प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच, निर्णय और नीतियों के पंच प्रण

punjabkesari.in Monday, Sep 12, 2022 - 05:11 AM (IST)

इस स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के देश को संबोधन के साथ अमृत काल की पहली प्रभात का शंखनाद हुआ। आत्मनिर्भर भारत के अतुल्य सामथ्र्य से गौरवान्वित ऐसी प्रभात, जिसमें 2047 के विकसित भारत के भव्य भविष्य की आभा नजर आती है। 

अमृत काल की राह पर चल रहे देश के कोटि-कोटि नागरिकों के असंख्य प्रयासों को और अधिक ऊर्जा देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमृत काल के पंच प्रण का उद्घोष किया। गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री और भारत के प्रधानमंत्री के दायित्व में, पिछले 20 सालों के सेवाकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच, निर्णय और नीतियों में पंच प्रण की प्रेरणा दिखाई देती है। 

प्रधानमंत्री ने जो पहला प्रण देश को दिया वह है कि हर भारतीय को बड़े संकल्प लेकर ही आगे चलना होगा। इसके बिना बड़े लक्ष्य हासिल नहीं किए जा सकते हैं। यह युग तकनीक का है। ऐसे में तकनीक के क्षेत्र में अगर बड़े लक्ष्य नहीं रखे गए तो राष्ट्र के नव उद्भव का परम वैभव हासिल करना मुश्किल हो सकता है। इसी संकल्प के अनुरूप ही हमारे इंजीनियर्स ने 4जी टैक्नोलॉजी का पूर्ण स्टैक विकसित किया है। भारत आज 5जी नैटवर्क लांच और 5जी टैस्ट बेज जैसी सुविधाओं को आकार देकर विश्व के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहा है। साथ ही 6जी के विकास से दुनिया में बढ़त बनाने का विश्वास लेकर चल रहा है। 

पिछले 8 वर्षों में 2 यूनिट्स से बढ़कर 200 से अधिक मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स के साथ, भारत आज  दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग सैंटर है। देश में मोबाइल एवं एक्सैसरीज मैन्युफैक्चरिंग का पूरा ईकोसिस्टम विकसित होना एक बड़े संकल्प की सिद्धि है। भारत में सैमीकंडक्टर मिशन की परिकल्पना आने वाले 20 सालों के लिए बनाई गई है। आज भी विश्व में 20 फीसदी चिप डिजाइनर्स भारतीय हैं और ऐसे ही 85 हजार मैनपावर को विशेष प्रशिक्षण देकर, दुनिया के लिए एक विश्वसनीय और कुशल साथी के रूप में तैयार किया जा रहा है। भारत के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने जो दूसरा प्रण दिया है, वह यह है कि हमारे मन के भीतर गुलामी का एक भी अंश है तो उसे बचने नहीं देना है। 

इसकी वजह यह है कि मन के हारने से हार और मन के जीतने से जीत होती है। अगर हमारे मन में गुलामी के अंश होंगे तो हम अपने को दूसरों से कमतर आंकेंगे, जिससे हम कभी भी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं कर पाएंगे। भारत ने पिछले 8 साल में कई मोर्चों पर दिखाया है कि हम दुनिया के साथ कदमताल करने के साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में उनसे बेहतर नतीजे दे सकते हैं। यह डिजिटल पेमेंट, वैक्सीन एवं तकनीक के क्षेत्र में हमने साबित किया है। 

भारत में इंडिया पोस्ट पेमेंटस बैंक के माध्यम से डाकिया आज घरों तक वित्तीय सेवाएं भी पहुंचा रहा है। आधार की मदद से लाभार्थियों को लाभ सुनिश्चित कराया जा रहा है। अंत्योदय की अवधारणा को पूर्ण करने के लिए बनाए गए भारत के अपने डिजिटल गवर्नैंस मॉडल को आज दुनिया देख रही है। प्रधानमंत्री ने जो तीसरा प्रण दिया है, वह अपनी संस्कृति और विरासत पर गर्व करने का है। यह संस्कृति से समृद्धि की ओर बढऩे और विरासत को विकास की नींव बनाने का प्रण है। कोई भी देश या समाज अपनी विरासत-संस्कृति को संजोए बिना मजबूत नहीं हो सकता है। यह किसी भी राष्ट्र की एकता और समृद्धि का मूल तत्व होता है। 

प्रधानमंत्री ने जो देश को चौथा प्रण दिया है, वह एकता और एकजुटता की शक्ति के साथ एक भारत श्रेष्ठ भारत का निर्माण करना है। यह सभी जानते हैं कि एकता में शक्ति होती है। अगर व्यक्तियों या संस्थाओं का समूह मिलकर कोई काम करता है तो वह न केवल तीव्र गति से होता है बल्कि उसमें सशक्तता के साथ ही दीर्घकालिक उद्देश्यों को हासिल करने की शक्ति भी होती है।
प्रधानमंत्री ने जो देश को 5वां प्रण दिया है, वह देश के प्रत्येक नागरिक से अपने कत्र्तव्यों के प्रति समर्पण का है। जब तक भारत का हर एक नागरिक अपने कत्र्तव्यों के प्रति समर्पित नहीं होता है, उस समय तक किसी भी बड़े सामाजिक बदलाव को परिलक्षित करने का लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकता है। आमजन की सहभागिता से ही बड़े बदलाव को अंगीकार किया जा सकता है। 

भारत को सशक्त बनाने की विकास यात्रा को जन आंदोलन के रूप में आगे बढ़ाना होगा। जिस तरह भारतीय रेल आधुनिक रेलवे स्टेशन और ट्रेनों से नागरिकों को उत्तम सुविधाएं प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है, उसी तरह हर नागरिक का कत्र्तव्य है कि इन्हें साफ और सुरक्षित रखे।-अश्विनी वैश्णव(केन्द्रीय रेल मंत्री)


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