प्रकाश सिंह बादल : उम्र के 9वें दशक बाद भी कायम रहा खेतीबाड़ी, बागवानी से लगाव

punjabkesari.in Friday, Apr 28, 2023 - 05:58 AM (IST)

सितम्बर 2019 में पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का मौजगढ़ गांव स्थित जाखड़ फ्रूट फार्म में आगमन भले ही ज्यादातर लोगों की निगाह में नहीं आया लेकिन यह हकीकत आश्चर्यजनक थी कि वह विशेष रूप से आधुनिक खेतीबाड़ी व बागवानी के लिए अपनाए जा रहे नवीनतम उपकरणों व खोज से रू-ब-रू होने आए थे। यह उनके जीवन का 91वां वर्ष था। उन्होंने पूर्व सहकारिता मंत्री सज्जन कुमार जाखड़ से सामाजिक स्तर पर मुलाकात के बाद जाखड़ परिवार की तीसरी पीढ़ी के सदस्य अजयवीर व चौथी पीढ़ी का नेतृत्व कर रहे जयवीर जाखड़ से ग्रीन हाऊस फार्मिंग पर चर्चा करने के अलावा किन्नू ग्रेडिंग व वैक्सीन के लिए स्थापित आधुनिकतम प्लांट के बारे में भी प्रत्यक्ष जानकारी प्राप्त की। 

देश के विभाजन से पूर्व पश्चिमी पंजाब से आकर अबोहर से सटे श्रीगंगानगर क्षेत्र में बंजर धरती को उपजाऊ बनाकर विशाल कृषि फार्म स्थापित करने के साथ-साथ फलोत्पादन की शुरूआत करने वाले लायलपुर फार्म के प्रणेता करतार सिंह नरूला ने लंबी मुलाकात के दौरान इन पंक्तियों के लेखक को जानकारी दी थी कि प्रकाश सिंह बादल और बलराम जाखड़ अपनी-अपनी जीप में एक ही दिन, एक ही समय पर उनसे फलोत्पादन के बारे में विचार-विमर्श करने आया करते थे और इसी फार्म से पहले माल्टा और फिर किन्नू उगाने के लिए पौधे लेकर जाया करते थे। नरूला परिवार के लोग प्राय: कहा करते थे कि बलराम और बादल की जोड़ी आ गई। 

बादल साहिब के लिए अपने गांव की उपजाऊ भूमि पर बाग विकसित करना मुश्किल नहीं था लेकिन बलराम जाखड़ के सामने जो चुनौतियां थीं, उन्हें सांझा करते हुए वह प्राय: कहा करते थे कि टीलों से घिरे मौजगढ़ गांव में जब मैं बाग लगाने की बात करता हूं तो लोग कहते हैं कि जाट का छोरा लाहौर में पढ़ाई करने के बाद  बावला हो गया। भला रेतीली धरती पर फल कैसे उगाए जाएंगे। लेकिन इस जोड़ी ने न केवल अपने बागों में बेहतरीन माल्टा और किन्नू, बल्कि अंगूर भी उगाने का करिश्मा कर दिखाया। दोनों में बागों की प्रगति को लेकर अक्सर विचार-विनिमय हुआ करता था। दोनों की मुलाकातें राजनीति से अछूती और पारिवारिक व कृषि विकास के मुद्दों तक सीमित रहती थीं। 

सितम्बर 2019 में भी बादल साहिब ने भले ही मौजगढ़ में डेढ़ घंटा बिताया लेकिन मेजबान परिवार का कहना था कि राजनीति पर एक मिनट भी चर्चा नहीं हुई। दोनों कद्दावर नेताओं के परिवारों की दूसरी पीढ़ी राजनीतिक जीवन में प्रवेश कर गई। वैचारिक मतभेदों के बावजूद कटुता लक्ष्मण रेखा न पार करे, इस बात का ध्यान दोनों शीर्ष नेता रखा करते थे। बादल साहिब का पुरानी यादों पर आधारित जाखड़ साहिब से प्रेम का परिणाम ही था कि जब 2015 में अबोहर व आसपास का क्षेत्र बाढग़्रस्त हो गया, तब नेता प्रतिपक्ष सुनील जाखड़ के आग्रह पर, सत्तारूढ़ दलों के कार्यकत्र्ताओं के विरोध के बावजूद, श्री बादल विशेष रूप से राजीव नगर अबोहर की स्थिति का जायजा लेने आए और लोगों को राहत देने के आदेश भी जारी कर दिए। 

हालांकि सुनील जाखड़ अपने उस कार्यकाल में राजनीतिक स्तर पर बादल परिवार के कट्टर आलोचक माने जाते थे लेकिन जब नई आबादी को पुराने अबोहर शहर से जोडऩे के लिए स्टील ब्रिज बनाने की जरूरत महसूस की गई तो बादल साहिब ने मुख्यमंत्री होने के नाते 10 करोड़ रुपए की अनुदान राशि जारी करने में विशाल हृदय होने का परिचय दिया। प्रकाश सिंह बादल के बलराम जाखड़ से स्नेह का परिचायक वह दिन भी था, जब वह विशेष रूप से दिल्ली में विश्राम कर रहे जाखड़ साहिब से मुलाकात करने गए और आधा दिन उन्हीं के पास रहे। तब भी दोनों में देश की कृषि नीति व किसानों के उत्थान के मुद्दों पर सारगॢभत चर्चा होने की पुष्टि दोनों नेताओं के निकटवर्तियों ने की थी।-राज सदोष     


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