उनकी कल्याणकारी योजनाओं में केन्द्र सरकार की ओर से भरपूर मदद होगी। यानी जाल बिछ चुका है और 2019 के चुनावों की पूर्व बेला में सीधे नरेन्द्र मोदी पर हमला साधने वाले चंद्रबाबू नायडू को भी सबक सिखाने का वक्त आ गया है। सूत्रों की मानें तो चंद्रबाबू नायडू से जगन का भी छत्तीस का आंकड़ा है। अत:, नायडू के कार्यकाल में हुए गड़बड़झालों की फाइल खोलने में जगन की एक महत्ती भूमिका हो सकती है। मोदी सरकार 2.0 एक्शन में है, वित्तीय अनियमितताओं को लेकर जिन नेताओं और व्यक्तियों पर सरकार का शिकंजा कसने वाला है उसमें पहला नाम रॉबर्ट वाड्रा का है, फिर चिदम्बरम, चंद्रबाबू नायडू, प्रफुल्ल पटेल और मायावती का नम्बर लग सकता है।-मिर्च-मसाला त्रिदीब रमण
 


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