जवाबदेह व पारदर्शी प्रशासन के लिए ‘पंजाब एफिशिएंसी कमीशन’ बने

punjabkesari.in Wednesday, Dec 04, 2024 - 05:28 AM (IST)

तेजी से बदलती दुनिया में सरकारों से प्रभावी, पारदर्शी व जन-केंद्रित शासन की दरकार है। दुनियाभर में सरकारें ब्यूरोक्रेसी की मानसिकता व जनता की समस्याओं के असल समाधान के बीच गहराती खाई की चुनौती से जूझ रही हैं। ऐसी चुनौतियों से निपटने के लिए हाल ही में अमरीका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के नेतृत्व में दिग्गज कारोबारी एलन मस्क व विवेक रामास्वामी के निर्देशन में ‘डिपार्टमैंट ऑफ गवर्नमैंट एफिशिएंसी’ (डोज) जैसी पहल से वहां की तमाम सरकारी प्रक्रियाओं को सरल, तेज व असरदार बनाने के प्रयास किए जाएंगे। अपनी समृद्ध विरासत व मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति के साथ प्रशासनिक सुधारों की ऐसी पहल पंजाब को नई दिशा में आगे ले जा सकती है।

शासन की मौजूदा स्थिति : शिक्षित मैनपावर, समृद्ध कृषि अर्थव्यवस्था व उद्यमशील एम.एस.एम.ईज के दम पर पंजाब ने सराहनीय प्रगति की है, पर जनसेवाओं में बाधाएं, संसाधनों का दुरुपयोग व सरकारी नीतियों का प्रभावी ढंग से लागू न होना जैसी समस्याएं राज्य के बहुमुखी विकास में रुकावट हैं। नीति आयोग के गुड गवर्नैंस इंडैक्स 2024 के मुताबिक, स्वास्थ्य, शिक्षा व कल्याणकारी योजनाओं में केरल और इंफ्रास्ट्रक्चर, इंडस्ट्रियल डिवैल्पमैंट व सार्वजनिक कल्याण में तमिलनाडु जैसे अग्रणी राज्यों की तुलना में पंजाब पीछे है।

पंजाब के प्रशासनिक ढांचे में 50 प्रमुख विभाग व उनसे जुड़े 163 संगठन और 75 से अधिक एडमिनिस्ट्रेटिव सैक्रेटरीज में से बहुत से वरिष्ठ अधिकारी किसी एक ही सैक्टर की सेवाओं में लगे हैं, जिससे किसी एक अधिकारी की जवाबदेही तय करना मुश्किल है। उदाहरण के लिए अकेले इंडस्ट्रियल सैक्टर से जुड़ी सेवाओं के लिए 17 विभागों को 20 एडमिनिस्ट्रेटिव सैक्रेटरी देखते हैं।

एफिशिएंसी कमीशन : ‘पंजाब एफिशिएंसी कमीशन’ (पी.ई.सी.) स्थापित कर चुनौतियों का समाधान किया जा सकता है। चीफ सैक्रेटरी स्तर के वरिष्ठ अधिकारी के नेतृत्व में यह कमीशन सैंट्रलाइज्ड अथॉरिटी के तौर पर सीधे मुख्यमंत्री को रिपोर्ट करे। पी.ई.सी. तमाम विभागों के बीच तालमेल स्थापित करने के साथ अधिकारियों के कामकाज में कुशलता व सरकारी नीतियों को कारगर ढंग से लागू कराने के अलावा डाटा संचालित शासन प्रणाली से जवाबदेह व पारदर्शी सुशासन का बैंचमार्क स्थापित करे। 

सुधार के मुख्य स्तंभ 

जवाबदेही व पारदर्शिता : ‘पंजाब एफिशिएंसी कमीशन’ के तहत एक राज्य स्तरीय ‘अकाऊंटेबिलिटी ऑफिस’ स्थापित किया जा सकता है, जो विभागों के कामकाज का ऑडिट, खर्चों पर निगरानी व विकास कार्य योजनाओं की प्रगति रिपोर्ट सार्वजनिक करे। 

डिजिटल बदलाव : हालांकि पंजाब ने डिजिटल शासन में काफी प्रगति की है लेकिन वैश्विक मानकों को अपनाकर और अधिक सुधार किए जा सकते हैं। अमरीका का ‘यूएसए डॉट गवर्नमैंट’ पोर्टल नागरिकों के लिए एक वन-स्टॉप प्लेटफॉर्म है। इंटीग्रेटिट डिजिटल पोर्टल पर पंजाब में लाइसैंस, टैक्स भरने व शिकायत दर्ज करने का एक मंच हो। रोजमर्रा की जरूरी सेवाओं को मोबाइल एप्लीकेशन के जरिए ट्रैक किया जा सके कि फाइल कहां तक पहुंची व संबधित विभाग द्वारा कब तक इस पर काम पूरा किया जाएगा। 

परफॉर्मैंस ट्रैकिंग डैशबोर्ड : अमरीका में राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में लागू ‘परफॉर्मैंस डॉट गवर्नमैंट’ की तर्ज पर पंजाब एक ऐसा ‘परफॉर्मैंस ट्रैकिंग डैशबोर्ड’ विकसित कर सकता है, जो स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, इंडस्ट्री और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे प्रमुख सैक्टरों की प्रगति पर नजर रखे।

पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पी.पी.पी.) : पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल ने इंफ्रास्ट्रक्चर एवं सर्विस डिलीवरी में उल्लेखनीय सुधार किया है। हाईवे से लेकर हैल्थकेयर और शिक्षा के क्षेत्र में सरकारों ने विशेषज्ञों की मदद से सेवाओं को कम लागत पर बेहतर किया है। उदाहरण के लिए अमरीका के टेनेसी राज्य ने डेटा आधारित बजटिंग मॉडल लागू करके शिक्षा एंव स्वास्थ्य सेवाओं पर लागत घटाकर गुणवत्ता बढ़ाई है। हालांकि पी.पी.पी मॉडल में पंजाब सरकार स्वास्थ्य, शिक्षा व इंफ्रास्ट्रक्चर में 60,000 करोड़ रुपए के 147 प्रोजैक्ट एक्सपर्ट की मदद से बेहतर ढंग से चला रही है। यह मॉडल कृषि क्षेत्र के बेहतर विकास में मददगार हो सकता है। खेतों की मिट्टी की गुणवत्ता, मौसम की सटीक जानकारी और नए कृषि समाधानों के लिए तकनीकी कंपनियों के साथ सांझेदारी में खेती को और अधिक फायदेमंद बनाया जा सकता है। 

मानव संसाधन में निवेश : सरकारी कर्मचारियों व अधिकारियों को नए तकनीकी प्रबंधन व डिजिटल उपकरणों में ट्रेङ्क्षनग से तेजी से बदलते समय के साथ भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करने की जरूरत है। देश के शीर्ष संस्थानों के साथ सांझेदारी में नई प्रबंधन तकनीकों, डाटा एनालिसिस व डिजिटल उपकरणों में कुशल मैनपावर जहां सरकार को शासन की उभरती चुनौतियों से निपटने में सक्षम करेगी, वहीं उनकी जवाबदेही भी तय हो सकेगी। 

जन भागीदारी : सार्वजनिक सुनवाई के जरिए शासन में जनता की भागीदारी का अमरीकी मॉडल पंजाब के लिए फायदेमंद हो सकता है। हालांकि भगवंत मान सरकार ने ‘सरकार तुहाडे द्वार’ और ‘सरकार व्यापार मिलनी’ जैसे कार्यक्रमों की पहल की है, पर जनता के साथ नियमित जुड़ाव के लिए ऐसे और अधिक कार्यक्रम शुरू करने की जरूरत है, ताकि अधिक से अधिक लोगों के बीच जाकर उनकी समस्याओं को समझा जा सके और उसके मुताबिक पॉलिसी व शासन में सुधार हो सकें।(लेखक कैबिनेट मंत्री रैंक में पंजाब इकोनॉमिक पॉलिसी एवं प्लानिंग बोर्ड के वाइस चेयरमैन भी हैं)-डा. अमृत सागर मित्तल(वाइस चेयरमैन सोनालीका)


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