हिंदू विरोधी हिंसा को बढ़ावा देता पाकिस्तान
punjabkesari.in Friday, Oct 07, 2022 - 06:26 AM (IST)

पिछले दो-तीन हफ्तों में, पाकिस्तान में आई बाढ़ ने उस देश के लिए बहुत सहानुभूति पैदा की है। यह दुनिया में सबसे अधिक सूचित प्राकृतिक आपदा रही है। सबसे प्रमुख रूप से, यह अमरीका के साथ अपने संबंधों को फिर से पुनर्जीवित करने में सफल रहा है, वाशिंगटन ने बाढ़ राहत कोष के लिए $2 मिलियन डॉलर की घोषणा की। लेकिन इस सब में, सिंध में बाढ़ प्रभावित हिंदुओं की दुर्दशा को नजरअंदाज किया गया और उनकी रिपोेर्टिंग नहीं की गई।
राष्ट्र अपनी दुर्दशा की कल्पना दो महत्वपूर्ण लेकिन अलग-अलग घटनाओं से कर सकता है। सबसे पहले, आठ साल की एक ङ्क्षहदू लड़की का सामूहिक बलात्कार, जिसकी आंखें निकाल ली गईं और उसके चेहरे को छील दिया गया। इस घटना के बाद एक अन्य हिंदू लड़की को मुफ्त राशन का झांसा देकर उससे बलात्कार किया गया। दूसरा घटनाक्रम, जो कुछ दिन पहले हुआ था, वह था एक पाकिस्तानी पत्रकार नसरल्लाह गद्दानी की गिरफ्तारी, जो बाढ़ के दौरान भी हिंदू अल्पसंख्यकों पर पाकिस्तान सरकार और अधिकारियों के अत्याचारों को उजागर करने के लिए थी। संभवत: कई और लड़कियों को प्रताडि़त और उनके साथ बलात्कार किया गया होगा, क्योंकि बाढ़ का प्रकोप जारी रहा।
हिंदुओं और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रति असहिष्णुता पाकिस्तानी समाज के इस्लामीकरण और उनके खिलाफ संवैधानिक धाराओं को कारण उत्पन्न होती है। पाकिस्तानी पाठ्यक्रम में अल्पसंख्यकों और गैर-इस्लामी लोगों के प्रति घृणा व्याप्त है। उदाहरण के लिए, 5वीं कक्षा के लिए पंजाब टैक्स्ट बुक बोर्ड द्वारा प्रकाशित पाठ्य पुस्तक में कहा गया है, ‘‘इस्लाम विरोधी ताकतें हमेशा दुनिया के इस्लामी वर्चस्व को खत्म करने की कोशिश कर रही हैं। आज पाकिस्तान और इस्लाम की रक्षा की बहुत जरूरत है।’’ इसके अलावा, किताबें भी विवादास्पद इतिहास लेखन का सहारा लेती हैं और तथ्यों को दृढ़ता से गलत तरीके से प्रस्तुत करती हैं। भारत के आंतरिक मुद्दों पर टिप्पणी करते हुए, 8वीं कक्षा की सिंध सामाजिक विज्ञान पाठ्य पुस्तक में कहा गया है कि ‘ङ्क्षहदुओं और पाकिस्तान में रहने वाले अन्य समूहों के बीच हिंसा हुई है, जिसके परिणामस्वरूप बाबरी मस्जिद का विनाश हुआ और गुजरात में हिंदू-मुस्लिम दंगे हुए।’
10वीं कक्षा की उर्दू पाठ्य पुस्तक कहती है, ‘‘क्योंकि मुस्लिम धर्म, संस्कृति और सामाजिक व्यवस्था गैर-मुसलमानों से अलग है, इसलिए हिंदुओं के साथ सहयोग करना असंभव है।’’ इस तरह की पाठ्य पुस्तकों का अध्ययन करने के बाद छात्र गैर-मुसलमानों के खिलाफ अत्याचारों के प्रति अत्यधिक प्रेरित और मनोवैज्ञानिक रूप से प्रतिरक्षित हैं।
इसके अतिरिक्त, पाकिस्तानी शिक्षकों की भूमिका आग में घी का काम करती है। ऐसे छात्रों से क्या उम्मीद की जा सकती है, जो बड़े होकर कट्टर धार्मिक भीड़ बन जाते हैं और भ्रष्ट सशस्त्र बलों में शामिल होकर केवल भारत के खिलाफ जिहाद छेड़ते हैं और दक्षिण एशिया में आतंक फैलाते हैं। हिंदू मंदिरों पर बढ़े हुए हमले और ईशनिंदा कानूनों के तहत हिंदुओं पर झूठे मामले स्कूल की पाठ्य पुस्तकों में नफरत और असहिष्णुता की गलत शिक्षाओं का परिणाम है। 2021 में, एक 8 वर्षीय हिंदू लड़का ईशनिंदा कानूनों के आरोपों का सबसे कम उम्र का शिकार बन गया।
ईशनिंदा पर अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमरीकी आयोग की 2020 की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान में सभी रिपोर्ट की गई घटनाओं का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा भीड़ से संबंधित ङ्क्षहसा का है, जो राज्य के अधिकारियों द्वारा हिंसा के कृत्यों के साथ मेल खाता है, जिसमें ईशनिंदा करने वाले आरोपी के खिलाफ यातना या क्रूर अमानवीय और अपमानजनक व्यवहार या सजा शामिल है। गैर-मुसलमानों के प्रति नफरत इस हद तक पहुंच गई है कि ईशनिंदा के आरोपियों पर भी निष्पक्ष सुनवाई नहीं होती। यहां तक कि ईशनिंदा के आरोपितों का बचाव करने का प्रयास करने वाले वकीलों और व्यक्तियों को भी निशाना बनाया जाता है।
हिंदू-सिख लड़कियों का अपहरण और बलात्कार, जबरन धर्म परिवर्तन और बहुत अधिक उम्र के पुरुषों से शादी पाकिस्तानी समाज में लगभग एक दिनचर्या बन गई है। हाल ही में, खैबर पख्तूनख्वा में एक सिख शिक्षक का अपहरण कर उसकी इच्छा के विरुद्ध उसकी शादी कर दी गई और सिंध में एक नाबालिग हिंदू लड़की के अपहरण का विरोध करने के लिए गोली मार दी गई। पूरे पाकिस्तान में अल्पसंख्यक महिलाएं डर का जीवन जी रही हैं। हालांकि, राज्य एजैंसियां पीड़ितों की रक्षा करने और विभिन्न संवैधानिक और कानूनी उपचारात्मक उपाय लाने की बजाय ऐसे मुद्दों को किनारे पर रखना पसंद करती हैं। 2021 में, एक संसदीय समिति ने अल्पसंख्यकों को जबरन धर्मांतरण से बचाने के लिए एक विधेयक को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि गैर-मुसलमानों द्वारा धर्मांतरण के लिए आयु सीमा ‘इस्लाम और पाकिस्तान के संविधान के खिलाफ है’। पाकिस्तान के धार्मिक मामलों के मंत्रालय ने भी बिल का विरोध किया।
हाल ही में एफ-16 लड़ाकू विमान के स्पेयर पार्ट्स की बिक्री और पाकिस्तान को वित्तीय सहायता की घोषणा में सार्थक रूप से इस सब को नजरअंदाज कर दिया गया है। इससे पहले 2021 में, पाकिस्तान को विशेष चिंता वाले देश (सी.पी.सी.) के रूप में नामित किया गया था, लेकिन ‘संयुक्त राज्य अमरीका के महत्वपूर्ण राष्ट्रीय हित’ के एवज में प्रतिबंधों को जानबूझ कर टाला गया था। दक्षिण एशिया में शांति एक मायावी सपना बना रहेगा, और आर्थिक सहायता या इसे जो भी अंतर्राष्ट्रीय समर्थन मिल सकता है, के बावजूद, यह संभावना नहीं है कि पाकिस्तान कभी भी कानून के एक कार्यात्मक शासन के साथ एक सामान्य राष्ट्र बन जाएगा।-निष्ठा कौशिकी