पारंपरिक विवाह की परिभाषा से अलग होती है ओपन मैरिज
punjabkesari.in Sunday, Feb 09, 2025 - 05:49 AM (IST)
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आजकल शादी और रिश्तों का नया ट्रैंड सुर्खियों में है, जिसे ओपन मैरिज यानी खुली शादी का नाम दिया जा रहा है। शादी, जिसे आमतौर पर समर्पण और विश्वास का प्रतीक माना जाता है, उसमें अब ओपन मैरिज के कॉन्सैप्ट ने जबरदस्त सेंध लगा दी है। पहले यह ट्रैंड उच्च समाज या अत्यधिक अमीर लोगों तक ही सीमित था, लेकिन आजकल मध्यम वर्ग के लोग भी इसे अपना रहे हैं। समाज विज्ञानी कहते हैं कि ओपन मैरिज नॉन-मोनोगैमी यानी एक से अधिक लाइफ पार्टनर के प्रचलन का ही एक रूप है जिसमें जोड़ा इस बात पर सहमत होता है कि उनमें से कोई भी विवाह के बाद भी बाहर संबंध रख सकता है लेकिन आपसी सहमति के साथ। इससे दोनों को किसी भी तरह से कोई दिक्कत नहीं होगी। यानी पति अपने लिए गर्लफ्रैंड रख सकता है, पत्नी भी स्वीकृति से ब्वॉयफ्रैंड रख सकती है।
ऐसे में कपल का प्रेम संबंध घर के बाहर भी बिना किसी रोक-टोक के बना रहता है। ओपन मैरिज एक ऐसा वैवाहिक संबंध है, जिसमें पति-पत्नी द्वारा आपसी सहमति से शादी के बाद बाहर भी अन्य रोमांटिक और/या शारीरिक संबंध बनाए जा सकते हैं। इसका अर्थ यह है कि दोनों पार्टनर अपनी शादी के बाद किसी और के साथ भी रिश्ते में आ सकते हैं, बशर्ते इसमें दोनों की आपसी सहमति हो। इस प्रकार के रिश्ते में फिजिकल या भावनात्मक जुड़ाव हो सकता है, लेकिन यह पारंपरिक विवाह की परिभाषा से अलग होता है। इसके साथ ही एक मिलता-जुलता संबंध भी चर्चा में है जिसे पॉलीएमोरी कहते हैं। मनोविज्ञान बताता है कि पॉलीएमोरी और ओपन मैरिज में अंतर है। पॉलीएमोरी में एक व्यक्ति कई लोगों के साथ रोमांटिक और भावनात्मक संबंध रख सकता है, और यह फिजिकल रिश्ते से पहले भावनात्मक जुड़ाव पर ज्यादा ध्यान देता है।
वहीं, ओपन मैरिज का फोकस अधिकतर फिजिकल रिलेशनशिप पर होता है, जिसमें भावनात्मक जुड़ाव हो भी सकता है और नहीं भी। ओपन मैरिज में यह महत्वपूर्ण है कि दोनों पार्टनर्स की सहमति हो और दोनों एक-दूसरे के फैसले का सम्मान करें। जैसे एक सामान्य शादी के लिए समर्पण और समझदारी की जरूरत होती है, वैसे ही ओपन मैरिज के लिए भी कुछ खास नियम और सीमाएं होती हैं। हर किसी के लिए यह कॉन्सैप्ट उपयुक्त नहीं हो सकता है। इसके भी फायदे और नुकसान हैं, जिन्हें समझना बहुत जरूरी है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के रिश्ते में प्रवेश करने से पहले दोनों पार्टनर्स को इसके सभी पहलुओं के बारे में अच्छे से जानकारी होनी चाहिए। इस रिश्ते में भावनात्मक स्थिरता और मानसिक संतुलन का होना बहुत जरूरी है। अगर कोई व्यक्ति इस रिश्ते के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं है, तो यह रिश्ते में समस्या का कारण बन सकता है। भारत में, खासकर शहरी क्षेत्रों में ओपन मैरिज धीरे-धीरे एक लोकप्रिय विकल्प बनती जा रही है, हालांकि इसे सार्वजनिक रूप से स्वीकार करने वालों की संख्या अभी भी बहुत कम है।
एक सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में लगभग 3 मिलियन (30 लाख) लोग ग्लीडेन नामक एक्स्ट्रा मैरिटल डेटिंग ऐप का उपयोग कर रहे हैं। यह ऐप उन शादीशुदा लोगों के लिए है जो बिना किसी झूठ के अपनी शादी के बाद बाहर नए रिश्ते की तलाश कर रहे हैं। इसके अलावा, एक अन्य सर्वे के अनुसार 60 प्रतिशत सिंगल भारतीय इस बात से सहमत हैं कि ओपन मैरिज और पॉलीएमोरी जैसे संबंध भविष्य में उनके लिए एक विकल्प हो सकते हैं। जैसा कि हर रिश्ते के कुछ फायदे और नुकसान होते हैं, वैसे ही ओपन मैरिज में भी दोनों पहलू हैं। मनोविज्ञानी ओपन मैरेज के बारे में बताते हैं कि इसमेें पार्टनर्स को एक-दूसरे से खुलकर अपनी इच्छाओं को सांझा करने का मौका मिलता है। अगर रिश्ते में कोई एक पार्टनर संतुष्ट नहीं है, तो उसे रिश्ते से बाहर संतोष पाने का विकल्प मिलता है। कई बार पार्टनर्स इस रिश्ते में भावनात्मक
रूप से अस्थिर हो सकते हैं।
ओपन मैरिज में रिश्ता भले ही कितना भी एक्साइटिंग क्यों न लगता हो, लेकिन हमेशा कुछ बात का डर हमेशा लगता है, जैसे-अगर इमोशनल अटैचमैंट हो जाए तो अपने मन को कैसे मनाएं। कई बार तो समाज के समाने सच का खौफ पैदा हो जाता है। इससे ङ्क्षचता और मानसिक दबाव होने का खतरा बढ़ता है जो दिमाग के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं है। बेहतर है कि इसमें प्रवेश करने से पहले दोनों पार्टनर्स पूरी तरह से मानसिक रूप से तैयार हों और इस रिश्ते के सभी पहलुओं को समझें। देश के रिवायती समाज में ऐसे गैर पारंपरिक रिश्ते को अभी सामाजिक स्वीकृति नहीं मिल सकती है क्योंकि ओपन मैरिज विपरीत लिंगों के बीच एक ऐसा तिलस्मी आकर्षण है जो पारंपरिक शादी की अवधारणा से काफी अलग है।-डा. वरिन्द्र भाटिया