निर्मला सीतारमण को विरासत में मिली बड़ी चुनौतियां

Sunday, Jun 16, 2019 - 01:32 AM (IST)

मैं निर्मला सीतारमण के पार्टी प्रवक्ता (2010) से वाणिज्य मंत्री (2014), रक्षा मंत्री (2017) और अब वित्त मंत्री (2019) तक के तेजी से उभार का प्रशंसक हूं। प्रत्येक उभार के साथ उन्होंने एक परम्परा को तोड़ा है। इससे अन्य महिलाओं को यह साबित करने के लिए प्रेरित होना चाहिए कि वे पुरुषों से कम सक्षम नहीं हैं। कोई भी वित्त मंत्री निष्कलंक तरीके से शुरूआत नहीं करता। स्लेट हमेशा भरी होती है-कुछ आशापूर्ण, कुछ हानिरहित, कुछ सिरदर्दी वाली तथा कुछ बाधा पहुंचाने वाली लिखाई से। पूर्व मुख्य आॢथक सलाहकार डा. अरविंद सुब्रह्मण्यन ने विकास के आंकड़ों पर एक काली छाया पैदा कर दी और एक तरह से जी.डी.पी. की गणना करने के तरीके के लम्बे समय के आलोचकों से सहमति जताई। अब पछतावे के लिए बहुत देर हो चुकी है। इसे अलग रखते हुए अब समय है पहले से ही बनाए मन के बिना आॢथक स्थिति का आकलन करने की। यहां मैं कुछ तथ्य तथा सूचक पेश करना चाहूंगा। 

कम मुद्रास्फीति मगर धीमा विकास 
मुद्रास्फीति कम है। थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यू.पी.आई.) 3.07 प्रतिशत पर और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सी.पी.आई.) 3.05 प्रतिशत पर। मुद्रास्फीति में कमी का कारण अत्यंत कसी हुई मौद्रिक नीति तथा वस्तुओं की कम कीमतें हैं लेकिन दोनों बदल रही हैं। जब तक मुद्रास्फीति कम है, सरकारी खर्चे को बढ़ाया जा सकता है मगर क्या इसके लिए धन है? 2018-19 में विकास में तीव्र गिरावट आई। चार तिमाहियों में यह 8.0, 7.0, 6.6 तथा 5.8 प्रतिशत थी। इसमें सम्भवत: अप्रैल-जून 2019 में और गिरावट आएगी। गिरावट से रुझान को भांपते हुए रिजर्व बैंक आफ इंडिया (आर.बी.आई.) ने 2019-20 के लिए कम करके 7.2 प्रतिशत का पूर्वानुमान बताया है। 2018-19 में कृषि क्षेत्र में 2.9 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई। 2018 में कृषि मजदूरी में 4.64 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई। प्रतिवर्ष 10,000 से अधिक किसानों ने आत्महत्याएं कीं। केवल महाराष्ट्र में ही 2019 में अभी तक 808 किसान अपनी जान दे चुके हैं। किसान अब और उपेक्षा बर्दाश्त नहीं कर सकते। 

लापता निवेश  
निवेश वृद्धि का मुख्य चालक है। 2018-19 में भारत में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफ.डी.आई.) पहली बार गत 6 वर्षों के दौरान 1 प्रतिशत कम होकर 43.37 अरब डालर रह गया। गत वर्ष सकल स्थिर पूंजी निर्माण (जी.एफ.सी.एफ.) 29.3 प्रतिशत (वर्तमान कीमतें) था। प्रमोटर निवेश के इच्छुक नहीं क्योंकि क्षमता का इस्तेमाल कम है, निर्माण में यह 76 प्रतिशत थी। विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफ.आई.आई.) ने 2018-19 में अपने धन की निकासी की। गत वर्ष शुद्ध एफ.आई.आई. (-) 3.587 अरब डालर था। निर्माण क्षेत्र में मंदी चल रही है। 2015-16 तथा 2018-19 के बीच निर्माण क्षेत्र के लिए औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आई.आई.पी.) 2.8, 4.4, 4.6 तथा 3.5 प्रतिशत था। अब वाहन निर्माताओं ने बिक्री में गिरावट की शिकायत करते हुए उत्पादन में कटौती कर दी है। 

राजग के अंतर्गत वस्तुओं का निर्यात 2013-14 में प्राप्त स्तर (315 अरब डालर) के स्तर को केवल 2018-19 में पार कर सका। दुर्भाग्य से संरक्षणवाद उभार पर है और व्यापार/शुल्क युद्ध करीब दिखाई दे रहा है। नया वित्त वर्ष बीमार-सा शुरू हुआ जिसमें अप्रैल के दौरान वस्तुओं का निर्यात केवल 26 अरब डालर था। बैंकिंग क्षेत्र का स्वास्थ्य खराब है। मार्च 2019 के अंत तक सकल एन.पी.ए. बकाया ऋणों का 9.3 प्रतिशत था तथा अप्रैल 2014 से बैंकों द्वारा 5,55,603 करोड़ रुपए की भारी-भरकम राशि बट्टे खाते में डाली गई है। सरकार के दूसरे कार्यकाल में वित्त मंत्री बैंकिंग क्षेत्र के संकटों के लिए यू.पी.ए. सरकार को दोष नहीं दे सकतीं (जैसे कि उनके पूर्ववर्ती अभ्यस्थ थे)। 

बैंक जमा 9.4 प्रतिशत की दर से बढ़ रहे हैं लेकिन ऋण 13.1 प्रतिशत की दर से। आर.बी.आई. ने नीतिगत दरों में कटौती की है और चाहता है कि बैंक ऋण लेने वालों की ब्याज दरों में कटौती करें। बैंक तब तक उधार लेने वालों के लिए ब्याज दरों में कमी नहीं कर सकते जब तक वे जमा कराने वालों के लिए ब्याज दरों में भी कटौती न कर सकें, जिससे जमा की वृद्धि को चोट पहुंचेगी। इसका कोई आसान समाधान नहीं है। 

चिंताजनक वित्तीय स्थिति 
2018-19 में व्यापार घाटा (-) 176.42 अरब डालर था। यह चालू खाते के घाटे (कैड) पर दबाव डाल रहा है जो दिसम्बर 2018 को समाप्त हुए 9 महीनों में (-) 51.8 अरब डालर था। कैड वह संख्या है जिस पर समीक्षक तथा मुद्रा व्यापारी नजर रखते हैं। वित्त मंत्री को भी इस पर नजर रखनी चाहिए। 2018-19 में कर राजस्व को बड़ी चोट पहुंची। 2018-19 के लिए एक फरवरी 2019 को बनाए गए संशोधित अनुमान एक मजाक बनकर रह गए। 14,84,406 करोड़ रुपए के संशोधित अनुमान के मुकाबले कुल कर राजस्व 13,16,951 करोड़ रुपए था, जो 1,67,455 करोड़ रुपए का नुक्सान है। स्वाभाविक है कि वित्त मंत्री 2019-20 के लिए अंतरिम बजट अनुमानों पर डटी नहीं रह सकतीं और उन्हें पूर्णत: नए अनुमान पेश करने होंगे। यह खुशगवार शुरूआत नहीं है। 

राजग के 5 वर्षों के दौरान वित्तीय घाटा केवल 1.1 प्रतिशत संकुचित हुआ। जनवरी-मार्च 2019 में खर्चों में बड़ी कटौती की गई अन्यथा 2018-19 में वित्तीय घाटा 3.4 प्रतिशत नहीं बल्कि 4.1 प्रतिशत होता। यदि वित्तीय सम्पीडऩ सरकार के लिए मुख्य उद्देश्य बना रहता है तो वित्त मंत्री को राजस्व तथा खर्चों के बीच एक बढिय़ा संतुलन बनाने का कार्य करना होगा। बेरोजगारी लोगों की सबसे बड़ी चिंता थी, फिर भी अधिकतर राज्यों में मतदाताओं ने भाजपा को सत्ता में वापस लाने के लिए मतदान किया। यह मुद्दा सरकार को सताने के लिए वापस लौटेगा।

वित्त मंत्री के पहले ही बजट का आकलन इसकी आर्थिक विकास को पुनर्जीवित करने तथा नौकरियां पैदा करने की क्षमता से होगा। रोजगार के मुद्दे पर वित्त मंत्री मुद्रा ऋणों, उबेर चालकों तथा ई.पी.एफ.ओ. में सूचीबद्धता की संख्याओं का हवाला देकर नहीं बच सकतीं। बेरोजगारी को मापने का एकमात्र विश्वसनीय तरीका समय-समय पर कार्यबल सर्वेक्षण है। वित्त मंत्री को याद रखना चाहिए कि बेरोजगारी दर 6.1 प्रतिशत है, जो 45 वर्षों में सर्वोच्च है। निर्मला सीतारमण को वर्तमान आर्थिक स्थिति विरासत में मिली है। वह हमारी शुभेच्छाओं तथा विश्व में हर तरह के अच्छे भाग्य की हकदार हैं।   

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