पंजाब के ठहरे औद्योगिक विकास को रफ्तार के लिए पैकेज की दरकार
punjabkesari.in Wednesday, Jul 10, 2024 - 05:31 AM (IST)
एन.डी.ए. की तीसरी बार की सरकार 23 जुलाई को अपना पहला बजट पेश करेगी। बजट में इस सरकार के पांच साल के आॢथक एजैंडे से उद्योगों व राज्यों को बड़ी उम्मीदें हैं। इन उम्मीदों के बीच भाजपा के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार को समर्थन के बदले जनता दल (यूनाइटेड) व तेलुगु देशम पार्टी (टी.डी.पी.) शासित बिहार व आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा बहाली की चर्चा है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने अपने राज्य के औद्योगिक व इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए एक लाख करोड़ रुपए के पैकेज की मांग केंद्र सरकार से की है।
बिहार व आंध्र प्रदेश को विशेष पैकेज की चर्चाओं के बीच पंजाब के लोगों के मन में यह सवाल उठना लाजमी है कि लैंड लॉक्ड बॉर्डर स्टेट होने के बावजूद आज तक पंजाब को केंद्र सरकार ने कभी कोई पैकेज नहीं दिया। नब्बे के दशक दौरान हिमाचल प्रदेश जैसे पड़ोसी पहाड़ी राज्य को केंद्र के औद्योगिक पैकेज का लाभ मिला, पर नुकसान पंजाब का हुआ क्योंकि यहां के कई बड़े औद्योगिक घरानों ने हिमाचल में कारोबार का विस्तार किया व कई औद्योगिक इकाइयां बंद भी हुईं। समुद्री तटों पर स्थित दक्षिणी-पश्चिमी राज्यों के उद्योगों के मुकाबले पंजाब को भी केंद्र सरकार से मदद की दरकार है।
कमजोरियां दूर हों : देश की केवल 5 प्रतिशत औद्योगिक इकाइयां पंजाब में हैं, जबकि 55 प्रतिशत तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक, महाराष्ट्र व गुजरात में होने से ये राज्य औद्योगिक विकास में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। बीते 5 वित्तीय वर्षों में सालाना औसत औद्योगिक विकास दर के मामले में पहले पायदान पर तमिलनाडु 11.27 प्रतिशत, महाराष्ट्र 8.8, गुजरात 8.1, तेलंगाना 7.9, कर्नाटक 7.6 व पड़ोसी राज्य हरियाणा की औद्योगिक विकास दर 5.9 प्रतिशत रही, जबकि मात्र 3.6 प्रतिशत बढ़ोतरी पर अटका पंजाब पिछड़ रहा है।
2023 के एक्सपोर्ट प्रिपेयर्डनैस इंडैक्स(ई.पी.आई.) रैंकिंग में 58.95 प्रतिशत स्कोर हासिल करने वाला पंजाब 10वें स्थान पर था, वहीं 63.65 स्कोर से हरियाणा 5वें स्थान पर रहा। ङ्क्षचता की बात यह है कि एक्सपोर्ट हिस्सेदारी के मामले में देश के शीर्ष 25 जिलों में पंजाब का एक भी जिला शामिल नहीं है, जबकि सबसे अधिक 8 जिले गुजरात के, महाराष्ट्र के 5 व हरियाणा का 1 जिला इनमें शामिल है। इसके अलावा फॉरेन डायरैक्ट इन्वैस्टमैंट (एफ.डी.आई.) के मामले में 12वें स्थान पर रहे पंजाब में केवल 0.49 प्रतिशत विदेशी निवेश हुआ, जबकि हरियाणा 4.17 प्रतिशत विदेशी निवेश हासिल करके छठे स्थान पर रहा।
पंजाब के औद्योगिक विकास में गिरावट एक गंभीर संकट है। पिछली तमाम सरकारों द्वारा निवेश आकर्षित करने के तमाम प्रयासों के बावजूद पंजाब में महंगी जमीन, समुद्री पोर्ट से दूरी, आए दिन विरोध-प्रदर्शन व आंदोलन और कानून-व्यवस्था जैसी कई अड़चनें हैं। एक बड़ा मुद्दा समुद्री पोर्ट से दूरी है, जो पंजाब के उद्योगों को वैश्विक बाजार में मुकाबले के लिए कमजोर करता है। इस कमी को दूर करने के लिए ‘पंजाब ऑन व्हील्स’ (पंजाब की अपनी मालगाडिय़ां) औद्योगिक विकास के लिए मील का पत्थर साबित हो सकती हैं।
आगे बढऩे की ताकत : पंजाब टैक्सटाइल यॉर्न से लेकर साइकिल, हौजरी, ट्रैक्टर, ऑटोमोबाइल पुर्जे, खेल के सामान, इंजीनियरिंग सामान व चमड़े का एक बड़ा केंद्र है। इन औद्योगिक समूहों में विस्तार की अपार संभावनाओं को और मजबूत किया जा सकता है। ब्लैंडिड यॉर्न और हौजरी के अलावा पॉलिएस्टर सिल्क, फाइबर और सूती धागे में लुधियाना देश के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक के रूप में शुमार है। ऊनी बुने हुए कपड़ों में 95 प्रतिशत व हौजरी में 65 प्रतिशत एक्सपोर्ट लुधियाना से हो रहा है, पर ग्लोबल बाजार में 37 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ चीन सबसे आगे है, जबकि भारत की एक्सपोर्ट हिस्सेदारी मात्र 5 प्रतिशत है। अमरीका, यू.ए.ई., ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस जैसे देशों को एक्सपोर्ट बढ़ाने की संभावना है।
देश के एक-तिहाई ट्रैक्टरों का उत्पादन पंजाब में होता है, पर दुनिया के ट्रैक्टर एक्सपोर्ट बाजार में भारत की हिस्सेदारी मात्र 2.2 प्रतिशत है। अगले तीन-चार वर्षों में ब्राजील, अर्जेेंटीना, तुर्की, सार्क व अफ्रीकी देशों में सालाना 2 लाख से अधिक ट्रैक्टर एक्सपोर्ट की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। भारत के कुल साइकिल पाटर््स उत्पादन में लुधियाना की 92 प्रतिशत व साइकिल उत्पादन में 75 प्रतिशत भागीदारी के अलावा एक्सपोर्ट में भी 80 प्रतिशत योगदान को और आगे बढ़ाया जा सकता है क्योंकि साइकिल एक्सपोर्ट में भारत चीन से काफी पीछे है। अमरीका, यूरोपीय देशों और अफ्रीका में बढ़ती साइकिल की मांग के कारण भारत साइकिल एक्सपोर्ट में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 10 प्रतिशत करने की क्षमता रखता है।
देश में खेल सामान के कुल उत्पादन में 45 प्रतिशत हिस्सेदारी जालंधर की है जबकि एक्सपोर्ट में 75 प्रतिशत योगदान है। 42.2 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ खेल के सामान के सबसे बड़े एक्सपोर्टर के रूप में चीन की मजबूत स्थिति के मुकाबले भारत सिर्फ 0.56 प्रतिशत पर अटका है। अमरीका, ब्रिटेन, ब्राजील, जर्मनी, मैक्सिको, दक्षिण अफ्रीका, कोलंबिया और अर्जेंटीना को एक्सपोर्ट बढ़ाया जा सकता है।
बजट से उम्मीदें : 2020 में लागू हुई प्रोडक्शन ङ्क्षलक्ड इंसैंटिव (पी.एल.आई.) स्कीम का पुनर्मूल्यांकन करने की जरूरत है। इसके नतीजों पर बारीकी से निगरानी रखनी भी महत्वपूर्ण है। पंजाब के टैक्सटाइल, इंजीनियरिंग सामान और ऑटोमोबाइल पुर्जे बनाने वाली औद्योगिक इकाइयों को पी.एल.आई. का बहुत कम लाभ मिल पाया है। एक्सपोर्ट बढ़ाने, नया निवेश जुटाने व रोजगार के नए अवसर पैदा करने के लिए साइकिल व खेलों के सामान बनाने वाले उद्योगों पर भी पी.एल.आई. स्कीम लागू करने से बड़े पैमाने पर एम.एस.एम.ईज को इसका लाभ मिल सकेगा।
जी.एस.टी. की 8 दरों की वजह से पैदा हुई कई भ्रांतियों व मुश्किलों को कम करने के लिए इसे और तर्कसंगत बनाए जाने की जरूरत है। आठ की बजाय 2 या 3 दरें लागू करके कारोबारियों की कई समस्याएं हल की जा सकती हैं। जुलाई 2017 में जी.एस.टी. लागू होने से पहले टैक्स मुक्त कृषि उपकरणों को जी.एस.टी. से भी मुक्त किए जाने से देश के लाखों छोटे किसान भी सस्ते उपकरण खरीद सकेंगे। लॉजिस्टिक कॉस्ट यानी माल ढुलाई भाड़े पर खर्च कम होना किसी भी उद्योग की विकास की नींव है। समुद्री पोर्ट से दूर पंजाब के लिए अपनी मालगाडिय़ों को सरकारी नीति आधारित सहयोग की जरूरत है, ताकि महंगे माल भाड़े के बोझ तले दबे यहां के मैन्युफैक्चरिंग उद्योगों को भी दक्षिणी-पश्चिमी राज्यों के मुकाबले आगे बढऩे का सुखद माहौल मिल सके। आने वाले बजट में देश की आर्थिक वृद्धि व रोजगार को बढ़ावा देने के लिए ‘लेबर इंटैसिव’ यानी अधिक रोजगार देने वाले उद्योगों, एक्सपोर्ट से जुड़ी इकाइयों व एम.एस.एम.ईज को प्रोत्साहन जरूरी है।(लेखक कैबिनेट मंत्री रैंक में पंजाब इकोनॉमिक पॉलिसी एवं प्लानिंग बोर्ड के वाइस चेयरमैन भी हैं।)-डा. अमृत सागर मित्तल(वाइस चेयरमैन सोनालीका)