सिर्फ अमरीका नहीं, सारी दुनिया पर होगा कोरियाई युद्ध का असर

Thursday, Aug 17, 2017 - 11:41 PM (IST)

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा उत्तर कोरिया पर 5 अगस्त, 2017 को लगाए गए ताजा प्रतिबंधों और फिर उत्तर कोरिया द्वारा अमरीका के खिलाफ निर्णायक लड़ाई शुरू करने के लिए प्रशांत महासागर में स्थित उसके नौसैनिक और वायुसैनिक अड्डे गुआम पर हवासोंग-12 नामक मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल से हमले के लिए समय निश्चित किए जाने के बाद कोरियाई प्रायद्वीप और उसके आसपास के क्षेत्र ही नहीं बल्कि अमरीका तक युद्ध की हलचल तेज हो गई है। 

उम्मीद की जा रही थी कि उत्तर कोरिया पर प्रतिबंध लगने से उसकी आमदनी के सबसे बड़े जरिए- कोयला और इस्पात निर्यात, समुद्री खाद्यान्न निर्यात और कामगारों के बाहर काम करने से होने वाली आमदनी खत्म होने से वह शांति की मेज पर आएगा, पर ऐसा नहीं हुआ। अलास्का और हवाई द्वीप के बाद गुआम पर उत्तर कोरियाई हमले की धमकी के बाद अमरीकी बी-1बी बमवर्षक विमानों ने कोरियाई प्रायद्वीप के ऊपर नियमित उड़ानें शुरू कर दी हैं। जापान में भी गुआम को निशाना बनाकर छोड़ी गई मिसाइल को अपने वायुक्षेत्र में गिराने की तैयारियां हो चुकी हैं। संभावित उत्तर कोरियाई मिसाइल हमले से बचने के लिए गुआम तथा दक्षिण कोरिया में एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली थाड (टर्मिनल हाई अल्टीट्यूड एरिया डिफैंस) स्थापित हो गई है। जापान में एक दूसरी मिसाइल रक्षा प्रणाली ‘एजिस एशोर’ है जो थाड से ज्यादा इलाका कवर करती है। 

थाड प्रणाली को लेकर अमरीका इतनी गोपनीयता बरत रहा है कि दक्षिण कोरिया में उसका नियंत्रण अमरीकियों के ही हाथों में है, पर वह उसकी कीमत दक्षिण कोरिया से चाहता है। थाड को लेकर चीन भी अपनी आपत्ति दर्ज करा चुका है। पर थाड ‘इंटरकॉन्टिनैंटल बैलिस्टिक मिसाइल’ को रोकने के लिए नहीं बना है। ताजा जानकारी के अनुसार अब उत्तर कोरिया पनडुब्बी से भी मिसाइल परीक्षण करने की तैयारी में है। अमरीकी विमान वाहक पोत तथा विध्वंसक जहाज लगातार कोरियाई प्रायद्वीप में बने हुए हैं और अमरीका की परमाणु शक्ति सम्पन्न पनडुब्बियां भी क्षेत्र में हैं। 

कोई भी देश जब युद्ध की धमकी देता है या युद्ध में उतरने की तैयारी करता है तो उसके सामने युद्ध के लिए कोई सामरिक लक्ष्य या कारण होता है, पर वर्तमान कोरियाई संकट में एक तरफ उत्तर कोरिया और दूसरी तरफ अमरीका, दक्षिण कोरिया और जापान में से किसी भी पक्ष को दूसरे पक्ष की जमीन नहीं चाहिए। सिर्फ अहम के टकराव के कारण विश्व आज इस संभावित परमाणु विनाश वाले युद्ध के कगार पर खड़ा है। उत्तर कोरिया यह नहीं समझ रहा कि अमरीका उससे कई गुना ज्यादा शक्तिशाली है और आत्मरक्षा में अगर उसने उत्तर कोरिया पर परमाणु हमला कर दिया तो क्षेत्र पूरी तरह से तबाह हो जाएगा और उसका असर लंबे अर्से तक सारी दुनिया पर रहेगा। 

नए दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति मून जे इन, जिनका जन्म उत्तर कोरिया में ही हुआ था और जो अपने वामपंथी रुझान के लिए जाने जाते हैं, के सत्ता में आने के बाद कोरियाई संकट हल होने के आसार दिखाई दिए थे, पर उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग उन लगातार मिसाइल टैस्ट कर अमरीका और सहयोगियों को धमका रहे हैं। हर परीक्षण के बाद के.सी.एन.ए. पर उनकी अपने सहयोगियों को गले लगाते हुए खुशी से भरी जो तस्वीरें आती हैं उनसे ऐसा लगता है जैसे कोई शैतान बच्चा वीडियो गेम में दुश्मन को खत्म कर खुश हो रहा हो। फर्क यह है कि इस खेल में सब-कुछ तबाह होने वाला है। उत्तर कोरिया के पास ई.एम.पी. यानी इलैक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स हमले की तकनीक भी है जिससे वह अमरीकी पावर ग्रिड को बंद कर सकता है और पृथ्वी के आसपास घूमते उपग्रहों को नष्ट कर सकता है। विश्व इसके कारण कुछ समय के लिए कई वर्ष पीछे चला जाएगा।

आज उत्तर कोरिया का जो उन्नत मिसाइल कार्यक्रम है वह एक जमाने में रूस और मिस्र के सहयोग से ही विकसित हुआ है। पाकिस्तान ने उत्तर कोरिया को परमाणु तकनीक विकसित करने में पूरी सहायता की थी। बाद में चीन की मदद से उत्तर कोरिया ने परमाणु और मिसाइल टैक्नोलॉजी में काफी प्रगति कर ली है।प्रति व्यक्ति आय और दूसरे महत्वपूर्ण मानकों में उत्तर कोरिया शेष विश्व से पिछड़ा हुआ है। उत्तर कोरिया सारी दुनिया से आर्थिक, व्यापारिक और अन्य क्षेत्रों में भी कटा हुआ है। उसके राजनयिक संबंध तो काफी देशों से हैं पर सुदृढ़ आर्थिक और व्यापारिक संबंध रूस, चीन और कुछ गिने-चुने छोटे देशों से ही हैं। फिर भी अपने लोगों का जीवन-स्तर सुधारने की बजाय उत्तर कोरिया के शासक समस्त प्रतिबंधों के बावजूद अपना परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम जारी रखे हुए हैं। शायद किम जोंग उन को लगता है कि अमरीका और दक्षिण कोरिया का भय दिखाकर वह अपने देशवासियों का ध्यान आंतरिक मसलों से हटा सकेंगे।

कम्युनिज्म में वंशवाद के तौर पर 3 पीढिय़ों से शासन कर रहे किम परिवार के वर्तमान शासक किम जोंग उन एक परमाणु शक्ति सम्पन्न देश के शासक बनने का तजुर्बा तो कभी भी नहीं रखते थे। 2011 में अपने पिता किम जोंग इल के निधन के बाद महज 27 वर्ष की उम्र में वर्कर्ज पार्टी ऑफ कोरिया के अध्यक्ष और डैमोक्रेटिक पीपल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया के सर्वोच्च नेता बने किम जोंग उन बेहद मजबूत और निरंकुश तानाशाह हैं, पर वह एक अवास्तविक दुनिया में जी रहे हैं और अपनी सेना व देश के लोगों को भी भ्रम में रख रहे हैैं। आश्चर्य इस बात का है कि पूरे देश में कोई ऐसा नहीं है जो इस तानाशाह को हटाकर उत्तर कोरिया को बर्बादी से बचाए, क्योंकि शीर्ष सभी पदों पर किम जोंग उन के वफादार लोग ही हैं। 

दक्षिण कोरिया, जापान और अब गुआम के लोग मिसाइल रक्षा कवच में होने के बाद भी हरदम मिसाइल हमले के डर में जी रहे हैं। अमरीका ने कहा है कि अब वह निर्णायक कार्रवाई करने की कगार पर है। उत्तर कोरिया की ओर से अगला एक भी दु:साहस आखिरी हो सकता है। दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश अमरीका आखिर एक छोटे से परमाणु शक्ति सम्पन्न देश की धमकी कब तक सहेगा? अपनी और सहयोगियों की सुरक्षा के लिए पहले हमला करने का विकल्प भी उसके पास है। कोरियाई प्रायद्वीप में आने वाले दिन बेहद महत्वपूर्ण हैं। बहुत संभव है कि हम भारतीय एक दिन जब सुबह उठें तो समाचार पत्रों और चैनलों से हमें पता चले कि रात को अमरीका ने उत्तर कोरिया पर भीषण हमला कर उसके प्रमुख सैन्य-असैन्य प्रतिष्ठान तबाह कर दिए हैं। ऐसा होने पर भी विश्व जनमत अमरीका और सहयोगियों के पक्ष में ही रहेगा क्योंकि इस मुद्दे पर अधिकतर देश मुखर रूप से उत्तर कोरिया के खिलाफ हैं। 
 

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