सजा ऐसी कि ‘रूह’ भी कांप जाए
punjabkesari.in Monday, Dec 30, 2019 - 04:43 AM (IST)
बात मौत की सजा की करें तो गुनहगारों को सजा की परम्परा प्राचीन काल से चली आ रही है, सिर्फ सजा का तरीका स्थान और समय के हिसाब से अलग-अलग रहा है। दुनिया के अलग-अलग देशों में अपराधी को दर्दनाक मौत की सजा अलग-अलग ढंग से दी जाती थी, जिससे देखने वालों तक की रूह कांप उठती थी।
मध्यकाल में अपराधी को सजा देने के लिए अपराधी को बीच से चीर दिया जाता था। यूरोप में कुछ साल पहले एक अपराधी को सजा देने के लिए उसे कीलों वाली कुर्सी पर बैठाकर बांध दिया जाता था फिर उसके नीचे आग लगाकर रख दी जाती थी, जिसके बाद अपराधी के शरीर के बैठे हुए निचले हिस्से में आग पहुंचती थी तब वह छटपटाता था, इससे कुर्सी में मौजूद कीलों से उसका शरीर लहूलुहान हो जाता था और अंत में अपराधी की मृत्यु हो जाती थी। मध्यकाल में कैदियों को एक विशेष तरह के सैल में रखा जाता था। जिसके हर हिस्से में लोहे की कीलें मौजूद होती थीं। पूछताछ के दौरान गुनाह न कबूलने पर उन्हें उन कीलों पर लिटाकर धकेला जाता था जो उनके शरीर को चीर कर रख देती थीं।
इस्लाम के शुरूआती दौर में ऐसी ही दर्दनाक सजा मोहम्मद बिन कासिम नामक सिपहसालार को मिली थी। कासिम को बैल की खाल में जिंदा लपेटकर मरने की सजा दी गई थी। मोहम्मद बिन कासिम इस्लाम के शुरूआती काल में उमय्यद खिलाफत का एक अरब सिपहसालार था। उसने 17 साल की उम्र में भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमी इलाकों पर हमला किया था और सिंधु नदी के साथ लगे सिंध और पंजाब क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया। यह अभियान भारतीय उपमहाद्वीप में आने वाले मुस्लिम राज का एक बुनियादी घटनाक्रम माना जाता है। इसने सर्वप्रथम हिंदुस्तान पर जजिया लगाया। मोहम्मद बिन कासिम ने सिंध के राजा दाहिर सेन को हराने के बाद उसकी तीन बेटियों को तोहफा बनाकर सीरिया में खलीफा के लिए भेजा तो राजा दाहिर सेन की तीनों बेटियों ने खलीफा से मोहम्मद बिन कासिम द्वारा उनसे दुष्कर्म की बात कही।
इसे खलीफा ने अपना अपमान समझा, इसी कारण खलीफा ने बिन कासिम को बैल की चमड़ी में लपेट कर वापस दमिश्क मंगवाया और दम घुटने से वह मर गया लेकिन बाद में खलीफा को पता चला कि राजा दाहिर सेन की बेटियों ने झूठ बोला तो उसने तीनों बेटियों को जिंदा दीवार में चिनवा दिया। दूसरी घटना में ईरानी इतिहासकार बलाजुरी के अनुसार कहानी अलग थी। नया खलीफा हज्जाज का दुश्मन था और उसने हज्जात के सभी सगे-संबंधियों को सताया। बाद में उसने बिन कासिम को वापस बुलवाकर ईराक के मोसुल शहर में बंदी बनाया और वहीं उस पर कठोर व्यवहार और पिटाई की गई जिसके चलते उसने दम तोड़ दिया।