पंजाब की नई इंडस्ट्रियल पॉलिसी, पड़ोसी सूबों से सबक लेने का समय

punjabkesari.in Wednesday, Nov 05, 2025 - 05:27 AM (IST)

नई इंडस्ट्रियल पॉलिसी लाने की तैयारी में पंजाब सरकार पड़ोसी सूबों की सफल रणनीतियों पर भी गौर करे। मकसद पंजाब को और अधिक कंपीटिटिवनैस यानी प्रतिस्पर्धात्मक तैयारी के साथ आगे बढ़ाने के लिए सही पहल करने का है। राजस्थान, मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश ने सशक्त वित्तीय प्रोत्साहनों को पारदर्शी, निवेशक-हितैषी बनाया तो इनके औद्योगिक विकास के नतीजे सबके सामने हैं। इन राज्यों ने इंडस्ट्रियल क्लस्टर आधारित विशेष प्रोत्साहन पैकेज व जी.एस.टी. रिफंड को आसान किया है, जबकि पुराने ढर्रे पर चल रहे पंजाब में एक्सपोर्ट व इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर के तहत उद्योगों को जी.एस.टी. में इनपुट टैक्स क्रैडिट रिफंड का बरसों से इंतजार है। पंजाब को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए नई इंडस्ट्रियल पॉलिसी में पारदर्शिता, स्पष्टता व जवाबदेही तय हो। 

पड़ोसियों से सबक : राजस्थान की इन्वैस्टमैंट प्रोमोशन स्कीम 2024, भारत के बेहतरीन इंसैंटिव मॉडल्स में से एक है। यह निवेशकों को इंसैंटिव के 3 विकल्पों में से चुनने की सुविधा देती है। सात साल तक 75 प्रतिशत तक एस.जी.एस.टी. रिफंड, पूंजी निवेश पर 10 से 20 प्रतिशत सबसिडी, या 10 साल तक नैट सेल्स  का 1 से 1.4 प्रतिशत तक टर्नओवर-आधारित इंसैंटिव। स्टांप ड्यूटी, लैंड कनवर्जन चार्जेज और इलैक्ट्रिसिटी डयूटी से 100 प्रतिशत छूट का प्रावधान है। एम.एस.एम.ईज के लिए 1.5 करोड़ रुपए तक कैपिटल सबसिडी और लोन पर ब्याज में 5 प्रतिशत की छूट शामिल है। इन प्रोत्साहनों का नतीजा, राइजिंग राजस्थान सम्मिट 2024 में 35 लाख करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव आए। राजस्थान की इंडस्ट्रियल पॉलिसी की खास विशेषता यह है इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर के तहत आने वाले उद्योगों को सेल्स पर 2 प्रतिशत इंसैंटिव से इनपुट टैक्स क्रैडिट रिफंड में देरी की वजह से पैदा होने वाली नकदी की समस्या को प्रभावी ढंग से संतुलित कर रहा है, जबकि पंजाब इस मसले को 2017 में जी.एस.टी. लागू होने के बाद से अभी तक सुलझा नहीं पाया। 

मध्य प्रदेश ने एक अलग असरदार रास्ता चुना है। इंडस्ट्रियल प्रोमोशन पॉलिसी 2025 ने इंसैंटिव को रोजगार सृजन, एक्सपोर्ट और प्रदेश में क्षेत्रीय संतुलन से जोड़ा है। स्टांप ड्यूटी व रजिस्ट्रेशन फीस से पूरी छूट दी है, 7 साल तक इलैक्ट्रिसिटी डयूटी भी माफ है। लेबर इंटेसिव औद्योगिक सैक्टरों में नए रोजगार पर प्रति कर्मचारी 5,000 रुपए हर महीने रोजगार सबसिडी 5 साल तक देने का प्रावधान है। इंसैंटिव मल्टीप्लायर स्कीम के तहत प्राथमिकता वाले जिलों में या अधिक एक्सपोर्ट करने वाली औद्योगिक इकाइयों को 30 से 50 प्रतिशत तक अतिरिक्त इंसैंटिव हैं। ग्लोबल इन्वैस्टर्स समिट 2025 में मध्य प्रदेश को 30.77 लाख करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव सरकार की औद्योगिक नीति में निवेशकों के भरोसे को दर्शाता है।

उत्तर प्रदेश की इंडस्ट्रियल इनवैस्टमैंट एंड एम्प्लायमैंट प्रमोशन पॉलिसी 2022 ने क्षेत्रीय विकास को प्राथमिकता दी है। बुंदेलखंड व पूर्वांचल में 100 प्रतिशत स्टांप ड्यूटी माफी, मध्यांचल और पश्चिमांचल में 75 प्रतिशत तक और नोएडा व गाजियाबाद जैसे विकसित क्षेत्रों में 50 प्रतिशत तक की छूट है। राजस्थान की तर्ज पर यू.पी. भी निवेशकों को एस.जी.एस.टी. रिफंड, कैपिटल सबसिडी या इनवैस्टमैंट इंसैंटिव में से विकल्प चुनने की आजादी देता है। उन्नति 2024 व इलैक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग नीति के तहत जमीन के कलैक्टर रेट से भी 50 प्रतिशत तक सस्ती जमीन और 10 साल तक 100 प्रतिशत जी.एस.टी. माफी जैसी सुविधाएं दी गई हैं। इस व्यापक एवं लक्षित दृष्टिकोण ने यू.पी. को औद्योगिक निवेश के मामले में देश के 5 शीर्ष राज्यों में पहुंचा दिया है। 

पंजाब की क्षमता : देश के औद्योगिक नक्शे में पंजाब कई राज्यों से पीछे है। इन्वैस्ट पंजाब के मुताबिक मार्च 2022 से मार्च 2025 तक लगभग 96,000 करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। किसी छोटे राज्य के लिए तो यह आंकड़ा महत्वपूर्ण हो सकता है लेकिन राजस्थान, मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश के लाखों करोड़ के निवेश की तुलना में काफी कम है। पंजाब को अब निर्णायक कदम उठाने होंगे। इंडस्ट्रियल पॉलिसी के नाम पर केवल एक और ‘इंक्रीमैंटल डॉक्यूमैंट’ नहीं, बल्कि एक ऐसी नीति चाहिए, जो टैक्स असमानताओं व कंप्लायंसेज संबंधी अड़चनों को दूर कर सके। 

तीन अहम प्राथमिकताएं : पंजाब की नई इंडस्ट्रियल पॉलिसी 3 प्रमुख स्तंभों पर आधारित हो। पहला फलैक्सिबिलिटी, दूसरा ट्रांसपेरैंसी व तीसरा टाइम बाऊंड फिसिलिटेशन। पंजाब को इन स्टैंडर्ड्स को न केवल हासिल करना है, बल्कि बाकी राज्यों से भी आगे निकलना है। निवेशकों को 3 विकल्प मिलें एस.जी.एस.टी. या टर्नओवर-आधारित रिफंड, कैपिटल सबसिडी या फिक्स्ड इनवैस्टमैंट इंसैंटिव। यह फ्लैक्सिबिलिटी कंपनियों को अपनी कारोबारी जरूरतों के अनुसार राज्य से सहायता का विकल्प चुनने की आजादी देगी। दूसरा, इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर के तहत उद्योगों को इनपुट टैक्स क्रैडिट के मसले सुलझाना जरूरी है। पंजाब को सेल्स आधारित 2 प्रतिशत इंसैंटिव देना चाहिए, ताकि इनुपट टैक्स क्रैडिट रिफंड समय पर न मिलने से प्रभावित उद्योगों को राहत मिल सके। 

तीसरा, नए औद्योगिक निवेश पर 7 साल तक स्टांप ड्यूटी, सी.एल.यू. शुल्क और इलैक्ट्रिसिटी डयूटी से 100 प्रतिशत छूट का प्रावधान हो। लेबर इंटैंसिव उद्योगों को आकर्षित करने के लिए प्रति कर्मचारी 5,000 रुपए प्रति माह की सबसिडी 5 साल तक दी जा सकती है, जबकि एक्सपोर्ट कारोबार में बढ़ोतरी पर अतिरिक्त इंसैंटिव का प्रावधान हो। लॉजिस्टिक्स, वेयरहाऊसिंग और समुद्री पोर्ट तक मालभाड़े पर सबसिडी से एक्सपोर्ट बढ़ाया जा सकता है। सी.एल.यू., बिजली कनैक्शन, एनवायरनमैंट क्लीयरैंस और रजिस्ट्रेशन समेत करीब 30 विभागों की सिंगल-विंडो क्लीयरैंस 30 दिन में डिजिटल ट्रैकिंग प्लेटफॉर्म के जरिए सुनिश्चित हो। ‘इंडस्ट्रियल इंसैंटिव इफैक्टिवनैस रिपोर्ट’ हर साल प्रकाशित हो, ताकि सिस्टम की पारदर्शिता व जवाबदेही सुनिश्चत हो सके।

आगे की राह : पंजाब में उद्यमशीलता की भावना है, जरूरत है अपनी खास खूबियों को उजागर करते हुए पारदर्शी एवं प्रदर्शन-आधारित औद्योगिक नीति लागू की जाए, ताकि देश के औद्योगिक नक्शे पर पहले की तरह पंजाब बड़ा मुकाम हासिल कर सके। कारोबारी सुखद माहौल की तलाश में हैं। समय की मांग है कि ‘ब्रांड पंजाब’ निवेशकों की पहली पसंद बने।(लेखक कैबिनेट मंत्री रैंक में पंजाब इकोनॉमिक पॉलिसी एवं प्लानिंग बोर्ड के वाइस चेयरमैन भी हैं)-डा. अमृत सागर मित्तल(वाइस चेयरमैन सोनालीका) 


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