देश की सभी समस्याओं का मूल कारण ‘जनसंख्या विस्फोट’

punjabkesari.in Thursday, Aug 22, 2019 - 01:38 AM (IST)

आदरणीय नरेन्द्र मोदी जी, इस बार लाल किले की प्राचीर पर खड़े होकर 15 अगस्त को जब आप भाषण कर रहे थे तो मैं परिवार सहित एक-एक शब्द बड़े ध्यान से सुन रहा था। आपका एक-एक शब्द नए भारत के निर्माण का आह्वान था परन्तु ज्यों ही आपके मुंह से शब्द निकले- ‘‘जनसंख्या विस्फोट आने वाली पीढ़ी के लिए एक बहुत बड़ा संकट है। छोटा परिवार रख कर भी कुछ लोग देश की सेवा कर रहे हैं’’ तो मैं सुनते ही खुशी से उछल पड़ा और अपनी धर्मपत्नी से कहा कि कश्मीर की धारा 370 समाप्त होने के बाद मुझे यही आशा थी कि आपकी कार्य सूची में दूसरा स्थान जनसंख्या नियंत्रण का होगा। 

आपको याद होगा एक बार लोकसभा सत्र के दौरान आपने सभी सांसदों को 25-30 के समूह में बारी-बारी अपने निवास पर प्रात:काल अल्पाहार के लिए बुलाया था। आपके साथ अल्पाहार का सौभाग्य मिला और  उसके बाद आपने हम सबके साथ केन्द्रीय सरकार की विभिन्न योजनाओं के संबंध में बातचीत की। मुझे याद है, मैंने कहा था-‘‘आपकी योजनाएं देश का कायाकल्प करेंगी। सभी योजनाएं अंत्योदय की भावना से चलाई जा रही हैं, लेकिन एक कठिनाई यह है कि प्रदेशों में सरकार किसी भी पार्टी की हो, परन्तु नीचे का प्रशासन तंत्र न तो पूरा दक्ष है और न ही ईमानदार है। फिर भी 60-70 प्रतिशत योजनाएं लागू हो रही हैं।’’ 

फिर मैंने रुक कर आपकी ओर देख कर यह कहा था- ‘‘परन्तु मुझे क्षमा करें। इन सब योजनाओं के लाभ का बहुत बड़ा भाग बढ़ती आबादी का राक्षस निगलता जा रहा है।’’ इस पर थोड़ी चर्चा चली। तब अनंत कुमार जी जीवित थे। वह आपके पास बैठे थे। उन्होंने मेरी ओर देख कर मुझे इशारा किया। मैं समझ गया। हम चुप हो गए थे। तब आपने ये शब्द कहे थे- ‘‘सब मेरे ध्यान में है, ठीक समय की प्रतीक्षा ......’’ उसके बाद एक दिन सदन में अनंत कुमार जी से इस संबंध में मेरी विस्तृत चर्चा हुई थी। 

पिछले कई वर्षों से मैं इस समस्या के संबंध में लगातार बोलता रहा हूं, लिखता रहा हूं। आपको इस संबंध में दो लम्बे पत्र भी लिखे थे। एक बार आपसे मिला था, लम्बी चर्चा भी की थी। ‘पंजाब केसरी’ में छपे मेरे एक लेख का शीर्षक था-‘आबादी घटाओ वरना बर्बादी के लिए तैयार रहो।’ बढ़ती आबादी सचमुच एक विस्फोट का रूप ले रही है। आपके सभी प्रयत्नों के बाद भी आॢथक विषमता इतनी है कि ग्लोबल हंगर इंडैक्स के अनुसार करीब 18 करोड़ भारतीय रात को लगभग भूखे पेट सोते हैं। राष्ट्र संघ की एक रिपोर्ट के अनुसार विश्व में सबसे अधिक भूखे लोग भारत में रहते हैं। कुपोषण से मरने वाले बच्चों की संख्या विश्व में सबसे अधिक भारत में है। आॢथक विषमता भी सबसे अधिक भारत में है। कांग्रेस के शासनकाल में थोड़ा विकास तो हुआ परन्तु सामाजिक न्याय नहीं हुआ। उस समय अमीरी चमकती रही और गरीबी सिसकती रही। 

गरीबी यहां तक पहुंच गई है कि कुछ गरीब प्रदेशों के अति गरीब घरों की बेटियां खरीदी और बेची जाती हैं। पिछले दिनों असम की एक बेटी कई बार खरीदी और बेची गई और फिर बिकते-बिकते हिमाचल प्रदेश के ऊना जिला के अम्ब में पहुंची। यह सब पढ़ कर शर्म से सिर झुक जाता है। बेरोजगारी के कारण युवा शक्ति हताश और निराश हो रही है। अपराध भी बढ़ रहे हैं और आत्महत्याओं की संख्या भी बढऩे लगी है। बढ़ती आबादी के दबाव में अवैध कब्जे हो रहे हैं। राजधानी तक में अवैध कालोनियां बस गई हैं। अब उन कालोनियों को वैध करने की कार्रवाई चल रही है। आबादी बढ़ेगी तो मकान बनाने पड़ेंगे। जंगल कटेंगे, रेत की आवश्यकता होगी, रेत माफिया बनेगा, अवैध खनन होगा, अधिक गाडिय़ां चलेंगी, प्रदूषण बढ़ेगा। देश की सभी समस्याओं का मूल कारण केवल और केवल जनसंख्या विस्फोट है। 

देश की राजधानी दिल्ली गैस चैम्बर बन गई है। बच्चों के फेफड़े खराब हो रहे हैं। एम्स के डाक्टरों के अनुसार युवाओं तक में इसी कारण लंग कैंसर हो रहा है। कूड़ा-कचरा तक नहीं संभाला जा रहा। कूड़े का ढेर पहाड़ बन गया है। पिछले दिनों उसमें आग सुलगी, गिरा तो नीचे दो लोग मर गए। यह सब बढ़ती आबादी के विस्फोट का परिणाम है। नीति आयोग ने पानी के संबंध में एक ऐसी रिपोर्ट दी है जिसे पढ़ कर डर लगने लगा है। रिपोर्ट में कहा है कि 60 करोड़ भारतीय भयंकर पानी की समस्या से जूझ रहे हैं। 2 लाख प्रतिदिन शुद्ध पानी की कमी के कारण मरते हैं। 60 प्रतिशत पेयजल पीने योग्य नहीं है। गुणवत्ता की दृष्टि से विश्व के 122 देशों में भारत बहुत नीचे 120वें स्थान पर है। 75 प्रतिशत घरों में पानी का प्रबंध नहीं है। 54 प्रतिशत भूमिगत पानी के कुओं का स्तर घट रहा है। 21 प्रमुख नगरों में 2020 तक पानी उपलब्ध नहीं होगा। 

पानी कम होने के कुछ और कारण भी हो सकते हैं, परन्तु 80 प्रतिशत कारण केवल और केवल बढ़ती आबादी का विस्फोट है। यह सोच कर और भी अधिक ङ्क्षचता होती है कि आप और केन्द्र सरकार दिन-रात पूरा परिश्रम करके एक खुशहाल नए भारत का निर्माण करने में लगे हैं परन्तु जनसंख्या विस्फोट के कारण सभी प्रयत्न निष्फल होते हुए दिखाई देते हैं। मैंने देश के स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में प्रमुख रूप से क्रांतिकारी आंदोलन का विशेष अध्ययन किया था। उस संबंध में मैंने एक पुस्तक ‘धरती है बलिदान की’ लिखी थी। फांसी के फंदों पर झूलते हुए वे शहीद एक ही अंतिम इच्छा प्रकट करते थे कि अंग्रेज जाएं और एक खुशहाल भारत बने। परन्तु दुर्भाग्य से देश में चार भारत बन गए। पहला-लूटने वालों का मालामाल भारत। माल्या और नीरव मोदी लगभग 25,000 करोड़ रुपए लूट कर भाग गए। ऐसे लगभग 40 लोग भाग कर विदेशों में बैठे हैं। इस बात की खुशी है कि अब यह लूट बंद है और आप उन लुटेरों को वापस लाने की कोशिश कर रहे हैं। दूसरा- खुशहाल भारत, तीसरा-सामान्य भारत और चौथा-भूखा भारत। 

आपने अपने भाषण में बिल्कुल ठीक शब्द प्रयोग किए हैं-जनसंख्या विस्फोट। अब यह समस्या नहीं रही। आपदा भी नहीं है। अब इसने एक खतरनाक बम का रूप ले लिया है। विस्फोट होना शुरू हो गया है। अब सचमुच पानी सिर से ऊपर निकल रहा है। कश्मीर समस्या पर एक राष्ट्रीय सहमति बनी थी। उस कारण बहुत से लोगों, राजनीतिक दलों ने और यहां तक कि कांग्रेस के कुछ नेताओं ने आपके निर्णय का खुल कर समर्थन किया था। उससे भी अधिक, राष्ट्रीय सहमति जनसंख्या नियंत्रण पर बन चुकी है। मैं एक बार फिर इस पत्र द्वारा आपसे विशेष आग्रह कर रहा हूं कि अब कश्मीर के बाद आपकी कार्य सूची में दूसरे स्थान पर जनसंख्या नियंत्रण है, पर निर्णय शीघ्र होना चाहिए। सचमुच पूरा देश प्रतीक्षा कर रहा है।-शांता कुमार


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