ओमान में बलोची जनसंख्या

Saturday, Aug 26, 2017 - 01:26 PM (IST)

भारत के पड़ौसी मुस्लिम देश ओमान की कुल जनसंख्या लगभग 46 लाख है। ओमान में लगभग आधी जनसँख्या बलोचियों की है जो वषों पूर्व पाकिस्तान से माइग्रेट होकर आये थे एवं अब ओमान के नागरिक हैं। जब मैं ओमान में रहता था तब ओमान के वास्तविक नागरिकों (जैसे अमेरिका में रेड इंडियन्स हैं) के मुख पर एक भय की रेखा स्पष्ट देखता था, वो दबे स्वरों में कहते थे कि जिस दिन ओमान के सुल्तान 'सुल्तान क़ाबुस बिन सईद अल सईद' इस संसार से विदा ले लेंगे तो ये बलोच ओमान में तख्ता पलट के लिए विद्रोह कर देंगे, सुल्तान काबुस के कोई सन्तान भी नहीं है। बलोची वैसे भी साहसी होते हैं, इसके विपरीत ओमान के वास्तविक नागरिक हम हिन्दुओं की तरह शान्तिप्रिय होते हैं, देखने वाली बात ये है कि दोनों ही मुस्लिम हैं, पर दोनों में रात-दिन का अन्तर है।

सुल्तान क़ाबुस बिन सईद अल सईद लगभग 77 वर्ष के हैं। भगवान उनको अच्छा स्वास्थ्य व दीर्घायु प्रदान करें। पर ये सच्चाई है कि एक दिन ओमान में बलोची तख्ता पलट करेंगे एवं उसके बाद एशिया में 'आफ्टर इफ़ेक्ट' जो भी होंगे वो भारत के लिए अच्छे तथा पाकिस्तान के लिए बुरे होंगे। क्योंकि जिस दिन ओमान में बलोचियों का शासन आएगा उसी दिन से पाकिस्तान में बलोचिस्तान को आज़ाद कराने की बहुत बड़ी मुहिम प्रारम्भ हो जाएगी। बलोच इतने खुन्दक खाये हुए हैं कि वो पाकिस्तान के कम से कम पाँच टुकड़े कराके मानेंगे। भारत के लिए ये बहुत अच्छा होगा। भारत के लिए काश्मीर समस्या का बैठे बिठाये समस्या का समाधान हो जाएगा।

जिस प्रकार चीन ने पाकिस्तान में ग्वादर पोर्ट को बनाने में अरबों रुपये खर्च किए हैं, हमें कुछ भी खर्च किये बिना ही ओमान का 'सुल्तान काबुस पोर्ट' प्रयोग करने के लिए मिलेगा। ओमान के सुल्तान क़ाबुस पोर्ट का महत्व वही है जो दुबई के 'जेबेल अली पोर्ट' अथवा पाकिस्तान के 'ग्वादर पोर्ट' का है।NAMO का उल्टा OMAN होता है। मोदीजी अगले कुछ दिनों में ओमान यात्रा पर जा रहे हैं, सुल्तान काबुस पोर्ट को भारत के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार वृद्धि में प्रयोग करने पर डील होगी। इस बंदरगाह को भारत के वैश्विक व्यापार (आयात-निर्यात) के हितों से जोड़ कर देखा जाना चाहिए। पीएम मोदीजी की ये ओमान यात्रा भारत के सुनहरे भविष्य के लिए मील का पत्थर सिद्ध होगी।

 
                                                     ये लेखक के अपने विचार है।
                                                      राजपाल दूलर
 

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