दक्षिणी चीन सागर में फिलीपींस की चीन को ललकार

punjabkesari.in Thursday, Aug 24, 2023 - 04:57 AM (IST)

चीन इन दिनों फिर से फिलीपींस को परेशान करने में जुट गया है। ताजा मामला 7 अगस्त का है जब फिलीपीनी कोस्ट गार्ड अपने समुद्री सीमा क्षेत्र में सैकेंड थॉमस शॉल द्वीप जा रहे थे, जो फिलीपींस की मुख्य भूमि से दूर बसा है। उस समय चीनी युद्धपोत में तैनात चीनी सैनिकों ने इन्हें अपने ही क्षेत्र में गश्त लगाने से रोका और पानी की तेज बौछार मारकर उन्हें आगे नहीं जाने दिया। 

इस बात को लेकर फिलीपींस में चीनी राजदूत को तलब कर गहरी नाराजगी जताई गई। चीन से इस बारे में अभी तक फिलीपींस को कोई जवाब तो नहीं दिया गया है लेकिन चीन की इस हरकत का मतलब एकदम साफ है, मार्कोस जूनियर ने अमरीकी पैंटागन से फिलीपींस की सेना के साथ उन्नत रक्षा सहयोग समझौता यानी ई.डी.सी.ए. किया है। इस समझौते के तहत अमरीका को फिलीपींस में बढ़त मिलेगी जिससे चीन बुरी तरह नाराज हो गया है। जुलाई महीने में मार्कोस जूनियर की चीन यात्रा के दौरान उन पर चीन ने आपसी संबंधों को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया था। लेकिन चीन से वापस लौटने के बाद मार्कोस जूनियर की पूर्व राष्ट्रपति दुतेर्ते से मुलाकात हुई जिसके बाद अमरीका से रक्षा समझौते का कदम उठाया गया। दरअसल चीन ने अपनी आक्रामक हरकतों से 22 देशों के साथ सीमा विवाद पैदा करके अपनी साख को खराब कर लिया है। 

हाल ही में चीन द्वारा फिलीपींस पर हुई इस कार्रवाई की फिलीपींस के मित्र देशों ने निंदा की है जिसमें अमरीका सबसे आगे रहा। अमरीका ने चीन को कड़े शब्दों में चेतावनी देते हुए कहा है कि फिलीपींस की सेना, नौसेना, वायुसेना और कोस्ट गार्ड पर किसी भी बाहरी हमले का जवाब अमरीका देगा और फिलीपींस के साथ अमरीकी रक्षा समझौते के तहत कार्रवाई करेगा। वहीं मार्कोस जूनियर ने भी नपे-तुले शब्दों में चीन को सुना दिया कि फिलीपींस सभी देशों में मित्रवत व्यवहार चाहता है और दक्षिणी चीन सागर में कोई तनाव नहीं चाहता लेकिन अगर किसी देश से उसके तनावपूर्ण संबंध रहे तो फिलीपींस एक बार फिर पश्चिमी देशों के खेमे में चला जाएगा। मार्कोस जूनियर ने सत्ता संभालते ही अपने पूर्ववर्ती चीनपरस्त दुतेर्ते की ही तरह चीन के साथ दोस्ती की बात कही थी लेकिन चीन के आक्रामक रुख को देखते हुए अपनी सम्प्रभुता की रक्षा करने के लिए मार्कोस जूनियर ने अपनी विदेश नीति में बड़ा बदलाव किया और पश्चिमी देशों के करीब चले गए। 

इसके बाद फिलीपींस के अमरीकी पैंटागन के साथ रक्षा सहयोग शुरू होने लगे। अमरीका की मौजूदगी के दक्षिणी चीन सागर में बढऩे से चीन के बढ़ते कदमों पर लगाम लगेगी और पूरे दक्षिणी चीन सागर क्षेत्र में फैले दूसरे देशों के द्वीपों पर कब्जा करने से चीन दूरी बनाकर रहेगा। इस वर्ष फिलीपीनी कोस्ट गार्ड ने फिलीपींस के हिस्से और दक्षिणी चीन सागर में बसे इरोक्वीस रीफ में चीनी नौसेना के युद्धपोतों की बढ़ी हुई संख्या के बारे में बताया, इससे कुछ महीने पहले ही फिलीपींस ने चीनी युद्धपोतों पर फिलीपीनी कोस्ट गार्ड नौका पर लेजर किरणों से हमला करने की बात कही थी। 

पिछले सप्ताह फिलीपीनी कोस्ट गार्ड ने शिकायत की थी कि सैकेंड थॉमस शॉल द्वीप पर उन्होंने चीनी युद्धपोत को लंगर डाले रखा था जोकि फिलीपींस का द्वीप है लेकिन मुख्य भूमि से दूर दक्षिणी चीन सागर में स्थित है। 1990 के दशक में फिलीपीनी सैनिकों की एक टुकड़ी ने दक्षिणी चीन सागर के दक्षिणी हिस्से में रणनीतिक जगह पर स्थित इस द्वीप पर वास्तविक नियंत्रण हासिल किया था लेकिन अब चीन के युद्धपोत अक्सर यहां अवैध रूप से आते हैं और अपना डेरा डाल रहे हैं। 

चीन इस द्वीप पर अपना दावा ठोक रहा है और इसे किसी भी हालत में फिलीपींस को नहीं देना चाहता। हालांकि अंतर्राष्ट्रीय अदालत में यह मामला वर्ष 2016 में चला था और इसमें चीन के खिलाफ फैसला सुनाया गया था लेकिन चीन अपने बाहुबल के आगे किसी भी अदालत को कुछ नहीं समझता। चीन नाइन डैशलाइन के इलाके में आने वाले समुद्री क्षेत्र पर अपना दावा करता है लेकिन इसी क्षेत्र में कई दूसरे देशों के द्वीप हैं जिन पर चीन अपना अवैध दावा करता रहा है लेकिन इस बार चीन ने सारी हदें पार कर फिलीपींस को इस द्वीप को खाली करने को कह दिया साथ ही अपने युद्धपोतों को हटाने के निर्देश भी दिए। 

चीन ने फिलीपींस के उस दावे का खंडन किया कि चीन उसे सैकेंड थॉमस शॉल द्वीप पर निर्माण सामग्री नहीं ले जाने दे रहा है और न ही वहां पर रहने वाले फिलीपीनी नागरिकों के लिए खाद्य सामग्री ले जाने देता है। चीन का कहना है कि यह द्वीप उसका है इसलिए फिलीपींस को इसे खाली कर देना चाहिए। ऐसा लगता है कि चीन अब सीधे तौर पर अमरीका को चुनौती दे रहा है। अमरीका ने चीन के फिलीपीनी नौसेना, कोस्ट गार्ड और नागरिक नौकाओं पर हमले को लेकर चीन को चेतावनी देते हुए कहा कि वह वर्ष 1951 की अमरीकी-फिलीपींस पारस्परिक रक्षा संधि के अनुच्छेद 4 को लागू करेगा, यानी अमरीका ने भी चीन को खुलकर चुनौती दे दी है कि अगर अब चीन दक्षिणी चीन सागर क्षेत्र में किसी भी आक्रामक गतिविधि को अंजाम देगा तो उसे नतीजे भुगतने होंगे। 

इसके तुरन्त बाद पश्चिमी देशों ने भी अमरीका के सुर में सुर मिलाना शुरू कर दिया जिनमें आस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी के साथ चीन का पड़ोसी जापान भी शामिल है। फिलीपींस पर खतरे को देखते हुए अमरीका चाहता है कि जल्दी ही सैकेंड थॉमस शॉल द्वीप पर फिलीपींस अमरीका की मदद से अपना निर्माण शुरू करे। इस काम में चीन की बाधा को रोकने के लिए अमरीका खुद क्षेत्र में अपनी नौसेना को तैनात करेगा। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि चीन अमरीका के साथ बाकी पश्चिमी शक्तियों का मुकाबला अकेले कैसे करेगा? रही बात चीन के पड़ोसियों की तो चीन ने वहां पर अपने संबंध सभी देशों से खराब कर लिए हैं, किसी भी संभावित संघर्ष या तनाव की स्थिति में चीन का कोई भी पड़ोसी उसका साथ नहीं देगा।


सबसे ज्यादा पढ़े गए