पंजाब की बिगड़ती आर्थिक स्थिति
punjabkesari.in Monday, Aug 21, 2023 - 05:43 AM (IST)

पंजाब भारत की 16वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जिसका सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जी.एस.डी.पी.) लगभग रुपए 5 लाख करोड़ है। अब समय आ गया है कि हमें व्यापार, उद्योग और पड़ोसी राज्यों की तुलना में अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव और इसके वर्तमान परिदृश्य के बारे में बात करनी चाहिए। पंजाब कृषि की भूमि है, लेकिन यह कई व्यापारों और उद्योगों को भी बढ़ावा देता है, जो राज्य में कुल 35 प्रतिशत रोजगार प्रदान करता है, जबकि कृषि क्षेत्र राज्य में 25 प्रतिशत रोजगार प्रदान करता है। पंजाब में कपड़ा, साइकिल और साइकिल पार्ट्स विनिर्माण, ऑटो पार्ट्स विनिर्माण और इलैक्ट्रिकल विनिर्माण जैसे कई उद्योग हैं, जिसमें उद्योग का 95 प्रतिशत योगदान ऊनी और बुना हुआ कपड़ा यानी कपड़ा उद्योग, 85 प्रतिशत सिलाई मशीन उद्योग, 75 प्रतिशत खेल के सामान आदि का है।
आइए आज राज्य में उद्योग की धीमी विकास दर के कारणों का विश्लेषण करने का प्रयास करें, जो पिछले वर्षों में तेजी से बढ़ रहा था। लुधियाना राज्य का औद्योगिक केंद्र है और इसे कभी देश का मैनचैस्टर कहा जाता था, लेकिन कुछ ऐसे कारक हैं जिनके कारण राज्य में उद्योग का पतन हुआ है। पंजाब में कुल 19,4000 छोटे उद्योगों के अलावा 586 बड़ी और मध्यम इकाइयां हैं। पंजाब एक समय अप्रत्यक्ष कर संग्रह में पड़ोसी राज्यों से अधिक योगदान दे रहा था, परन्तु 2020-21 में जी.एस.टी. संग्रह में रुपए 13,000 करोड़, जबकि इसी अवधि में हरियाणा राज्य द्वारा रुपए 30,000 करोड़ का योगदान दिया गया था।
2020 अप्रैल में देश में वैश्विक महामारी ने दस्तक दी, और उससे पहले भारत का जी.एस.टी. संग्रह लगभग रुपए 11,9000 करोड़ मासिक था, जो लॉकडाऊन अवधि के दौरान घटकर रुपए 32,000 करोड़ हो गया, लेकिन देश के व्यापार और उद्योग ने कठिन समय में खड़े होने के लिए कड़ी मेहनत की। व्यापार और उद्योग की सहायता के लिए केंद्र सरकार द्वारा दिए गए 20 लाख करोड़ के पैकेज से न केवल जी.एस.टी. संग्रह लॉकडाऊन अवधि से पहले वापस आ गया, बल्कि हर महीने लगभग रुपए 15,0000 करोड़ तक पहुंच गया। इसी दौरान पंजाब में अप्रैल 2020 में जी.एस.टी. कलैक्शन रुपए 156 करोड़ था और लॉकडाऊन से पहले यह रुपए 1200 करोड़ तक पहुंच गया था जबकि अप्रैल 2020 में हरियाणा का जी.एस.टी. संग्रह रुपए 650 करोड़ (लगभग) था और लॉकडाऊन से पहले यह रुपए 4800 करोड़ तक पहुंच गया था और फिर यह मासिक रूप से रुपए 30000 करोड़ से अधिक था और हाल ही में वित्त वर्ष 22-23 में 7 महीनों के संग्रह में यह कुल जी.एस.टी. संग्रह रुपए 50000 करोड़ तक पहुंच गया।
2022 के रिकॉर्ड के अनुसार पंजाब में जी.एस.टी. के तहत कुल पंजीकृत डीलर 36,4000 हैं और हरियाणा में 45,0000 डीलर जी.एस.टी. के तहत पंजीकृत हैं। वित्त वर्ष 22-23 में पंजाब का जी.एस.टी. कलैक्शन रुपए 20,000 करोड़ रहा जबकि हरियाणा का रुपए 85,000 करोड़ रहा। यह देखा गया है कि पंजाब में पिछले साल से आज जी.एस.टी. कलैक्शन में केवल 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जबकि हरियाणा, केरल और उत्तर प्रदेश में क्रमश: 35 प्रतिशत, 30 प्रतिशत और 20 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। पिछले 7 वर्षों से लंबित सभी वैट मामलों का मूल्यांकन हुआ है या नहीं; लाल फीताशाही पर अंकुश लगाने के लिए सभी करदाताओं के लिए अपने वैट रिटर्न को दोबारा दाखिल करने और बिना किसी स्लैब दर के एक निश्चित दर पर मांग का निपटान करने की एक अंतिम योजना होनी चाहिए।
राज्य को पहले ही महामारी का झटका झेलना पड़ा था जिसकी वजह से राज्य के व्यापार को 3 लाख करोड़ से भी अधिक का नुक्सान हुआ और अब बिजली के खर्चों में वृद्धि, कम बुनियादी ढांचे, कानून व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति के कारण कई उद्योगपतियों को हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड आदि जैसे अन्य राज्यों में पलायन करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। आंकड़ों के मुताबिक लगभग 60,000 से अधिक उद्योग और 2 लाख करोड़ से अधिक का व्यापार राज्य से बाहर जा चुका है।
उद्योग के लिए पंजाब का बिजली खर्च अन्य राज्यों की तुलना में सबसे महंगा है। पंजाब प्रमुख रूप से ताप विद्युत संयंत्रों पर निर्भर है। पंजाब में 14,000 मैगावाट बिजली का उत्पादन करने की क्षमता है और हर साल बिजली की मांग अधिक हो जाती है जिसके परिणामस्वरूप अनिर्धारित और असामयिक बिजली कटौती होती है। केंद्र सरकार के विपरीत, राज्य सरकार बड़े पैमाने पर नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर ध्यान केंद्रित नहीं कर रही है।
अब पंजाब में आप के नेतृत्व वाली नई सरकार ने मतदाताओं की भावनाओं, विशेषकर व्यापार और उद्योग के साथ खिलवाड़ किया है। पंजाब के नागरिकों ने कुछ विकास की उम्मीद के साथ आप सरकार को वोट दिया था, लेकिन नई राज्य सरकार ने बिजली की कीमतों में बढ़ौतरी कर, विशेष रूप से 2 महीनों में 2 बार बढ़ौतरी अर्थात अप्रैल और मई 2023, के करण राज्य के उद्योग को सालाना 2000 करोड़ रुपए का बोझ झेलना पड़ेगा, का रिटर्न गिफ्ट दिया था। उत्तर प्रदेश जैसे अन्य राज्यों के विपरीत, पंजाब की औद्योगिक विकास नीति अन्य राज्यों के बराबर नहीं है। पंजाब ने नई औद्योगिक नीति 2022 में सिंगल विंडो सिस्टम पर फोकस किया है लेकिन इसे सिर्फ भू-राजस्व विभाग तक ही सीमित रखा है। पंजाब में लोगों को अभी भी परियोजनाओं के लिए मंजूरी पाने के लिए खिड़की दर खिड़की जाना पड़ता है, जो देश में व्यापार करने में आसानी के आदर्श वाक्य के विपरीत है।
भाजपा-शिअद सरकार के शासनकाल के दौरान पंजाब में एक व्यापारी कल्याण बोर्ड था जो सरकार और व्यापार एवं उद्योग के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य करता था, लेकिन पिछले 7-8 वर्षों से कई बार कहने पर भी व्यापारी कल्याण बोर्ड बनाने के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए हैं। पंजाब सरकार ने राज्य को कई राहतें दी हैं, जैसे हर महीने 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली, राज्य की महिलाओं के लिए मुफ्त परिवहन आदि। राज्य/अर्थव्यवस्था के पिछड़े और निचले तबके को कुछ वित्तीय सहायता देना आवश्यक है, लेकिन करदाताओं के पैसे का उपयोग केवल वोट बैंक को खुश करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए, चाहे वह किसी भी सरकार का हो, बल्कि इसे सभी क्षेत्रों में समान रूप से वितरित किया जाना चाहिए।
कुल मिला कर पंजाब की आर्थिकता इस समय बेहतर स्थिति में नहीं है। इसलिए मौजूदा स्थिति से उभरने के लिए केंद्र सरकार को शीघ्र एक बड़ा आॢथक पैकेज घोषित करना चाहिए जैसे 30,000 करोड़ का पैकेज जम्मू की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए दिया गया था। वैसे पंजाब एक सीमावर्ती राज्य है जिसकी इस घोषणा में की गई देरी पंजाब के हित में नहीं होगी। अंतत: यह कहा जा सकता है कि यदि समय रहते पर्याप्त उपाय नहीं किए गए तो यह राज्य के व्यापार एवं उद्योग के व्यापक हित में नहीं होगा। फिर पंजाब के उद्योग को पटरी पर आने और अपने पड़ोसी राज्यों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में बहुत अधिक समय लगेगा।-सुनील मेहरा