दर्द चोटी कटने का

punjabkesari.in Saturday, Aug 12, 2017 - 11:55 AM (IST)


सबनै मजाक भावैं कोय ना समझदा दर्द लुगाइयां का,
म्हारी चोटी काटै तै के फायदा होया उन कसाइयां का

सत्तर ढ़ाल के शैम्पू लाये थे हमनै बाल बढ़ावन खातर, 
न्यारे न्यारे तेल लगाये थे उणनै मजबूत बनावन खातर, 
देखै भतेरा खर्चा ठाया था बाल झड़न की दवाइयां का।

कदे कदे म्हारै ढुंग्या प पड़ी रहा करदी या चोटी काली, 
जै बेरा होता न्यू बनैगी तो चौकस रह कै करदी रुखाली, 
काट कै चोटी म्हारी बैरी करगे काम लोग हंसाइयां का।

कदे आप काट ली हो चोटी देखै यू शक बी सम्हारै प, 
सोच कै देखो जै बनती थारे गेल्यां, के बीतती थारै प, 
एक दिन वो राम लेगा बदला म्हारी हासी उडाइयां का।

दो चार जनीयां के कारण शक के घेरे म्ह आई सां सारी, 
कह सुलक्षणा चौकस रहियो कदे चोटी कट ना जावै थारी, 
घर तै बाहर लिकड़ना छुटज्या आना जाना असनाईयां का।



                                                               डॉ सुलक्षणा
                                                    ये लेखक के अपने विचार है।


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