पी.एम. केयर्स-क्योंकि, परिवार नहीं मोदी करते हैं ‘देश की चिंता’

Monday, Aug 24, 2020 - 02:12 AM (IST)

चीन के वुहान से चलकर पूरी दुनिया को अपनी गिरफ्त में लेने वाले कोरोना वायरस से निपटने के लिए दुनिया की हर सरकार ने हर वे जरूरी कदम उठाए हैं जिनकी उन्हें आवश्यकता लगी। भारत इस वायरस से अछूता नहीं था। लिहाजा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में इस वैश्विक महामारी से देशवासियों को राहत पहुंचाने के लिए कई निर्णायक कदम उठाए गए। कोविड-19 महामारी जैसी किसी भी तरह की आपातकालीन या संकट की स्थिति से निपटने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ एक समर्पित राष्ट्रीय निधि की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए और उससे प्रभावित लोगों को राहत प्रदान करने के लिए आपात स्थितियों में प्रधानमंत्री नागरिक सहायता और राहत कोष (पी.एम.केयर फंड) के नाम से एक सार्वजनिक चैरीटेबल ट्रस्ट बनाया गया है। 

देश की चिंता करने वाले हर छोटे, बड़े, अमीर, गरीब, कामकाजी, नौकरीपेशा, उद्यमी व संस्थानों ने अपने सामथ्र्य के हिसाब से पी.एम. केयर्स फंड में दान देकर कोरोना के खिलाफ लड़ाई में प्रधानमंत्री के हाथों को मजबूत करने में अपना सहयोग दिया। यह तो बात हुई प्रकृतिजनित उस वायरस और उससे निपटने की जिससे पूरी दुनिया जूझ रही है। अब बात करते हैं हमारे देश के एक राज परिवार की जिसके दिमाग में पिछले 70 वर्षों से इस भारत और उसके संसाधनों को अपनी जागीर समझने का वायरस घुसा हुआ है। 

हालांकि जनता ने 2014 और 2019 में इस वायरस का वैक्सीनेशन किया मगर राज परिवार प्रेमी विशिष्ट बुद्धिजीवी गैंग की पूरी कोशिश रहती है कि यह वायरस शाही परिवार और उनके राजकुमार के दिलो-दिमाग पर हावी रहे ताकि इस गैंग की अपनी दुकानदारी चलती रहे। कहते हैं वक्त से बड़ा बलवान और न्याय से बड़ी शक्ति दूसरी नहीं होती इस लिहाज से माननीय सुप्रीमकोर्ट द्वारा पी.एम. केयर्स फंड मामले पर दिए गए फैसले के बाद फेक नरेटिव सैट करने वाला गैंग और राज परिवार के सदस्य सकते में हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पी.एम. केयर्स फंड पर ऐसे हर एजैंडेधारियों की हर आपत्ति को खारिज कर दिया और पी.एम. केयर्स फंड पर विश्वसनीयता की मुहर लगा दी है। 

इन लोगों ने सैंटर फॉर पब्लिक इंट्रैस्ट लिटिगेशन (CPIL) नाम के एक एन.जी.ओ. के जरिए सुप्रीमकोर्ट पहुंच कर पी.एम. केयर्स फंड में जमा हुए पैसों को नैशनल डिजास्टर रिस्पांस फंड यानी NDRF में ट्रांसफर करने की मांग उठाई क्योंकि इनके मुताबिक पी.एम. केयर्स फंड, वर्ष 2005 के डिजास्टर मैनेजमैंट एक्ट का उल्लंघन करता है और राष्ट्रीय आपदा के समय, सरकार को मिला कोई भी दान, अनिवार्य रूप से राष्ट्रीय आपदा राहत कोष में जाना चाहिए न कि यह पैसा पी.एम. केयर्स फंड में जाना चाहिए। सुप्रीमकोर्ट ने इनके राजनीतिक एजैंडे को ध्वस्त करते हुए अपने फैसले में यह कहा है कि ये दोनों फंड एक-दूसरे से बिल्कुल अलग हैं। 

पी.एम. केयर्स फंड एक पब्लिक चैरीटेबल ट्रस्ट है जिसमें आम लोग सीधे और स्वेच्छा से दान करते हैं, जबकि संसद में पारित कानून के तहत बने एन.डी.आर.एफ. में मुख्य योगदान केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा जमा रकम से होता है इसलिए पी.एम. केयर्स फंड में जमा रकम को राष्ट्रीय आपदा राहत कोष में ट्रांसफर करने की मांग कानून के मुताबिक सही नहीं है। 

क्योंकि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के एजैंडे में सबसे ऊपर देश, भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरैंस व पारदर्शिता सर्वोपरि है इसलिए उनके द्वारा लिए गए  हर फैसले को कुछ चुनिंदा लोगों द्वारा शक की निगाह से देखा जाता है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण उनका इतिहास और उनका आचरण है। आज पी.एम. केयर्स पर सवाल उठाने वालों के बारे में देश को पता है कि किस तरह उन्होंने पी.एम. आपदा राहत कोष को दशकों तक अपनी व्यक्तिगत सम्पत्ति के रूप में संचालित किया। इस कोष में आई रकम का अपने परिवार से जुड़े ट्रस्टों के लिए उपयोग किया। 

यह पब्लिक डोमेन में है कि किस तरह से पूर्व पी.एम. डा. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में एन.डी.आर.एफ. का पैसा राजीव गांधी फाऊंडेशन को दिया गया था और तो और राजीव गांधी फाऊंडेशन में चीनी दूतावास से फंडिंग, कांग्रेस पार्टी का चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ एम.ओ.यू., डोकलाम विवाद के समय राहुल का चोरी-छिपे चीनी दूतावास के अधिकारियों से मिलना, चीनी झड़प के दौरान सरकार-सेना पर सवाल उठाना, सरकार की जगह पार्टी से परिवार के लोगों का चीन जाना, कैलाश मानसरोवर की यात्रा के दौरान चीनी अधिकारियों से गुपचुप मुलाकात करना यह सब कांग्रेस पार्टी के साथ गांधी परिवार को संदेह के घेरे में खड़ा करता है। राजीव गांधी फाऊंडेशन की वार्षिक रिपोर्ट 2005-06 में भी कहा गया है कि राजीव गांधी फाऊंडेशन को पीपुल रिपब्लिक ऑफ चाइना के दूतावास से फंडिंग हुई है। चीनी दूतावास के अनुसार भारत में तत्कालीन चीनी राजदूत सुन युक्सी ने 10 लाख रुपए दान दिए थे। इस फंडिंग का नतीजा यह रहा कि राजीव गांधी फाऊंडेशन ने भारत और चीन के बीच मुक्त व्यापार समझौते के बारे में कई स्टडी की और इसे जरूरी बताया। यह सामान्य बात नहीं है। 

प्रधानमंत्री मोदी को परिवार नहीं बल्कि देश की चिंता है इसलिए इस सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरैंस की नीति अपनाई है जिसे संवैधानिक संस्थाओं ने प्रमाणित किया है। मोदी सरकार ईमानदारी के साथ काम करती है इसलिए जनता का आशीर्वाद मिलता है और वही ईमानदारी पी.एम. केयर्स फंड में भी दिखाई पड़ती है। पी.एम. केयर्स फंड से अब तक 3,100 करोड़ रुपए कोरोना के खिलाफ लड़ाई में दिए गए हैं, जिनमें से 2000 करोड़ रुपए वैंटीलेटर्स के लिए दिए गए हैं, 50,000 वैंटीलेटर्स पी.एम. केयर्स फंड के माध्यम से उपलब्ध कराए गए हैं जो आजादी के बाद से आज तक सर्वाधिक हैं। 

पी.एम. केयर्स फंड से 1000 करोड़ रुपए राज्यों को प्रवासी मजदूरों की व्यवस्था के लिए दिए गए। 100 करोड़ रुपए कोरोना की वैक्सीन के अनुसंधान के लिए दिए गए हैं। देश की ईमानदार जनता ने अपनी मेहनत की कमाई से पी.एम. केयर्स फंड में दान देकर कोरोना के खिलाफ जंग में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के हाथों को मजबूत करने का काम किया मगर कांग्रेस पार्टी ने इस पर सवालिया निशान लगा कर सवा सौ करोड़ देशवासियों के जज्बे का अपमान किया है जिसके लिए उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिए। भले ही सवा सौ करोड़ देशवासियों के लिए सही हो मगर कांग्रेस पार्टी के लिए ई.वी.एम. खराब है, जनधन खराब है, सर्जिकल स्ट्राइक खराब है, सी.ए.ए. खराब है, जी.एस.टी. खराब है, राफेल खराब है, तीन तलाक कानून हटाना खराब है और अब पी.एम. केयर्स खराब है मगर एक चीज जो वे कभी नहीं बताते कि उनकी नीयत खराब है।-अनुराग ठाकुर

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