मोदी नहीं, अमित शाह हैं इस ‘शो’ के पीछे

punjabkesari.in Tuesday, Jan 21, 2020 - 02:02 AM (IST)

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एन.आई.ए. अधिनियम को चुनौती देने के अपनी सरकार के फैसले, नागरिकता संशोधन अधिनियम (सी.ए.ए.) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एन.आर.सी.) के खिलाफ उनके विरोध के बारे में बातचीत की। इसके अलावा उन्होंने इन मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के अलग-अलग विचार पर भी बात की। उन्हें पूछा गया कि किस कारण से उन्होंने एन.आई.ए. अधिनियम को चुनौती दी जबकि यह कानून कांग्रेस के नेतृत्व वाले यू.पी.ए. के समय में लाया गया था? बघेल ने माना कि यह कानून कांग्रेस सरकार के समय लाया गया था लेकिन इसका मकसद अन्य राजनीतिक दलों द्वारा संचालित राज्य सरकारों को डराना नहीं था। भाजपा सरकार सी.बी.आई. ई.डी., डी.आर.आई. और यहां तक कि आयकर विभाग सहित सभी जांच एजैंसियों का दुरुपयोग कर रही है। 

नागरिकता का सबूत मांगना अनुचित
सी.ए.ए. और एन.आर.सी. के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों के बारे में उनका कहना है कि इस समय पूरा देश इस बात से नाराज और दुखी है कि उन्हें यह साबित करना होगा कि वे वास्तव में इस देश के नागरिक हैं। इससे बड़ा अपमान और कोई नहीं हो सकता। और दूसरी बात यह है कि इस मुद्दे पर पी.एम. और गृह मंत्री के अलग-अलग बयान आ रहे हैं जिससे साबित होता है कि उनके बीच सब ठीक नहीं है। मोटा भाई (पी.एम. मोदी, गुजराती में मोटा का मतलब है बड़ा भाई) ने रामलीला मैदान में दावा किया था कि एन.आर.सी. लागू नहीं किया जाएगा। जबकि छोटा भाई (गृह मंत्री अमित शाह) राजस्थान में दावा करते हैं कि सरकार इसे लागू करने में एक इंच भी पीछे नहीं हटेगी। यह मूल रूप से नरेंद्र मोदी और अमित शाह के बीच की लड़ाई है। 

गृहमंत्री और पी.एम. के बीच मतभेद के सवाल पर भूपेश बघेल का कहना है कि पांच साल की कड़ी मेहनत के बाद नरेंद्र मोदी ने अपने लिए एक वैश्विक छवि बनाई और आज उन्हें ऐसी शर्मनाक स्थिति में डाल दिया गया है कि वह देश से बाहर कदम भी नहीं रख पा रहे हैं। हम अपनी समावेशी संस्कृति के लिए जाने जाते हैं। यह केवल मुसलमानों के बारे में नहीं है। यह सब असम में शुरू हुआ और इस अव्यवस्था से बाहर निकलने के लिए उन्होंने इसे सारे देश में फैला दिया। असम राज्य में 19 लाख घुसपैठियों में से 15 लाख हिन्दू और 4 लाख मुस्लिम निकले। अब उन्हें इन 19 लाख लोगों को बंगलादेश को सौंप देना चाहिए था जहां से वे कथित तौर पर एन.आर.सी. अभ्यास के अनुसार आए हैं। ऐसा करने की बजाय शाह ने एक राष्ट्रव्यापी एन.आर.सी. की घोषणा की और कहा कि पहले सी.ए.ए. फिर एन.पी.आर. और फिर अंत में एन.आर.सी. लागू किया जाएगा। अब मोटा भाई कहते हैं कि एन.आर.सी. की कैबिनेट में भी चर्चा तक नहीं हुई है। 

एन.पी.आर. पर राय
एन.पी.आर. पर पर बघेल ने कहा कि इसमें सरकार लोगों से उनके माता-पिता के जन्म की तारीख और जन्म स्थान मांगना चाहती है। उदाहरण के लिए छत्तीसगढ़ में 40 प्रतिशत व्यक्ति गरीबी रेखा से नीचे हैं। वे भूमिहीन और अनपढ़ हैं। ऐसा व्यक्ति कैसे दस्तावेज तैयार करेगा जो सरकार चाहती है? अब अकेले रायपुर में हमारे पास पूरे राष्ट्र के व्यक्ति हैं। दस्तावेजी सबूत इकट्ठा करने के लिए उन्हें अपने पूर्वजों के स्थान पर फिर से जाना होगा। इसके सबूत जुटाने के लिए देश में हर व्यक्ति को इधर-उधर भागना पड़ेगा। वे एन.पी.आर. फार्म से लोगों के माता-पिता की जन्म तिथि और स्थान से संबंधित क्लॉज को हटा दें, फिर हमें इस प्रक्रिया से कोई ऐतराज नहीं है। फिर यह केवल उस जनगणना की तरह हो जाएगा जो हर दशक में एक बार होती है। हमें उससे समस्या क्यों होगी। 

पिछले छह वर्षों में कांग्रेस नोटबंदी और जी.एस.टी. को लेकर सरकार को घेरती रही है। यह पूछे जाने पर कि क्या एन.आर.सी./सी.ए.ए. उन दोनों से ज्यादा बड़े मुद्दे हैं, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने कहा कि नोटबंदी लागू करने के दौरान प्रति परिवार केवल एक सदस्य ही कतारों में खड़ा था, लेकिन सी.ए.ए./एन.आर.सी. लागू होने पर 8 वर्ष के बच्चे से लेकर 80 वर्षीय दादी तक के प्रत्येक सदस्य को कतार में खड़ा होना होगा और अपनी नागरिकता साबित करनी होगी। कोई 80 वर्षीय दादी अपने माता-पिता के बारे में दस्तावेज कहां से लाएंगी? नोटबंदी और जी.एस.टी. नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया काम था। भाजपा सरकार के दूसरे कार्यकाल में पिछले सात महीने का कार्यकाल वास्तव में अमित शाह की सरकार का रहा है न कि मोदी की सरकार का। अनुच्छेद 370 और 35ए को रद्द करना तथा सी.ए.ए. से लेकर एन.पी.आर. तक ये सब अमित शाह का किया धरा है। संसद के अंदर और बाहर शाह ही सरकार का नैरेटिव चला रहे हैं और मोदी लगातार गलत साबित हो रहे हैं। वास्तव में, यह शाह द्वारा मोदी को फंसाने और उनकी छवि को नष्ट करने का प्रयास है। 

इसलिए ले रहे राहुल गांधी का पक्ष
राहुल गांधी को कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष बनाने की उनकी मांग के संबंध में उन्होंने कहा कि वर्तमान में राहुल गांधी के अलावा कोई ऐसा नेता नहीं है जो कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष का पद संभाल सके। वह एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं जो इस सरकार के खिलाफ दृढ़ता से लड़ रहे हैं। केन्द्र सरकार की ओर से छत्तीसगढ़ से अतिरिक्त धान खरीदने से इंकार को देखते हुए उनके कदम के बारे में बघेल ने कहा कि उनकी सरकार 2500 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से धान खरीद रही है। केन्द्र सरकार ने हमारे राज्य से धान खरीदने से इंकार कर दिया क्योंकि हम किसानों को बोनस का भुगतान कर रहे हैं। (केन्द्र सरकार के एम.एस.पी. और छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा प्रस्तावित मूल्य के बीच 750 रुपए प्रति क्विंटल का अंतर है।) हम केन्द्र सरकार को उनकी कीमत के अनुसार धान बेच रहे हैं और किसानों को 7000 करोड़ रुपए  का बोनस दिया है। हम तेलंगाना सरकार की रायथु बंधु योजना या ओडिशा सरकार की कालिया योजना की तर्ज पर एक नई नीति लाएंगे।-एस.के. नायर


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