हमारे जनप्रतिनिधि इतने परिपक्व नहीं हैं कि उचित समय पर सही निर्णय ले सकें

punjabkesari.in Friday, Dec 22, 2023 - 06:46 AM (IST)

एक पृथ्वी, एक विश्व और एक कानून संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न अध्यायों के तहत वर्तमान वैश्विक समस्या के विश्लेषण का भविष्य मार्गदर्शक सिद्धांत होना चाहिए। शासन की कोई एक सर्वमान्य प्रणाली नहीं है। लोकतंत्र की वर्तमान प्रणाली सफल है और केवल पश्चिमी दुनिया तक ही सीमित है क्योंकि पश्चिमी दुनिया के बाहर राजनीतिक नेतृत्व में कोई परिपक्वता नहीं है। जापान और भारत को छोड़ कर एशिया का हर देश एक विफल लोकतंत्र है। विशेष रूप से भारतवर्ष में इसकी विविधता और बड़ी आबादी के कारण पश्चिमी लोकतंत्र को वर्तमान जरूरतों के अनुरूप बनाने की जरूरत है।

हमारे जनप्रतिनिधि इतने परिपक्व नहीं हैं कि उचित समय पर उचित निर्णय ले सकें। हम अपनी पसंद और राज्य विधानसभाओं में दूरदर्शी और विशेषज्ञ टीम चाहते हैं। अब आइए देखें कि विधायी सदनों (संसद और विधानसभाओं) में विशेषज्ञों और दूरदर्शी लोगों के प्रवेश में क्या बाधाएं हैं? ऐसा कोई विशिष्ट कानून नहीं है जिसके लिए हमारे प्रतिनिधि को किसी विशेष कैबिनेट पद पर बने रहने के लिए कुछ शैक्षणिक योग्यता और अनुभव रखने की आवश्यकता हो।

उदाहरण के तौर पर एक राज्य विधानसभा में 8वीं उत्तीर्ण/अनुत्तीर्ण प्रतिनिधि शिक्षा विभाग का अध्यक्ष था। इस सज्जन ने इस कुर्सी पर बैठने से इंकार कर दिया। इस पोर्टफोलियो की अध्यक्षता करने से इंकार करने से यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है कि वह ईमानदार और विनम्र है। इसके बजाय आप यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि यह सज्जन अधिक पैसा ठगने के लिए सिंचाई या लोक निर्माण विभाग चाहते थे और शिक्षा विभाग उनके लिए इतना आकर्षक नहीं था।

इसके अलावा हर राजनीतिक दल इन बड़े-बड़े वायदों को पूरा करने के लिए कोई होमवर्क किए बिना या राजस्व स्रोत का विश्लेषण किए बिना ही बड़े-बड़े वायदों के जरिए गरीब मतदाताओं को खरीद लेता है क्योंकि इसे पूरी तरह से लागू नहीं किया जाना था। दशकों तक हमने अशिक्षित मतदाताओं को आगे बढ़ाया जिन्हें यह भी पता नहीं था कि क्या वायदा किया जा रहा है या निकट भविष्य में क्या होने वाला है। पिछले कुछ चुनावों में हमने चुनाव को कठिन देखा है क्योंकि शिक्षित मतदाता 70 प्रतिशत से अधिक है।

विशेष रूप से हमारे किसी भी प्रतिनिधि ने कभी भी देश का सही नाम जानने की परवाह नहीं की क्योंकि उनका इरादा केवल निर्वाचित होना और बिना किसी जिम्मेदारी के उस शक्ति का आनंद लेना था। उनके लिए सत्ता का मतलब पैसा है शासन नहीं। मैं संयुक्त राष्ट्र के हमारे भाई-बहनों का ध्यान पश्चिमी के नहीं तो पूर्व के अनुरूप प्रस्तावित सुधारों की ओर लाना चाहता हूं। यदि पश्चिमी लोकतंत्र अपने स्वाद और प्राथमिकताओं के अनुरूप मेरे कपड़े से कुछ धागे चुनना चाहते हैं तो मुझे दोगुनी खुशी होगी।

मैं दो माडल प्रस्तावित करता हूं। माडल ए के तहत असंगत मतदान अधिकारों के साथ एकल चरण का चुनाव होना चाहिए और माडल बी के तहत दो चरण का चुनाव जिसमें पहले चरण में स्नातक और उसके नीचे के मतदाताओं को वोट देने से इंकार कर दिया जाएगा। पहले चरण में पढ़े-लिखे मतदाता गैर-दलीय आधार पर संभावित उम्मीदवारों का चयन करते हैं और दूसरे चरण में पहले चरण में चयनित प्रतिनिधियों में से एक विशेष उम्मीदवार का चुनाव करते हैं। मतदाता जितना शिक्षित होगा उसके वोट का वजन उतना ही अधिक होगा।

पहले चरण में स्नातक और उसके नीचे के मतदाताओं को वोट देने से इंकार कर दिया जाएगा। पहले चरण में केवल सुशिक्षित मतदाता ही गैर-दलीय आधार पर संभावित उम्मीदवारों का चयन कर सकते हैं। दूसरे चरण में सभी मतदाता विभिन्न राजनीतिक दलों या स्वतंत्र प्रतियोगियों द्वारा प्रस्तावित एक विशेष उम्मीदवार का चयन करेंगे। पहले चरण में केवल 30 प्रतिशत सुनिश्चित मतदाता विधानसभा या संसदीय चुनाव लडऩे के लिए योग्य 10 संभावित उम्मीदवारों का चयन करते हैं क्योंकि 70 प्रतिशत मतदाता सनातक हैं।

विभिन्न क्षेत्रो में उत्कृष्ट/उच्च योग्यता और अनुभव वाले अधिकतम 40 उम्मीदवारों को निर्दलीय के रूप में चुनाव लडऩे की अनुमति होनी चाहिए। उन्हें किसी भी राजनीतिक दल का समर्थन नहीं मिलेगा। राष्ट्रीय या क्षेत्रीय दलों को पहले चरण में चुने गए 10 निर्वाचित संभावित उम्मीदवारों में से किसी एक का समर्थन करना होगा। यदि आप माडल ए या माडल बी का चयन करें, सभी राजनीतिक दलों और विशिष्ट राजनीतिक संगठन से जुड़े उम्मीदवारों को निम्रलिखित सामान्य शर्तें पूरी करनी होंगी :

  1. केवल सत्तारूढ़ दल और सबसे बड़े विपक्षी दल को भी घोषणा पत्र प्रस्तुत करने का अधिकार होना चाहिए। घोषणा पत्र को विशेषज्ञों द्वारा प्रमाणित किया जाना चाहिए।
  2. आपको अपना मंत्रिमंडल चुनने से पहले ही घोषित करना होगा कि हम उम्मीदवार नहीं चुन रहे बल्कि हम सरकार चुन रहे हैं। 

सरकार का गठन

  • यदि कोई व्यक्ति गत पार्टी बहुमत जुटाने में सक्षम है तो बहुमत वाली यह पार्टी सरकार बनाएगीऔर दल विरोधी कानून मानक प्रक्रिया के अनुसार पार्टी पर लागू होगा। 
  • किसी एक दल को बहुमत मिलने के बावजूद यदि अन्य दल या व्यक्ति किसी समय इस सत्ताधारी दल का समर्थन करते हैं तो दल विरोधी कानून पूरे सत्ताधारी गुट पर लागू होगा। 
  • बहुदलीय प्रणाली के तहत खंडित जनादेश के मामले में यदि 2 या 2 से अधिक पाॢटयां एक साथ बहुमत जुटाती हैं तो दल-विरोधी कानून पूरे ब्लाक पर लागू किया जाना है। इस समाधान के साथ सरकार में स्थिरता आएगी। 
  • यदि एकल पार्टी को बहुमत मिलता है तो बैंक गारंटी खंड सत्तारूढ़ पार्टी पर लागू होता है। -एस. सुंदर राजन

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