कोई भी पार्टी आरोप से बच नहीं सकती

Sunday, May 16, 2021 - 06:50 AM (IST)

भारत के ज्यादातर लोग उस बिंदू पर पहुंच चुके हैं जहां से उन्होंने यह निष्कर्ष निकाला है कि उन्हें अपने आप पर, अपने परिवारों और दोस्तों के ऊपर ही आश्रित रहना होगा ताकि अपना जीवन बचाया जा सके। कोविड-19 के खिलाफ युद्ध में केंद्र सरकार  विशेष तौर पर मुरझा गई है। 

कुछ राज्य सरकारें जैसे केरल और ओडिशा अभी भी विश्वास की भावना का आनंद उठा रही हैं चूंकि तमिलनाडु और पुड्डुचेरी में सरकारें बदल गई हैं इसलिए हमें उनके बारे में निर्णय आरक्षित रखना होगा। कोई भी पार्टी आरोप से बच नहीं सकती। कुछ ने मुश्किलों के बावजूद बेहतर करने की कोशिश की, तो कुछ कमजोर पड़ गईं और कुछेक ने तथ्यों को दफन कर दिया और झांसे और धमकी पर निर्भर रहीं मगर यहां भुगतने वाले लोग ही हैं। इस मुद्दे पर बहस खत्म नहीं हो सकती कि इस सारी उथल-पुथल के लिए कौन जि मेदार है क्योंकि यह कारण का युग नहीं है। इसके विपरीत कुछ निॢववाद तथ्यों पर फिर से बात करनी चाहिए और सवाल का जवाब देने के लिए प्रत्येक व्यक्ति पर छोड़ देना चाहिए। 

1. प्रत्येक लक्षित समूह का लगभग पूरा आकार उपलब्ध है और इसके बारे में सरकार को पता है। इसलिए मांग के लिए जोड़ी गई गिनती गिनने लायक है। मगर ऐसा नहीं हुआ। वैक्सीन की शुरूआती स्वीकृति पर संदेह किया गया। खुराकों के लिए की जाने वाली मांग की गिनती करना निश्चित था। मगर ऐसा कभी नहीं किया गया।
2. सीरम इंस्टीच्यूट और भारत बायोटैक जैसी 2 उच्च क्षमता वाली भारतीय क पनियों के बारे में सरकार जानती थी। निर्माण की वास्तविक क्षमता और इसकी वृद्धि को आवधिक लेखा परीक्षा द्वारा निर्धारित किया जा सकता था। मगर यह भी नहीं हुआ। 

वैक्सीन के बिना वैक्सीनेशन
3. वैक्सीन के लिए दिए जाने वाले आर्डर को सीरम इंस्टीच्यूट और भारत बायोटैक के समक्ष केवल 11.1.2021 को रखा गया। अपने ही जोखिम पर और अपने ही निर्मित स्टाक से दोनों क पनियों द्वारा शुरूआती सप्लाई की गई। इस तरह उत्पादन बढ़ाने के लिए दोनों क पनियों को प्रोत्साहित करने के लिए कीमती समय व्यर्थ किया गया।
4. कम से कम एक क पनी (सीरम इंस्टीच्यूट) या फिर दोनों को अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए धन अपेक्षित था। इस तारीख तक क्षमता हेतु वित्तीय सहायता प्रदान नहीं की गई। सप्लाई के लिए एडवांस की घोषणा 19.4.2021 को की गई। मगर यह सप्लाई के लिए एडवांस भुगतान के बराबर थी न कि क्षमता बढ़ाने के लिए दिए जाने वाला लोन या फिर पूंजी अनुदान नहीं था।
5. भारत निर्मित वैक्सीन के निर्यात की स्वीकृति मार्च 2021 तक की गई। निर्यात को 29.3.2021 को प्रतिबंधित किया गया। इस दौरान 5.8 करोड़ खुराकें निर्यात की गईं। 

6. फाइजर वैक्सीन के लिए आपात काल इस्तेमाल के लिए स्वीकृति को अनसुना कर दिया गया जिसके नतीजे में फाइजर ने अपने आवेदन को वापस ले लिया। तीसरी वैक्सीन स्पुतनिक-वी को 12.4.2021 को ई.यू.ए. दिया गया तथा इसकी पहली खेप 1.5.2021 को भारत पहुंची। इस तारीख तक किसी भी अन्य वैक्सीन के भारत में इस्तेमाल या इसके आयात के लिए स्वीकृति नहीं दी गई।  
7. 2020 में स्थापित अतिरिक्त मूलभूत संरचना को अक्तूबर 2020 के बाद तोड़ दिया गया और मार्च 2021 में कोविड की दूसरी लहर के शुरू होने के बाद इसे फिर से खड़ा करने की कोशिश की गई। इससे बचने वाले ढांचे पर असहनीय दबाव पड़ा। यह दबाव अस्पताल बैडों, वैंटीलेटर्स तथा ऑक्सीजन टैंकरों पर पड़ा।

8. जैसे ही पहली लहर मद्धम पड़ी टैसिं्टग महत्वपूर्ण रूप से कम हो गई।  जब लिए गए सैंपलों की गिनती कम हुई तो नए पाए जाने वाले संक्रमितों की गिनती भी गिर गई। टैसिं्टग को बढ़ाया नहीं गया जब सूर्य चमक रहा था तो छत को नहीं बनाया गया। इसी तरह जब बारिश पड़ रही थी तब टूटी हुई छत को बनाया नहीं गया।
9. बढ़ाए जाने के स्थान पर रोजाना दी जाने वाली खुराकों की गिनती कम की गई। 2 अप्रैल को 42,65,157 खुराकें दी गईं। अप्रैल के लिए रोजाना की औसत मात्रा करीब 30 लाख थी। मई में प्रतिदिन की औसत घट कर करीब 18.5 लाख हो गई। वैक्सीन की किल्लत के कारण वैक्सीनेशन कार्यक्रम का दम घुटता चला गया। 

10. आपातकाल के मामले को लेकर स्रोतों को लेकर कोई योजना नहीं बनाई गई। मिसाल के तौर पर ऑक्सीजन के स्रोतों को बढ़ाने के लिए कोई योजना नहीं थी। न ही नाइट्रोजन/आर्गन टैंकरों को ऑक्सीजन टैंकरों में तबदील करने की कोई योजना थी। ऑक्सीजन के लिए पी.एस.ए. प्लांटों को खड़ा करने और उसके आयात करने की कोई योजना नहीं थी। ऑक्सीजन सांद्रक तथा वैंटीलेटरों को स्टॉक करने की कोई योजना नहीं थी। नर्सों और पैरामैडीक्स की गिनती को बढ़ाने के लिए भी सरकार की कोई योजना नहीं थी। 

11. जब दूसरी लहर शुरू हुई तो यह माना गया कि यह पहली लहर की तरह होगी जो धीरे-धीरे आगे बढ़ेगी। उसके बाद यह ढलान पर आ जाएगी। बहुआयामी परिदृश्यों को बनाने या उसके बारे में सोचने का कोई प्रयास नहीं किया गया जिसमें बुरा परिदृश्य भी शामिल था। महामारी की तेज वृद्धि से निपटने के लिए देश में कोई योजना नहीं थी। यहां यह कहना भी उचित होगा कि देश में कोविड की तीसरी  या फिर चौथी लहर से निपटने की कोई योजना नहीं है। 

12. देश में सूचना, शिक्षा और संचार की कमी है जो लोगों के स्वास्थ्य के प्रति अपना दृष्टिकोण रखता हो। पहली लहर के दौरान सरकार का दृष्टिकोण प्रचार तथा अपने आपको विजयी घोषित करने की तरफ लगा हुआ था। दूसरी लहर के दौरान यह दृष्टिकोण इंकार का है। मतलब कि सरकार का मानना है कि देश में ऑक्सीजन की कमी नहीं है और राज्य सरकारों के लिए वैक्सीन का पर्याप्त स्टॉक है। सरकार सच्चाई को दबा रही है और जि मेदारी राज्यों पर डाल रही है जिसके नतीजे में देश में अफरा-तफरी और असमंजस की स्थिति व्याप्त है मगर कोई भी जवाब देने के लिए तैयार नहीं। अब निर्णय क्या लेना है यह हमारे पाठकों के ऊपर है।-पी.चिदंबरम

Advertising