केरल में बाढ़ प्रभावितों की सहायता के लिए अब ‘एक गाय दान करो’ अभियान

Tuesday, Oct 09, 2018 - 04:41 AM (IST)

केरल के एक जिले ने एक कार्यक्रम शुरू किया है जिसके अंतर्गत लोगों से उन गरीब लोगों को गऊएं दान करने की प्रार्थना की जा रही है जिन्होंने हालिया बाढ़ों तथा भूस्खलनों में अपने पशु गंवा दिए थे। पहाड़ी जिला वायानाड, जिसमें हालिया आपदा के दौरान 223 गऊएं  मारी गई थीं, ने ‘डोनेट ए काऊ’ अर्थात ‘एक गाय दान करो’ नामक कार्यक्रम शुरू किया है जिसके अंतर्गत प्रशासन प्रभावित लोगों के लिए पशु धन की पुन: व्यवस्था करेगा। 

डेयरी विकास अधिकारी हर्षा वी.एस., जो इस कार्यक्रम की प्रभारी हैं, ने बताया कि अभी तक 8 गऊएं दान की गई हैं, जबकि 10 प्रभावित लोगों को सौंपने के लिए तैयार हैं, वहीं सूची में और अधिक गऊएं हैं। बाढ़ों तथा भूस्खलनों से सर्वाधिक प्रभावित जिलों में से एक वायानाड में पशु धन का काफी नुक्सान हुआ है। हर्षा ने बताया कि यह कार्यक्रम मूल रूप से एक सतत् पशु धन प्रोत्साहन है। प्रभावित लोगों को दोबारा पटरी पर लाकर दानकत्र्ता उनके जीवन को फिर बनाने में सहायता कर रहे हैं। 

जो लोग सहकारी समितियों को दूध बेचकर अपनी आजीविका कमाते हैं, वे अपने पशु धन का व्यापक नुक्सान होने के कारण अब संघर्ष कर रहे हैं।  हर्षा ने बताया कि केवल एक दुधारू गाय दूध बेचकर दोबारा उन्हें (प्रभावित परिवारों को) पैरों पर खड़ा होने में मदद कर सकती है। ऐसा पहले ही उन 8 परिवारों के साथ हो चुका है, जिन्होंने गऊएं प्राप्त की हैं। गऊएं प्राप्त करने वालों की सूची उनकी वित्तीय स्थिति तथा गऊओं के रखरखाव की उनकी क्षमता का आकलन करने के बाद तैयार की गई। डेयरी विकास अधिकारी ने बताया कि वे यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि दान दी जाने वाली गऊएं सही लोगों के पास पहुंचें। 

विभाग इस पर भी नजर रख रहा है कि परिवार गऊओं का इस्तेमाल कैसे कर रहे हैं। हर्षा ने बताया कि चूंकि वह सहकारी समितियों को दूध की आपूॢत करते हैं, जो एक कम्प्यूटर साफ्टवेयर के माध्यम से एक-दूसरे से जुड़ी हैं, इसलिए उनके लिए यह पता लगाना आसान हो जाता है कि प्रभावित परिवार कितना दूध बेचने में सक्षम है? गऊएं प्राप्त करने वालों को कम से कम दो सप्ताह के लिए मुफ्त पशु चारा उपलब्ध करवाया जा रहा है अथवा तब तक, जब तक कि वे पशुओं के रख-रखाव के लिए दूध बेचकर पर्याप्त धन नहीं कमाना शुरू कर देते। उन्होंने बताया कि इस बात की व्यवस्था की जा रही है कि लम्बे समय के लिए उन्हें सबसिडाइज्ड चारा उपलब्ध करवाया जा सके। 

दानकत्र्ताओं में असम के सिल्चर स्थित नैशनल इंस्टीच्यूट आफ टैक्नोलॉजी के पूर्व विद्यार्थी, केरल में त्रिशूर स्थित कालेज आफ डेयरी साइंसिज एंड टैक्नोलाजी के पूर्व विद्यार्थी, गुजरात के आणंद स्थित इंस्टीच्यूट आफ रूरल मैनेजमैंट के पूर्व छात्र तथा अन्य कई व्यक्ति शामिल हैं। दानकत्र्ताओं में अधिकतर मलयाली हैं। हर्षा ने बताया कि लोगों के कष्टों को देखते हुए उन्होंने दोबारा दान करने की भी अपील की। एक दानकत्र्ता, जिसने एक ऐसे परिवार को गाय दान दी है जिसमें एक कैंसर रोगी तथा सुन व बोल सकने में अक्षम दो बच्चे हैं, की आंखों में गाय दान करते समय आंसू थे। अब वह एक और गाय दान करने की कोशिश कर रहा है। 

बड़ी संख्या में पशु धन खोने वाले अधिकतर लोग जिले के भीतरी क्षेत्रों में रहते हैं। बहुत से जनजातीय लोगों ने भी अपने पशु गंवाए हैं जिन्हें वे वन क्षेत्रों में पाल रहे थे। एक दिन में 15 से 20 लीटर के बीच दूध देने वाली एक गाय की कीमत 60,000 रुपए है। मगर जिन लोगों के पास गऊएं नहीं हैं वे फार्मों से पशु खरीद कर दान कर रहे हैं, जिन्हें विक्रेता मूल्य में छूट दे रहे हैं। गऊएं प्राप्त करने वाले 8 लोगों में से एक चरवाहे मोइदू ने बताया कि दान में गाय मिलने से उसे बड़ी राहत मिली है। यह एक बहुत बड़ी सहायता है क्योंकि उसने बड़े भूस्खलन में 7 गऊएं तथा अपना घर खोया है। अब वे एक मित्र के घर में रह रहे हैं। दूध बेचकर गुजारा करने वाली मैरी कुरियन ने अचानक आई बाढ़ में तीन दुधारू गऊएं तथा दो बछड़े गंवा दिए थे। मैरी ने बताया कि यह एक गाय (जो उसे दान में मिली है) प्रतिदिन उसे 15 लीटर दूध देती है। इसके सहारे अब वह कम से कम अपना गुजारा तो चला लेती है।-के.एम. राकेश

Pardeep

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