सत्ता के लिए ही सही, कुछ योजनाओं से जनता को होता फायदा

punjabkesari.in Saturday, Apr 08, 2023 - 04:31 AM (IST)

क्या देश की राजनीति करवट ले रही है? धर्म और जाति के मुद्दे अपनी जगह हैं लेकिन यह बात भी सही है कि आम जनता के हित के लिए भी बात की जा रही है और खास तौर से सीधे फायदे यानी डी.बी.टी. (डायरैक्ट बैनिफिट ट्रांसफर) की नीति जनता या मतदाता को भी आकर्षित कर रही है और लोगों की भी इसमें इच्छा जागृत हो रही है और इसका फायदा भी राजनीतिक दलों को मिल रहा है। दूसरी तरफ धर्म और बहुसंख्यक की राजनीति के खिलाफ विपक्ष जो तोड़ निकालने की कोशिश कर रहा है, उसके सारे दरवाजे जनकल्याण की नीतियों पर खुल रहे हैं। देश में आने वाले समय की राजनीति के केंद्र में कल्याणकारी योजनाएं रहेंगी। इसके संकेत मिलने शुरू हो गए हैं। 

2014 का चुनाव मुख्यत: भ्रष्टाचार के मुद्दे पर लड़ा गया था, जिसके नेपथ्य में अयोध्या, मथुरा, काशी जैसे मुद्दों की उम्मीदें थीं। चुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत के साथ ही गोरक्षा, तीन तलाक, अनुच्छेद-370, नागरिकता संशोधन कानून, हिजाब जैसे धर्म और समाज से जुड़े मुद्दों का गुबार पूरी राजनीति के आसमान पर छा गया। इन मुद्दों ने बड़े पैमाने पर किसी पार्टी विशेष के लिए वोटों की नई खानें खोल दीं, ऐसा कोई स्पष्ट अध्ययन तो नहीं है, मगर भावनात्मक मुद्दों से आम जनता के प्रेरित होकर वोट करने के बहुत से उदाहरण मिल जाते हैं। 

माना जाता है कि जब धर्म और जाति से जुड़े मुद्दे पूरे देश में राजनीति का रंग और समीकरण बदल रहे थे, उसी दौर में जनकल्याण की राजनीति जो कि बहुत छोटे पैमाने पर थी, अपनी जमीन को मजबूत कर रही थी। दिल्ली में आधे-अधूरे अधिकारों वाली अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य और नागरिक समस्याओं के समाधान पर काम करने का दावा कर रही थी। 

सस्ती और अच्छी गुणवत्ता की सरकारी शिक्षा, मोहल्ला क्लीनिकों के जरिए सब तक स्वास्थ्य की पहुंच और एक समाज के काफी बड़े वर्ग को  मुफ्त-बिजली पानी की योजनाएं स्पष्ट रूप से आम मतदाता के लाभ के लिए थीं। इनकी जमीनी हकीकत क्या रही, इस पर तो विस्तार से शोध की जरूरत है मगर इन योजनाओं ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी की जड़ें इतनी मजबूत कर दीं। 

राज्य के तीसरे चुनाव के बाद भी आम आदमी पार्टी की सत्ता अपनी जगह बरकरार है और यह भी सच है कि उसके पास लोकसभा का दिल्ली समेत किसी भी राज्य से कोई सांसद नहीं है और यह भी सच है कि आम आदमी पार्टी के कई नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप में सुनवाई चल रही है और वे जेलों में बैठे जमानत का इंतजार कर रहे हैं। यह एक अलग बात है और इस पर टिप्पणी करना न्यायालय का काम है। 

जनकल्याण नीतियों के जरिए केजरीवाल ने जिस तरह दिल्ली में जड़ें जमाईं उससे अन्य दलों ने भी प्रेरणा ली। हालत यह है कि अब जहां भी विधानसभा चुनाव होते हैं, भाजपा-कांग्रेस सहित ज्यादातर प्रमुख दल एक सीमा तक मुफ्त बिजली-पानी की बात करने से नहीं हिचकते। 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया गया। किसान सम्मान निधि के रूप में छह-छह हजार रुपए की किस्तें देने की शुरूआत की गई। यह राशि किसानों के खाते में सीधे पहुंच जाती है। 

2019 के चुनाव के पहले मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में जो किसानों को पैसा पहुंचाने का सिलसिला कायम किया, उसमें कांग्रेस के वायदों का असर नहीं हुआ। ( कांग्रेस ने भी 2019 के चुनावी घोषणा पत्र में किसानों को 72 हजार रुपए देने का वायदा किया था लेकिन आम वोटर ने उसपर यकीन नहीं किया और भाजपा की डिलिवरी ने वायदे को खोखला कारतूस बना दिया)। कांग्रेस  किसानों का कर्जा माफ करने के नाम पर कई चुनाव लड़ चुकी है और उसका उसे कई बार फायदा भी हुआ। 

राजस्थान और मध्य प्रदेश में इसे लागू करने का दावा भी किया गया। हालांकि जिस तरह लागू किया गया उसे लेकर विवाद भी रहा। कांग्रेस की सरकार ने हरियाणा सरकार में महिलाओं के लिए जो वृद्धावस्था पैंशन शुरू की थी, बाद में भाजपा की सरकार ने उसकी राशि में और इजाफा ही किया। इस तरह से कल्याणकारी योजनाओं का असर देखा जा सकता है। किसानों के लिए आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की सरकारों ने काफी क्रांतिकारी काम किए। 

गर्भवती महिलाओं को प्रसव के बाद 16 जरूरी चीजों की सरकार की तरफ से किट देनी शुरू की गई। कल्याण लक्ष्मी और शादी मुबारक योजनाओं में निचले तबके और अल्पसंख्यकों को बड़ी राहत देने की योजना ने काफी असर दिखाया। आंध्र में भी किसानों को ऐसी ही कई योजनाएं काफी लाभ प्रद रहीं। ट्रैक्टरों का बैंक बनाया गया और जरूरत पर किसानों को इसे उपलब्ध कराया जा रहा है। मध्य प्रदेश की पहली और बड़ी लाडली लक्ष्मी योजना और लाडली बहना योजना ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है। लाडली लक्ष्मी योजनाओं के तहत  13.55 लाख छात्राओं को इसका लाभ मिला है। 

कोरोना काल में पश्चिम बंगाल में बेरोजगार महिलाओं को नगद हस्तांतरण की योजना ‘लक्ष्मी भंडार’ शुरू की गई थी। इस योजना ने पिछले महिला और बाल कल्याण श्रेणी में प्रतिष्ठित स्काच पुरस्कार जीता है। ओडिशा में बीजू स्वास्थ्य कल्याण योजना के तहत 92.5 लाख परिवारों को कवर किया गया। गुजरात में 11 कल्याणकारी योजनाएं सरकारी खर्च से चल रही हैं। आंध्रप्रदेश की वाई.एस.आर.सी.पी. सरकार 13 अप्रैल से एक नया फोन कार्यक्रम ‘जगनान्नाकु चेबुदम’ शुरू करने जा रही है। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में तमाम योजनाएं चल रही हैं और उसका सीधा फायदा आम आदमी को मिल रहा है। लेकिन यू.पी. में अपराध के खिलाफ बड़े कदम ने योगी आदित्यनाथ की जो छवि बनाई है , वो सब योजनाओं पर भारी है। 

हिमाचल ,पंजाब और हरियाणा बिजली में राहत  देने में आगे कदम बढ़ा चुके हैं। हिमाचल में कांग्रेस ने जो-जो दाव पुरानी पैंशन स्कीम को लेकर खेला, उसका उसे फायदा मिला। हरियाणा की कई योजनाएं सीधे लाभ पहुंचाने के लिए हैं। सरकारी नौकरियों को देने में अपेक्षाकृत साफ-सफाई ने उसे धारणा में आगे रखा है। तमाम धार्मिक और सामाजिक मसलों के बीच केंद्र सरकार ने भी जन कल्याण योजनाओं पर अपना जोर कायम रखा। 

एक तरफ जहां देश की राजनीति जाति और धर्म के मुद्दों से ऊपर उठकर गरीब कल्याण योजनाओं को अपनाती दिख रही है, वहीं इन कल्याणकारी योजनाओं को ‘मुफ्त रेवडिय़ां’ मानने वाले अदालतों का दरवाजा खटखटा रहे हैं। बिजली-पानी मुफ्त की योजनाएं अस्सी के दशक तक भी थीं लेकिन बाद में उसे विश्व बैंक के दबाव में वापस ले लिया गया था। अगर देश में सिर्फ पुरानी पैंशन स्कीम लागू कर दी जाए तो चार लाख करोड़ सालाना चाहिए। आएंगे कहां से, यह कोई जवाब नहीं देता।-अकु श्रीवास्तव     
 


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