इस्लामिक संगठन में पाकिस्तान की फजीहत

punjabkesari.in Monday, Aug 10, 2020 - 03:36 AM (IST)

‘ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑप्रेशन’ (ओ.आई.सी.) में पाकिस्तान के प्रतिनिधि मुनीर खान भारत में ‘बढ़ते’ इस्लामोफोबिया के मद्देनजर संयुक्त राष्ट्र में भारत के खिलाफ सामूहिक कार्रवाई करने के लिए एक ‘छोटा अनौपचारिक कार्य समूह’ बनाना चाहते थे। हालांकि, यू.ए.ई. ने पाकिस्तान की इस मांग को खारिज करते हुए कहा कि किसी भी नए कार्यदल का गठन ओ.आई.सी. सदस्य देशों के सभी विदेश मंत्रियों द्वारा अनुमोदित किए जाने के बाद ही होगा। मालदीव ने भी पाकिस्तान के इस कदम का जोरदार विरोध किया और ‘किसी भी देश विशेष पर बयान’ को खारिज कर दिया। 

सऊदी अरब के जेद्दा में मुख्यालय वाला यह इस्लामिक संगठन 57 मुस्लिम-बहुल देशों का एक प्रमुख समूह है जिसके संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ में स्थायी प्रतिनिधिमंडल हैं। इसे ‘मुस्लिम दुनिया की सामूहिक आवाज’ माना जाता है जो ‘अंतर्राष्ट्रीय शांति और सद्भाव को बढ़ावा देते हुए मुस्लिम दुनिया के हितों की रक्षा और सुरक्षा करता है।’भारत लम्बे समय से इस आधार पर आई.ओ.सी. की सदस्यता की मांग कर रहा है कि मुस्लिम बहुल देशों के बाहर यह सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाला देश है। हालांकि, अब तक पाकिस्तान के दबाव के चलते संगठन भारत के इस आग्रह को अनदेखा करता रहा है। 

19 मई की घटना संगठन के स्वतंत्र स्थायी मानवाधिकार आयोग के 19 अप्रैल के उस आह्वान के ठीक 1 महीने बाद आई जिसमें भारत सरकार से उस मुस्लिम अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए कदम उठाने का आह्वान किया था जिन्हें नकारात्मकता और कोविड-19 संकट के बीच भेदभाव तथा ङ्क्षहसा का सामना करना पड़ रहा है। भारत के खिलाफ संगठन के बयान के लिए जिम्मेदार अधिकतर जानकारी पाकिस्तान द्वारा विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉम्र्स पर चलाए जा रहे प्रोपेगंडा का परिणाम थी। ओ.आई.सी. की कश्मीर मुद्दे पर संगठन को विदेश मंत्रियों की बैठक जल्द से जल्द न बुलाने पर धमकी दे डाली है कि वह संगठन से अलग अपने स्तर पर ऐसी बैठक बुलाने का कदम उठा सकता है। 

पाक विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा, ‘‘मैं कहना चाहता हूं कि अगर आप इसे बुला नहीं सकते हैं तो मैं प्रधानमंत्री इमरान खान से यह कहने के लिए बाध्य हो जाऊंगा कि वह ऐसे इस्लामिक देशों की बैठक बुलाएं जो कश्मीर मुद्दे पर हमारे साथ खड़े होने के लिए तैयार हैं।’’ 

गत वर्ष भी पाकिस्तान की इस मांग पर संगठन के सदस्य देशों ने ठंडी प्रतिक्रिया दी थी और अबकी बार सारी दुनिया कोरोना से उपजे संकट तथा चीन के आक्रामक रुख तथा अमेरिका के साथ उसकी ठन जाने की वजह से संगठन के पास पाकिस्तान द्वारा उठाए जा रहे कश्मीर मुद्दे पर गौर करने का वक्त नहीं है। तुर्की के अलावा किसी भी अन्य सदस्य देश की ओर से पाकिस्तान को कश्मीर मुद्दे पर अब तक किसी तरह का समर्थन नहीं मिला है। संगठन के बाहर भी किसी अन्य पश्चिमी देश ने इस मुद्दे पर भारत के विरुद्ध मुंह नहीं खोला है। 

परंतु विचारशील मुद्दा यह है कि मई के महीने में जिस प्रकार भारत से सोशल मीडिया पर मुस्लिम विरोधी बयान और सऊदी अरब में रहने वाले भारतीयों की ओर से भी कुछ आपत्तिजनक बयानों के रहते सऊदी अरब की राजकुमारी ही नहीं बल्कि आम जनता की ओर से सोशल नैटवर्क और समाचार पत्रों में भारत की ओर से नाराजगी दिखाई जा रही थी। 

ऐसे में कुछ समय पहले पी.एम. मोदी की यात्रा के पश्चात बनी भारत-सऊदी अरब दोस्ती खतरे में नजर आ रही थी। ऐसे में यदि भारत सरकार, अनेकों ऑनलाईन समर्थकों के समूहों व लोगों की ओर से यदि कोई गलत बयानी होती है तो इससे पाक को मौका मिल सकता है कि वह अपनी योजनाओं में कामयाब हो सके। बोलने की स्वतंत्रता की महत्ता समझते हुए सभी को गलत बयानी से गुरेज करना होगा।


सबसे ज्यादा पढ़े गए