चीन को पछाड़ते हुए वियतनाम बना एशिया की प्रगति का अगुआ

punjabkesari.in Saturday, Oct 01, 2022 - 05:00 AM (IST)

जैसा कि सब जानते हैं कि हाल ही में विश्व बैंक ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र के वार्षिक विकास पूर्वानुमान को कम किया है तो वहीं इस पूरे क्षेत्र में वियतनाम की आर्थिक विकास प्रगति तेज रफ्तार से आगे निकल रही है और दूसरी तरफ चीन अपनी मंद पड़ती आर्थिक विकास की रफ्तार से इस दौड़ में पिछड़ रहा है। विश्व बैंक ने ताजा आर्थिक पूर्वानुमान में चीन की विकास दर को अप्रैल में 5 से घटाकर 2.8 फीसदी कर दिया था।

इसकी वजह से पूरे एशिया-प्रशांत क्षेत्र की आर्थिक विकास दर को विश्व बैंक ने जहां अप्रैल में 5 फीसदी रखा था जिसे गिराकर 3.2 फीसदी कर दिया। विश्व बैंक की यह रिपोर्ट पूर्वी एशिया, दक्षिण-पूर्वी एशिया और प्रशांत द्वीपों को संलग्न करती है लेकिन इस रिपोर्ट में जापान और दोनों कोरियाओं को नहीं जोड़ा गया है।

इस रिपोर्ट के अनुसार वियतनाम इस पूरे क्षेत्र में नायक की तरह निकल कर सामने आया है जिसकी वार्षिक विकास दर 7.2 फीसदी है, अप्रैल में इसकी विकास दर 5.3 फीसदी थी। वहीं विश्व बैंक की इंडोनेशिया में रिपोर्ट में कोई बदलाव नहीं किया गया है, वह जस की तस 5.1 फीसदी पर टिकी हुई है। इस क्षेत्र से चीन को बाहर निकालने के बाद वर्ष 2022 में आर्थिक विकास दर 5.3 फीसदी तक बढऩे की उम्मीद है, इसमें मलेशिया, फिलीपींस और थाईलैंड के अनुमानों को हटा लिया गया है।

पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र के आर्थिक जानकारों के अनुसार इस क्षेत्र के विकास के लिए प्रतिबंध मुक्त वातावरण की बड़ी भूमिका रही है जिसके लिए इन देशों को बाध्य किया गया था। लेकिन इन देशों ने अपने बाज़ारों को कोरोना महामारी के बाद के दौर में प्रतिबंधों से मुक्त रखते हुए महामारी पर काबू पाया और विकास भी किया। एशिया-प्रशांत क्षेत्र के आर्थिक विकास के पीछे जो कारण हैं उनमें कोविड महामारी के दौरान लगे यात्रा प्रतिबंधों को हटाना और महामारी के  दौरान लगे दूसरे प्रतिबंधों को खत्म करना शामिल है, वहीं दूसरी तरफ़ चीन अपनी शून्य-कोविड नीति पर अड़ा रहा।

इसके साथ ही चीन ने कई लॉकडाऊन भी अपने प्रमुख शहरों पर लगाए रखे जिससे न सिर्फ आपूर्ति शृंखला टूटी बल्कि विनिर्माण का काम भी बाधित हुआ और इन दोनों का मिला जुला असर चीन की मंद पड़ती अर्थव्यवस्था पर भी देखा जा रहा है। आर्थिक जानकारों द्वारा किए गए एक सर्वे और उनकी रिपोर्ट के अनुसार इस वर्ष के अंत तक थाईलैंड, फिलीपींस और कंबोडिया कोविड महामारी से पहले की आर्थिक गति को वापस हासिल कर लेंगे लेकिन चीन की अर्थव्यवस्था जिसने थोड़े समय के लिए तेजी पकड़ी थी वापस मंद गति की तरफ बढ़ चली है।

वहीं लाओस और मंगोलिया के आर्थिक पूर्वानुमानों के बारे में जानकारों का कहना है कि ऊंची ब्याज दर, कमज़ोर मुद्रा और मुद्रा स्फीति इनकी अर्थव्यवस्था को धीमा करेगी, साथ ही इनकी क्रय शक्ति को घटाने के साथ इनके ऊपर ऋण को बढ़ाएगी। लेकिन इन दोनों देशों की अर्थव्यवस्था के अगले वर्ष फिर से ऊपर आने के संकेत मौजूद हैं, जहां मंगोलिया के बारे में पूर्वानुमान है कि उसकी अर्थव्यवस्था 5.5 फीसदी की गति से आगे बढ़ेगी तो लाओस की अर्थव्यवस्था 4.5 फीसदी की गति से बढ़ेगी, साथ ही चीन की अर्थव्यवस्था भी 3.8 फीसदी की गति से आगे बढ़ेगी।

आर्थिक मामले के जानकारों के अनुसार लाओस और मंगोलिया के अलावा, अधिकांश क्षेत्र अमरीकी फैडरल रिजर्व की त्वरित ब्याज दर वृद्धि को ‘अपेक्षाकृत अच्छी तरह से’ सहन करने में सक्षम होंगे। प्रशांत क्षेत्र के द्वीपीय देशों में सबसे अच्छा प्रदर्शन फिजी से देखने को मिलेगा जहां पर पूर्वानुमान के अनुसार 12 फीसदी की आर्थिक वृद्धि देखने को मिलेगी। वहीं सोलोमन द्वीप, टोंगा, सामोआ और माइक्रोनेशिया की अर्थव्यवस्था सिकुडऩ की तरफ बढ़ेगी। मूल्य वृद्धि, सबसिडी और व्यापार प्रतिबंध ने इस क्षेत्र की औसत मुद्रा स्फीति को बाकी दुनिया की तुलना में 4 फीसदी के नीचे बनाए रखा है। लेकिन खाद्य उत्पादन में कमी और ऊंचे कार्बन उत्सर्जन के कारण लंबी अवधि में आर्थिक प्रगति पर लगाम लगेगी।

एक रिपोर्ट के अनुसार बाकी विकासशील देशों की तुलना में एशिया-प्रशांत क्षेत्र ने अधिकतर वस्तुओं की कीमतों के बढऩे पर अपना नियंत्रण बनाए रखा है, हालांकि ऐसा बाकी देश नहीं कर पाए जिनमें मध्यपूर्व और उत्तरी अफ्रीकी देश शामिल हैं, मूल्य समर्थन के उपाय चावल और अन्य अनाज किसानों के पक्ष में झुके हैं हालांकि उपभोक्ता की मांग फल, सब्जियों और मीट की तरफ अधिक है।

जानकारों के अनुसार आने वाले दिनों में ईंधन के दामों में बढ़ौतरी और उस पर मिलने वाली सबसिडी के घटने से हालात अलग हो सकते हैं। हाल के दिनों में मलेशिया और इंडोनेशिया की जीवाश्म ईंधन पर मिलने वाली सबसिडी वर्ष 2020 पूरे सकल घरेलू उत्पाद का 1 फीसदी थी, यह अब 2 फीसदी हो गई है। विश्व बैंक ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि अगर जीवाश्म ईंधन के दामों में यूं ही बढ़ौतरी होती रही तो ये देश अपनी विकास दर को कायम रखते हुए कार्बन उत्सर्जन के मामले पर समझौता कर सकते हैं जो इन्हें जीवाश्म ईंधन पर और अधिक निर्भर बनाएगा।

हालांकि आने वाले दिनों में इन परेशानियों के बावजूद चीन को छोड़कर इस पूरे क्षेत्र की विकास दर को बेहतर दिखाया जा रहा  है, साथ ही यह भी बताया जा रहा है कि अब एशिया के चमकते सितारे इंडोनेशिया, वियतनाम, मलेशिया, फिलीपींस और थाईलैंड होंगे। यानी तमाम थपेड़ों के बावजूद इन देशों की अर्थव्यवस्था बेहतर प्रदर्शन करेगी और चीन की आर्थिक गति से तेज आगे निकलेगी।


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