पंजाब एक्सपोर्ट प्रमोशन पॉलिसी से होगा एम.एस.एम.ईज का बेड़ा पार

punjabkesari.in Wednesday, Oct 30, 2024 - 05:54 AM (IST)

नीति आयोग ने पंजाब सरकार के साथ सांझेदारी में राज्य के एम.एस.एम.ईज में एक्सपोर्ट कारोबार की क्षमता बढ़ाने व उनकी चुनौतियों के समाधान की पहल की है। इसके लिए हाल ही में नीति आयोग के वाइस चेयरमैन सुमन बेरी ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की मौजूदगी में राज्य के कई एम.एस.एम.ईज से बैठक करके उनकी राय जानी। पंजाब की उद्यमशीलता की अपार शक्ति जगाने के लिए केंद्र व राज्य सरकार छोटे व मंझोले कारोबारियों का हाथ पकड़े तो देश से एक्सपोर्ट कारोबार में पंजाब की मौजूदा 2 प्रतिशत हिस्सेदारी 10 प्रतिशत के पार जाने की क्षमता है। पंजाब के एम.एस.एम.ईज को एक्सपोर्ट प्रमोशन पॉलिसी से लैस कर राज्य के औद्योगिक विकास व रोजगार के नए अवसर की रफ्तार बढ़ाई जा सकती है। 

किसी राज्य के विकास के बुनियादी स्तंभ एक्सपोर्ट के लिए उस राज्य की भौगोलिक स्थिति महत्वपूर्ण है, जबकि पाकिस्तान से सटे संवेदनशील लैंड लॉक्ड बॉर्डर स्टेट पंजाब के लिए भौगोलिक स्थिति ही सबसे बड़ी चुनौती है। 58 साल पहले पंजाब से अलग राज्य बना हरियाणा, जिसका अधिकांश इलाका बंजर था, एन.सी.आर. के नजदीक होने की वजह से एक्सपोर्ट कारोबार में देश के 5 शीर्ष राज्यों में से एक है। पंजाब की तुलना में हरियाणा से एक्सपोर्ट कारोबार 5 गुणा से अधिक है, वहीं समुद्री पोर्ट से लगते गुजरात, महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे राज्य भी कम माल भाड़े के कारण पंजाब के औद्योगिक विकास के लिए चुनौती हैं।

देश व राज्य के नीति निर्माताओं ने सीमावर्ती राज्य के तौर पर पंजाब की भौगोलिक चुनौतियों को कभी गंभीरता से नहीं लिया। समुद्री पोर्ट से दूरी, कमजोर  कनैक्टिविटी, आए दिन धरने-प्रदर्शन व आंदोलनों ने राज्य में नए निवेश की राह में बाधाएं पैदा की हैं। इन चुनौतियों से औद्योगिक विकास में चिंताजनक गिरावट को हलके में नहीं लिया जा सकता। नीति आयोग के ताजा ‘एक्सपोर्ट प्रीपेयर्डनैस इंडैक्स’ (ई.पी.आई.) में पंजाब 10वें स्थान पर है, जबकि हरियाणा 5वें पर। एक्सपोर्ट में देश के शीर्ष 25 जिलों में 54 प्रतिशत हिस्सेदारी गुजरात के सबसे अधिक 8 जिलों की है, जबकि महाराष्ट्र के 5 और हरियाणा का 1 जिला इसमें है। पंजाब का एक भी जिला इनमें शामिल नहीं है। 

स्पैशल एक्सपोर्ट पॉलिसी की जरूरत क्यों : केंद्र सरकार ने फॉरेन ट्रेड पॉलिसी के तहत  2030 तक 2 ट्रिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट कारोबार का लक्ष्य रखा है, जबकि देश के 766 जिलों में से केवल 43 को ‘सैंटर्स ऑफ एक्सपोर्ट एक्सीलैंस’ के तौर पर ग्लोबल मार्केट सर्वे, ब्रांड प्रमोशन, वेयरहाऊस स्थापित करने के लिए इंसैंटिव व प्लांट-मशीनरी के लिए कैपिटल गुड्स के इंपोर्ट को कस्टम डयूटी मुक्त रखा गया है। केंद्र सरकार के इंसैंटिव में इस भेदभाव के चलते राज्यों के लिए अपनी एक्सपोर्ट प्रमोशन पॉलिसी लागू करना जरूरी है। इस भेदभाव से केंद्र सरकार के ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट’ और ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ की पहल कमजोर पड़ती है। ऐसे में पंजाब सरकार एक्सपोर्ट प्रमोशन पॉलिसी बनाकर ‘इंडस्ट्रीज ऑफ एक्सपोर्ट एक्सीलैंस’ को आगे बढ़ाए। यह रणनीतिक पॉलिसी पंजाब के टैक्सटाइल-अपैरल, साइकिल, ऑटो पार्ट्स, ट्रैक्टर, इंजीनियरिंग सामान, हैंड व मशीन टूल्स, खेल के सामान, जूते और चमड़े के प्रोडक्टस से जुड़े एम.एस.एम.ईज सैक्टरों को एक्सपोर्ट बढ़ाने में सक्षम बनाएगी।

एम.एस.एम.ईज एक्सपोर्ट क्षमता : पंजाब के औद्योगिक विकास की रीढ़ 14.65 लाख एम.एस.एम.ईज ग्लोबल मार्केट में कारोबार विस्तार के लिए तैयार हैं। एक्सपोर्ट पावर हाऊस के रूप में लुधियाना साल 2023-24 में पंजाब के 55,844 करोड़ रुपए के एक्सपोर्ट कारोबार में 20,140 करोड़ की भागीदारी से राज्य के शीर्ष 10 एक्सपोर्टर जिलों में पहले नंबर पर रहा। लुधियाना से देश का 80 प्रतिशत साइकिल एक्सपोर्ट और बढ़ाने की क्षमता है। साइकिल एक्सपोर्ट बाजार में भारत की हिस्सेदारी 1 फीसदी से भी कम है, जबकि दुनिया के 36 प्रतिशत बाजार पर चीन का कब्जा है। अमरीका, यूरोप और अफ्रीकी देशों में कारोबार बढ़ाकर भारत साइकिल एक्सपोर्ट में हिस्सेदारी 10 प्रतिशत तक बढ़ा सकता है। ब्लैंडेड यार्न, हौजरी, पॉलिस्टर, सिल्क, फाइबर व कॉटन यार्न के तौर पर देश के सबसे बड़े उत्पादक लुधियाना का ऊनी निटवियर (95 प्रतिशत) और हौजरी (65 प्रतिशत) एक्सपोर्ट में बेजोड़ प्रदर्शन है पर टैक्सटाइल-अपैरल और हौजरी में 37 प्रतिशत हिस्सेदारी चीन की कायम है। भारत को अपनी 5 प्रतिशत हिस्सदारी आगे बढ़ाने के लिए अमरीका, यू.ए.ई., यू.के., जर्मनी, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में एक्सपोर्ट विस्तार की संभावनाएं तलाशनी होंगी। 

कृषि उपकरण में पंजाब देश की बड़ी ताकत है। मूल उपकरण निर्माताओं (ओ.ई.एम.) में एक तिहाई हिस्सा रखने वाला पंजाब देश के अग्रणी ट्रैक्टर निर्माता के रूप में सबसे आगे खड़ा है। 34.3 प्रतिशत की प्रभावशाली हिस्सेदारी के साथ सोनालीका आई.टी.एल. ग्रुप 2023-24 में देश का सबसे बड़ा ट्रैक्टर एक्सपोर्टर (3000 करोड़ रुपए) रहा। ग्लोबल मार्केट में भारत की वर्तमान 2.2 प्रतिशत हिस्सेदारी अगले 2-3 वर्षों में ब्राजील, अर्जेंटीना, तुर्की, सार्क व अफ्रीकी देशों जैसे उभरते बाजारों में बढ़ाने से सालाना 2 लाख से अधिक ट्रैक्टर एक्सपोर्ट की संभावना है।

देश के खेल सामान उत्पादन में 45 प्रतिशत योगदान वाले जालंधर के स्पोर्टस गुड्स सैक्टर का एक्सपोर्ट में भले ही  75 प्रतिशत योगदान है, पर दुनिया के बाजार में 42.2 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ चीन छाया है, जबकि भारत की हिस्सेदारी मात्र 0.56 प्रतिशत है। जालंधर के खेल सामान एक्सपोर्टर्स के लिए सही समय है कि वे अमरीका, ब्रिटेन, ब्राजील, जर्मनी, मैक्सिको, दक्षिण अफ्रीका, कोलंबिया व अर्जेंटीना जैसे देशों में एक्सपोर्ट विस्तार करके वैश्विक मंच पर अपनी अमिट छाप छोड़ें। ओलंपिक में क्रिकेट शामिल किए जाने की संभावना जालंधर के लिए एक अच्छा मौका साबित हो सकती है। 

आगे की राह : पंजाब के एम.एस.एम.ईज को चीन व जर्मनी जैसे देशों के एम.एस.एम.ईज के मुकाबले आगे बढ़ाने के लिए वाघा बॉर्डर के रास्ते मिडल-ईस्ट खाड़ी देशों, सी.आई.एस. देशों, यूरोप व अमरीका से दोतरफा व्यापार की शुरूआत जरूरी है। एम.एस.एम.ईज पर बैंकों के कर्ज पर महंगे ब्याज (10 से 12 प्रतिशत) की मार है। दुनिया के अग्रणी देशों के मुकाबले उन्हें ब्याज में स्पैशल सबसिडी की जरूरत है। दुनिया के एक्सपोर्ट बाजार की अगुवाई करने वाले चीन के एम.एस.एम.ईज को मात्र 3.1 प्रतिशत, वियतनाम 4.5 प्रतिशत, मलेशिया व थाईलैंड में कर्ज पर ब्याज दर केवल 3 प्रतिशत है। प्रतिस्पर्धी एवं कारगर लॉजिस्टिक एक्सपोर्ट की नींव है। पंजाब से समुद्री पोर्ट के लिए राज्य की अपनी मालगाडिय़ां चलाने से माल भाड़े का बोझ काफी हद तक कम किया जा सकता है। इससे एक्सपोर्ट के साथ रोजगार के नए अवसर बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।(लेखक कैबिनेट मंत्री रैंक में पंजाब इकोनॉमिक पॉलिसी एवं प्लाङ्क्षनग बोर्ड के वाइस चेयरमैन भी हैं)-डा. अमृत सागर मित्तल(वाइस चेयरमैन सोनालीका)


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