आज वर्ल्ड हार्ट डे पर विशेष, पंजाब में हृदय रोगियों की संख्या देश में सर्वाधिक

Sunday, Sep 29, 2019 - 04:53 AM (IST)

हमारे देश में हार्ट अटैक अर्थात हृदयाघात का रोग एक भयंकर रूप धारण कर चुका है। दुनिया भर में इस बीमारी के सबसे अधिक रोगी भारत में ही हैं और इस बीमारी से शेष रोगों की तुलना में सबसे अधिक मौतें हमारे देश में होती हैं। पिछले तीस वर्षों में अन्य विकसित देशों में इस रोग से पीड़ित लोगों की संख्या में 35 से 40 प्रतिशत की कमी, जबकि हमारे देश में लगभग उतने ही प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 

चिंता का विषय यह है कि यह रोग जहां अन्य विकसित देशों में पचास साल की उम्र के ऊपर की जनसंख्या में पाया जाता है, वहीं भारत में यह रोग 30 से 40 वर्ष की आयु में पाया जाने लगा है। हमारे देश में पंजाब और केरल ऐसे प्रदेश हैं, जहां यह रोग शेष प्रदेशों की तुलना में बहुत अधिक संख्या में लोगों में पाया जाता है। यह भी देखा गया है कि आप्रवासी भारतीयों में भी यह रोग वहां के स्थानीय वासियों की अपेक्षा ज्यादा संख्या में पाया जाता है। पंजाबी लोगों में कुछ ऐसे कारण हैं जो देश की शेष जनसंख्या से भिन्न हैं। 

हृदयाघात के प्रमुख कारण धूम्रपान, उच्च रक्तचाप, मधुमेह तथा खून में कोलैस्ट्रॉल नामक वसा का अधिक मात्रा में होना हैं। किंतु पंजाब में हृदय  रोग मुख्यत: यहां के खान-पान से संबंधित है। अधिक वसा युक्त भोजन तथा घी और तेल में तले हुए खाद्य पदार्थ पंजाबी लोगों पर भारी पड़ रहे हैं। इसके साथ व्यायाम की कमी भी आग में घी का काम कर रही है। इन कारणों से पंजाबी लोगों में मोटापा  भी एक रोग का रूप धारण कर चुका है। मोटापा तथा व्यायाम की कमी के कारण मधुमेह की बीमारी भी पंजाबी लोगों में ज्यादा पाई जाती है। शराब का अत्यधिक मात्रा में सेवन भी यहां पर इस रोग का कारण है। 

एक अध्ययन में यह भी देखा गया है कि पंजाबी लोगों में कुछ मनोवैज्ञानिक कारण भी हैं जो अन्य देशवासियों से भिन्न हैं। इस अध्ययन में पाया गया कि पंजाबी मूल के लोगों में प्रतिस्पर्धा, अत्यधिक क्रोध व उग्रभाव जैसे मनोवैज्ञानिक कारण भी हृदयाघात के रोग के लिए महत्वपूर्ण कारण हैं। इस घातक रोग से बचाव के लिए संतुलित भोजन, हरी सब्जियों व फलों का प्रयोग तथा रोजाना कम से कम चालीस मिनट तक व्यायाम करना चाहिए। शराब के अत्यधिक सेवन से बचाव तथा क्रोध, उग्रभाव आदि पर संयम रखने के लिए योग, प्राणायाम और धार्मिक प्रवृत्ति को अपनाना चाहिए। इन सब सावधानियों के साथ-साथ ब्लड प्रैशर और शूगर पर नियंत्रण रखने के लिए भी सचेत रहना चाहिए।- डा. निपुण महाजन

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