शांति, सद्भावना और विकास के मसीहा थे प्रकाश सिंह बादल
punjabkesari.in Friday, Dec 08, 2023 - 05:54 AM (IST)

स.प्रकाश सिंह बादल को हम से बिछड़े कुछ ही महीने गुजरे हैं मगर उनकी दूरंदेशी शख्सियत की महक आज भी हमारे बीच है। यह महक खालसा पंथ और पंजाब को समॢपत तथा प्यार करने वाले प्रत्येक बच्चे, बुजुर्ग तथा नौजवानों के मन में समाई हुई है। ऐसा प्रतीत होता है कि वह आज भी हमारे बीच ही बैठे हैं। उनके बेशुमार चाहने वाले उनके जन्मदिन की तैयारी में अपने-अपने फर्ज निभाने में व्यस्त हैं पर मैं यह देख सकता हूं कि वह सभी एक-दूसरे से अपने मन के अंदर की एक उदासी को छुपा रहे हैं।
एक लम्बे अर्से के बाद यह पहली बार है कि हम उनका जन्मदिन एक ऐसे वक्त पर मना रहे हैं जब वह खुद हमारे बीच नहीं हैं। उनके जीवन की कई परतें थीं। वह कभी भी केवल प्राइवेट शख्सियत नहीं रहे। मैंने हमेशा लोगों से ‘साडे बादल साहिब’ कहते ही सुना है। स. बादल साहिब एक परिवार के नहीं बल्कि समस्त पंजाब के लोगों के हैं। किसी के पिता समान, किसी के भाई, किसी के दोस्त या फिर किसी के पारिवारिक सदस्य। पंजाब तथा पंजाबियों के साथ उनका रिश्ता जज्बाती था।
इस उदासी से पार एक और जज्बा भी है जो बादल साहिब ने प्रत्येक अकाली नेता, वर्कर तथा हर पंजाबी के मनों में मजबूत किया। उन्होंने अपनी जवानी के करीब सभी साल संघर्ष और जेलों में बिताए। इसके बावजूद मैंने या किसी अन्य ने उनके मन में कभी भी द्वेष की भावना नहीं देखी। उनकी शख्सियत में यह विशेष गुण महान गुरु साहिबान के प्रति उनकी श्रद्धा और गुरबाणी में अटूट विश्वास की देन थी। मेरे पूरे बचपन और जवानी के दौरान बादल साहिब का ज्यादातर समय जेलों और अकाली संघर्षों में गुजरा। इसलिए मेरा और मेरी इकलौती बहन का बचपन अन्य बच्चों से भिन्न था।
जब बादल साहब ने 1997 में तीसरी बार पंजाब के मुख्यमंत्री के तौर पर पद सम्भाला तो उस समय पंजाब बुरी तरह से उजड़ा पड़ा था। करीब 20 वर्ष लम्बे कांग्रेसी सरकारों तथा गवर्नरी राज के सरकारी दमन के कारण गांव-गांव प्रताडि़त था। पहले 1984 में सचखंड श्री हरिमंदिर साहिब पर दर्दनाक सैन्य कार्रवाई और बाद में पुलिस द्वारा चलाई गई दमनकारी नीति में हजारों सिख नौजवान शहीद हो गए थे। ऐसे ही हजारों नौजवानों को पंजाब और देश छोड़ कर विदेश का रुख करना पड़ा था। ऐसे पंजाब में यदि कोई तरक्की या खुशहाली की बात करता तो वह बात कुछ अजीब लगती।
इसीलिए बादल साहिब ने सबसे पहले पंजाबियों के दुख-दर्द को समझने और उन्हें दूर करने पर बल दिया और घर-घर जाकर उनके हृदयों पर मरहम लगाने के लिए सिख इतिहास से प्रेरणा लेते हुए ‘संगत दर्शन’ शुरू की है। पंजाबियों का इस कद्र हौसला टूट चुका था कि वह अपने मुद्दे हल करवाने के लिए चंडीगढ़ आकर मुख्यमंत्री को मिलने के साधन और बल नहीं रखते थे। संगत दर्शन के बाद पंजाबियों को अहसास हुआ कि यदि कोई उनके दर्द को समझने वाला व्यक्ति है तो इस वक्त उनका मुख्यमंत्री ही है।
दूसरा सबसे नाजुक और अहम कार्य पंजाब के अंदर शांति और सद्भावना को फिर से कायम करना था। सत्ता हासिल करने के लिए पंजाबियों के मनों में हिन्दू सिख साम्प्रदायिक नफरत के बीज बो दिए गए थे। दूसरी ओर सिख कौम को तिनका-तिनका कर बर्बाद करने के लिए खालसा पंथ के अंदर ही भाई से भाई को मरवाने की जंग शुरू की गई थी। बादल साहिब ने हिन्दू-सिख के दरम्यिान सद्भावना को फिर से स्थापित करने का बीड़ा उठाया। शांति, सद्भावना के इस माहौल के कारण ही पंजाब फिर से तरक्की की राहों पर निकल पड़ा। सबसे पहले बादल साहिब पंजाब में 22.50 हजार करोड़ की श्री गुरु गोङ्क्षबद सिंह रिफाइनरी लेकर आए। जो आज तक का सबसे प्यारा पंजाब का प्रोजैक्ट है। इसके बाद बादल साहिब ने तत्कालीन पंजाबी प्रधानमंत्री श्री इन्द्र कुमार गुजराल द्वारा पंजाबियों के सिर पर चढ़ा 8500 करोड़ रुपए का कर्ज भी एक ही झटके से माफ करवा दिया, जोकि एक असंभव-सी बात थी। इसके लिए पंजाब सदैव ही गुजराल साहिब का ऋणी रहेगा।
इसके बाद विकास के पहिए तेजी से घूमने लगे। किसानों के ट्यूबवैल के बिल बादल साहिब ने कैबिनेट की पहली ही मीटिंग में माफ कर दिए। पंजाब में पंजाबी भाषा को मातृभाषा का दर्जा देना और उसे लागू करना स. बादल और अकाली दल की प्राथमिकता थी। आज किसान और शिरोमणि अकाली दल को भी चिन्ता है कि फसलों का एम.एस.पी. खत्म न कर दिया जाए। यह एम.एस.पी. बादल साहिब ने लागू करवाया था। उन्होंने पंजाब में नहरों का जाल बिछाया जिससे हर खेत को पानी लगता दिखाई दिया। शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों में भी पंजाब को 19वीं सदी में से निकाल कर 20वीं सदी में दाखिल करना यह सब रिकार्ड की बात है।
कांग्रेस पंजाब की समस्या को पुलिस और सेना द्वारा पंजाबियों विशेषकर सिखों को कुचलने में यकीन रखती थी। बादल साहिब ने पुलिस को नकेल डाली जिससे सिखों के दिलों पर मरहम लगी। लम्बे समय से सिखों के खिलाफ बनाई गई काली सूचियों को खत्म करवाया गया। भाई दविंद्र पाल सिंह भुल्लर तथा भाई राजोआणा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की ओर से दी गई फांसी की सजाओं पर रोक लगवाई और अब उनकी स्थायी रिहाई के प्रयत्न जारी हैं। स. बादल एक शांत, अमन पसंद तथा सद्भावना के रास्ते पर चलते हुए एक उन्नत पंजाब के सपने हर पल लेते रहते थे और इसी के लिए अपनी अंतिम सांसों तक समर्पित रहे। शिरोमणि अकाली दल इन सपनों को पूरा करने के लिए वचनबद्ध है। हमारी ओर से बादल साहिब को श्रद्धांजलि देने का यही वास्तविक और सबसे बढिय़ा तरीका है। हम सब मिलकर पंजाब को आगे ले जाने के लिए उन साजिशों को पहचानें तथा उन्हें असफल करें जोकि बेगाने लोगों ने हमारे ही खिलाफ रची हुई हैं।-सुखबीर सिंह बादल(शिअद अध्यक्ष एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री पंजाब)