गुर्दा कैंसर में बढ़ौतरी के लिए मोटापा जिम्मेदार

Sunday, Apr 30, 2017 - 01:32 AM (IST)

गत एक दशक दौरान गुर्दा कैंसर से पीड़ित मरीजोंं की संख्या में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वैज्ञानिक इस बात को लेकर अनिश्चय की स्थिति में हैं कि मोटापे के कारण यह रोग क्यों बढ़ रहा है। लेकिन फिर भी उन्हें आशंका है कि इसका संबंध इंसुलिन से हो सकता है। 

गत एक दशक दौरान इंगलैंड में गुर्दा कैंसर के 20 हजार मामले प्रकाश में आए हैं और वैज्ञानिकों ने यह चेतावनी जारी की है कि इनके लिए मोटापा ही जिम्मेदार है। इसी बीच इस बीमारी से पीड़ितों की संख्या में वृद्धि का रुझान भविष्य में थमने वाला नहीं। वैज्ञानिकों का मानना है कि गम्भीर रूप में मोटे होने का अर्थ यह है कि इंसुलिन हार्मोन पर बुरा प्रभाव पड़ता है और इस तरह जानलेवा बीमारी की जड़ें लगती हैं। ब्रिटेन में कैंसर शोध की प्रमुख डा. जूलीशार्प का कहना है कि गुर्दा कैंसर के लगभग एक चौथाई मामले मोटापे और अधिक वजन के कारण होते हैं तथा लगभग इतने ही मामले सिगरेटनोशी के परिणाम हैं। 

उन्होंने कहा कि जिस प्रकार कई वर्षों दौरान सिगरेटनोशी हमारे शरीर की कोशिकाओं को आहत करती रहती है और धीरे-धीरे कैंसर का खतरा पैदा हो जाता है उसी प्रकार अधिक वजन के कारण भी व्यक्ति के शरीर में कई वर्षों दौरान हानिकारक रसायन पैदा होते रहते हैं। उन्होंने कहा कि खान-पान की आदतों में छोटे-छोटे बदलाव करके तथा सक्रिय जीवन शैली अपनाकर हम दीर्घकालिक रूप में स्वस्थ रह सकते हैं। 

यू.के. में प्रतिवर्ष गुर्दा कैंसर के लगभग 11900 मामले प्रकाश में आते हैं और इनमें से 4300 लोग मौत के मुंह में चले जाते हैं। जो हार्मोन वसा और कार्बोहाइड्रेट्स को तोडऩे और हजम करने के लिए चाहिए वह आंशिक रूप में गुर्दों में ही तैयार होता है। वजन बढ़ जाने या मोटापे के कारण शरीर में इंसुलिन प्रतिरोधक क्षमता पैदा हो जाती है और शरीर सही ढंग से इंसुलिन की खुराक के प्रति संवेदनशीलता नहीं दिखाता जिसके कारण इंसुलिन की खुराक में वृद्धि करनी पड़ती है। इस वृद्धि का दुष्परिणाम यह होता है कि कैंसर के सैल दोगुनी गति से बढऩा शुरू कर देते हैं।                                             

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