राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का पथ संचलन

punjabkesari.in Monday, Apr 24, 2023 - 07:37 AM (IST)

तमिलनाडु में डी.एम.के. सरकार द्वारा एड़ी-चोटी का जोर लगाने के बावजूद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का पथ संचलन वह रोक नहीं सकी। सरकार ने पहले सत्ता और फिर न्यायालय का प्रयोग करते हुए अड़ंगा डालने का प्रयास किया लेकिन यह सब सफल नहीं हो पाया। रविवार,16 अप्रैल को राज्य में 45 स्थानों पर पथ संचलन संपन्न हुआ। 

क्या था मामला : न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमण्यम और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने राज्य सरकार की याचिका खारिज कर आर.एस.एस. को तमिलनाडु में निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार राज्यव्यापी ‘पथ संचलन’ अनुमति का फैसला सुनाया। तमिलनाडु सरकार ने उच्च न्यायालय के 10 फरवरी 2023 के फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें ‘पथ संचलन’ की इजाजत दी गई थी। आर.एस.एस. ने ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ और ‘गांधी जयंती’ के मद्देनजर राज्य में ‘पथ संचलन’ करने की अनुमति अक्तूूबर 2022 में तमिलनाडु सरकार से मांगी थी। राज्य सरकार ने कानून-व्यवस्था का हवाला देते हुए अनुमति देने से इंकार कर दिया था। इसके बाद आर.एस.एस. ने पथ संचलन की इजाजत के लिए उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका दायर की थी। 

शीर्ष अदालत ने पिछली सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की उस दलील के बाद सुनवाई स्थगित कर दी थी, जिसमें कहा गया था कि वह आर.एस.एस. से बातचीत कर ‘पथ संचलन’ विवाद का हल निकालने का प्रयास करेगी। सरकार ने अदालत को बताया था कि वह प्रस्तावित कार्यक्रम के लिए उपयुक्त मार्गों को तलाशने के वास्ते आयोजक आर.एस.एस. से बातचीत करेगी। वरिष्ठ अधिवक्ता रोहतगी ने कहा था कि उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने हमारी (राज्य सरकार की) दलीलों पर सहमति जताई, लेकिन खंडपीठ ने अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए इसे (पथ संचलन को) अनुमति दे दी थी। 

मद्रास उच्च न्यायालय के एकल पीठ के फैसले को आर.एस.एस. ने 2 सदस्यीय पीठ के समक्ष चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय की दो सदस्यीय पीठ ने यह भी कहा था कि राज्य को नागरिकों के भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को बनाए रखना चाहिए। इसके बाद राज्य के अलग-अलग हिस्सों में सज्जन शक्ति  का वैभव दिखाते संचलनों में अकेले चेन्नई में कोरट्टूर के संचालन में पेरांबूर, तिरुवोट्टीयुर, अम्पाथूर और वडपलनी इलाकों के 1200 से अधिक स्वयंसेवक गणवेश में सहभागी हुए थे। दक्षिण तमिलनाडु में यह आंकड़ा 12 हजार से अधिक और उत्तार तमिलनाडु प्रांत में 8 से अधिक था, यानि दोनों प्रांत मिलाकर 20 हजार से अधिक स्वयंसेवकों ने संचलन किया।-सुखदेव वशिष्ठ
    


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