हमारे देश के लोगों को लगातार मुफ्तखोरी की आदत सी हो गई

punjabkesari.in Friday, May 24, 2024 - 05:21 AM (IST)

मुम्बई में मतदान सुबह 7 बजे शुरू हुआ, मैं 6.55 बजे वहां था। मैंने 1952 में और उसके बाद हुए सभी चुनावों में मतदान किया। मैंने लोकसभा, महाराष्ट्र राज्य विधानसभा और मुम्बई नगर परिषद चुनावों में मतदान किया। एक ङ्क्षचतित नागरिक के रूप में मैंने अपना वोट डालने का एक भी मौका कभी नहीं छोड़ा, सिवाय इसके कि जब कत्र्तव्य की पुकार ने मुझे पंजाब और बाद में रोमानिया में भेज दिया। 

20 मई 2024 की सुबह, मैं अपने पड़ोसी, सतीश साहनी और उनकी पत्नी नीलम के साथ दूसरी मंजिल से हमारे घर से 5 मिनट की दूरी पर मतदान केन्द्र तक पैदल गया। मैं वास्तविक मतदान केन्द्र में प्रकाश व्यवस्था को छोड़कर, मतदान केन्द्र पर वृद्धों के लिए की गई व्यवस्था से खुश था। मतदाताओं को भ्रमित करने के लिए दो प्रमुख उम्मीदवारों में से एक के समान नाम वाले व्यक्ति को मैदान में उतारा गया था। चूंकि उन्हें जो चुनाव चिन्ह सौंपा गया था, वह कुछ-कुछ उसी से मिलता-जुलता था, जिसे मैं वोट देना चाहता था, इसलिए एक तेज रोशनी की जरूरत थी। 95 साल की उम्र में भी आंखों की रोशनी वैसी नहीं रही जैसी 5 साल पहले थी। हालांकि मैं गलती करने वालों में से नहीं था। वर्तमान चुनाव में प्रत्येक वोट का महत्व है। मुम्बई के प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में 2 प्रमुख उम्मीदवारों के बीच अंतर कम होना निश्चित है। यह 2 साल पहले किए गए तख्ता पलट का अनपेक्षित परिणाम है जिसके कारण मेरे राज्य में 2 प्रमुख पार्टियां- शिवसेना और शरद पवार की राकांपा विभाजित हो गईं। 

गृहमंत्री अमित शाह ने अपनी एक चुनावी सभा में घोषणा की कि आने वाले लोकसभा चुनाव में अगर हम दोबारा चुने गए तो हम पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पी.ओ.के.) को आजाद कराएंगे। नरेंद्र मोदी के बाद प्रधानमंत्री पद के लिए उनके संभावित प्रतिद्वंद्वी योगी आदित्यनाथ ने एक अन्य सभा में अलग से संबोधित करते हुए कहा कि मोदी के तीसरे कार्यकाल के 6 महीने बाद पी.ओ.के. भारत में होगा। दूसरे राज्य में एक अन्य चुनावी सभा में भाजपा असम के मुख्यमंत्री हेमन्त बिस्वा सरमा ने कहा कि वह मुल्लाओं को पैदा करने वाले स्थानों को बंद कर देंगे और 4 शादियों को समाप्त कर देंगे। यह व्यापक रूप से प्रचलित लेकिन गलत धारणा है कि प्रत्येक मुस्लिम व्यक्ति की 4 पत्नियां होती हैं। सरमा के लिए पाकिस्तान से पी.ओ.के. वापस लेने की तुलना में अपना वायदा पूरा करना आसान होगा, जैसा कि 2 महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्रियों ने करने का फैसला किया है। 

चुनावी वायदों की, चुनावी घोषणापत्रों की तरह, विरोधी दलों द्वारा बारीकी से जांच की जाती है, विश्लेषण किया जाता है और उन पर टिप्पणी की जाती है। कांग्रेस ने राशन को दोगुना करने की पेशकश की है। वर्तमान में गरीबी रेखा से नीचे के प्रत्येक राशन कार्ड धारक को 5 किलोग्राम चावल या गेहूं दिया जाता है जो अब मोदी की पार्टी द्वारा मुफ्त में वितरित किया जाता है। चूंकि, आधी से अधिक आबादी को गरीबी रेखा से नीचे की श्रेणी में शामिल किया गया है (सरकार के समानांतर बयान का खंडन करते हुए कि उसने लाखों लोगों को उसी श्रेणी से बाहर निकाला है)। लेकिन क्या ‘इंडिया’ अलायंस जीतेगा? मुझे शंका है। यह सच है कि इस बार मुकाबला 2014 और 2019 की तुलना में बहुत करीबी है। पिछले दो चुनावों में कोई विपक्षी गठबंधन नहीं था। ई.डी. को कई विपक्षी दिग्गजों को जेल में डालने में सफलता मिली है। लेकिन ई.डी. और सी.बी.आई. का डर विपक्षी दलों को भी एक साथ लाया है ताकि मोदी विपक्ष-मुक्त राजनीति के अपने सपने को हासिल न कर सकें। 

इस बीच विपक्षी दल अपने-अपने बड़े-बड़े वायदे कर रहे हैं, जिन पर यदि अमल किया गया तो देश की अर्थव्यवस्था के लिए विनाशकारी साबित होंगे। इतना ही नहीं, बल्कि हमारे देश के लोगों को लगातार मुफ्तखोरी की आदत सी हो गई है, जिसका मतलब है कि उन्हें काम न करने की आदत हो जाएगी। कोई भी अर्थव्यवस्था लंबे समय तक मुफ्तखोरी कायम नहीं रख सकती। कोई भी सरकार जो सत्ता में आती है, उसे आवश्यक रूप से हमारे युवाओं को उन कार्यों को करने के लिए कुशल बनाना होगा जिनके लिए विभिन्न प्रकार के कौशल की आवश्यकता होती है। 

नरेन्द्र मोदी ने बार-बार भविष्यवाणी की है कि इन लोकसभा चुनावों के बाद ‘इंडिया’ गठबंधन टूट जाएगा। यह एक चेतावनी है जिसे सभी संबंधित पक्षों को गंभीरता से लेने की जरूरत है। यह आदर्श होगा यदि राजनीति को दो प्रतिस्पर्धी दलों में विभाजित किया जाए, एक भाजपा के नेतृत्व वाली केन्द्र की दाईं ओर, और दूसरी कांग्रेस, टी.एम.सी. और आप के नेतृत्व वाली केन्द्र की बाईं ओर।  आंध्र में तेदेपा और वाई.एस.आर.सी.पी. तेलंगाना में बी.आर.एस., तमिलनाडु की द्रमुक और अन्नाद्रमुक जैसी पार्टियों की केवल क्षेत्रीय प्रासंगिकता है।  उन्हें दक्षिणपंथ या वामपंथ के साथ नहीं जोड़ा जा सकता तो, उन क्षेत्रीय दलों के साथ भी, जो वर्तमान में भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में हैं। लेकिन केन्द्र में सत्ता के लिए प्रतिस्पर्धा करने के लिए दो मुख्य विचारधाराएं आदर्श होंगी, एक केन्द्र का दक्षिणपंथी और दूसरा केन्द्र  का वामपंथ। यह सबसे पहले राजनीतिक कार्यकत्र्ताओं और मतदाताओं के लिए अधिक समझदार होगा ताकि वे अपना मन बना सकें कि कौन सा पक्ष उनकी आवश्यकताओं और उनकी आकांक्षाओं को बेहतर ढंग से पूरा करता है। 

वास्तविक राजनीति के धुरंधर शरद पवार ने भविष्यवाणी की थी कि इन चुनावों के बाद छोटे क्षेत्रीय दलों का भाजपा या कांग्रेस में विलय हो जाएगा। वर्तमान चुनावों में शामिल व्यक्तिगत नेताओं, ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल जैसे नेताओं की महत्वाकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए, मुझे व्यक्तिगत रूप से संदेह है कि क्या यह इतनी जल्दी हो सकता है। एक बात लगातार सुनने को मिलती है कि नरेंद्र मोदी के मुकाबले कोई नेता नहीं है और यही कारण है कि मतदाता अभी तक पाला बदलने पर विचार करने के लिए तैयार नहीं हैं। खैर, एक सच्चे कुलीन परिवार के वंशज राहुल गांधी ने पिछले एक साल में बहुत कुछ किया है। अब उन्होंने खुद को प्रासंगिक बना लिया है।-जूलियो रिबैरो(पूर्व डी.जी.पी. पंजाब व पूर्व आई.पी.एस. अधिकारी)


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