नीरव मोदी के नाम एक ‘खुला पत्र’

Thursday, Mar 01, 2018 - 12:36 AM (IST)

प्रिय श्री नीरव मोदी जी!
मैं आपको जानता नहीं। जान भी नहीं सकता। कहां आप और कहां मैं। आपको पहचानता भी नहीं। आपकी पहचान मेरे जैसे साधारण लोगों की पहुंच में आ ही नहीं सकती। आप से न जान, न पहचान, फिर भी आपको पत्र लिखने के लिए विवश हूं क्योंकि कुछ दिनों से पूरे मीडिया पर आप और आपके कारनामे ही छाए हुए हैं।

कोई भी चैनल लगाओ आपका गुणगान शुरू हो जाता है। आपके बारे में नई-नई कहानियां, नए-नए रहस्योद्घाटन और आपकी सम्पत्ति के नए-नए जलवे दिखने शुरू हो जाते हैं। 3 दिन पहले दुबई में श्रीदेवी का निधन हुआ तो कुछ समय के लिए टी.वी. और समाचारपत्रों में उसकी दुखद मृत्यु के समाचारों से आपका गुणगान कुछ समय के लिए कम हुआ, पर अब फिर आप ही सब जगह छा रहे हैं और आपके ही गीत चारों ओर गाए जा रहे हैं, इसलिए मैं आपको यह पत्र लिख रहा हूं।

आपके पास इतना धन-दौलत, ऐश्वर्य, सोना-चांदी और हीरे थे कि आप सोने और हीरों का एक महल बनाकर उसमें रह सकते थे। ऐश्वर्य का कौन-सा साधन आपके पास नहीं था। भारत ही नहीं, विश्व के अन्य बहुत से देशों में भी आप की दौलत के डंके बज रहे थे। धन-दौलत ही नहीं, अति सुन्दर युवा महिलाएं भी आपके साथ-साथ घूमती नजर आ रही थीं। इस सबके बाद भी आपने इस प्रकार से बैंकों का धन लूटने की कोशिश क्यों की?  वह क्या कमी थी जिसने आपको ये सब करने के लिए प्रेरित किया। कुछ भी समझ नहीं आता।

भारत की सरकार आपको दुनिया के हर देश में ढूंढ रही है। आप कहां हैं किसी को पता नहीं।  शायद आपको भी पूरा पता नहीं। आपकी इस सारी लूट के प्रबंधक आपको एक होटल के कमरे से दूसरे होटल के कमरे में कभी किसी नाम से तो कभी किसी और नाम से, कभी किसी देश में तो कभी किसी और देश में न जाने किस प्रकार से रख रहे होंगे। आपको भी बड़ी वेदना और पीड़ा हो रही होगी। शायद शर्म भी आ रही होगी।

दुनियाभर की इतनी अधिक सम्पत्ति प्राप्त करने के बाद आज आप चैन से, अपनी मर्जी से किसी एक जगह रह नहीं सकते।  चोरों की तरह सिर छुपाते मारे-मारे घूम रहे हो। मैं सोचता रहता हूं कि आखिर किस बात ने आपको वह सारा ऐश्वर्य 
छोड़ कर इस प्रकार के गुमनाम लाचारी के जीवन में जाने पर विवश कर दिया।

एक भिखारी भी अपनी मर्जी से जहां चाहे भीख मांग सकता है। अपनी भीख का कटोरा लेकर जहां चाहे बैठ सकता है परंतु सोने-चांदी और हीरों में खेलने वाले नीरव मोदी जी! आज आप अपनी मर्जी से कहीं चैन से रह नहीं सकते।  एक भिखारी से भी बदतर जीवन जीने के लिए आपको कहां से प्रेरणा मिली?

मनुष्य जीवन में जो कुछ भी करता है वह सुख के लिए करता है परंतु यह भूल जाता है कि सुख कहां है। सुख धन में नहीं, संतोष में है। यदि धन में ही सुख होता तो आप इतना अपार धन प्राप्त करने के बाद इस प्रकार चोरों की तरह सिर छिपाते दुखी न होते। मनुष्य के दुख का एक ही सबसे बड़ा कारण है जो मिला है उसमें संतोष नहीं और जो नहीं मिला है उसे प्राप्त करने के लिए तड़पते-छटपटाते रहते हैं।

पश्चिम की अंधी भौतिकवादी सभ्यता ने पद व धन का लालच इतना बढ़ा दिया कि कहीं-कहीं यह एक पागलपन बनता जा रहा है। संबंधों की पवित्र डोरें भी तार-तार हो रही हैं।  सम्पत्ति के लिए बेटा बाप को मार रहा है। रातों-रात अमीर बनने का खुमार चढ़ रहा है और कहीं रुक नहीं रहा।  जिनके पास बहुत कुछ है वे ही और अधिक प्राप्त करने के पागलपन में भ्रष्टाचार करके जेल जा रहे हैं।

नीरव मोदी जी! आपके पास क्या नहीं था? बस एक ही कमी थी। यदि वह संतोष आपके पास होता तो आप वहां न होते जहां पहुंच गए। बड़े आनंद से अपने देश में, अपने परिवार में पूरे सम्मान के साथ जीवन-यापन करते।

क्या आप उस भारत की स्थिति को जानते हैं जिसको दोनों हाथों से लूट कर आप कहीं जाकर छिप गए। इस देश में 17 करोड़ लोग भुखमरी के दहाने पर हैं। भूखे पेट सोते हैं। दुनिया में सबसे अधिक बच्चे कुपोषण से भारत में मरते हैं। दुनिया में सबसे अधिक भूखे लोग भारत में रहते हैं।

अन्नदाता किसान गरीबी की मजबूरी में आत्महत्या करने पर विवश होता है। कई बार कुछ गरीब इलाकों में भुखमरी की मजबूरी में बच्चों को बेचने के समाचार भी आते हैं। देश के बैंकों में जो धन है वह पूरे देश का है। इन गरीब लोगों का भी है। आप जैसों की लूट के कारण देश के बैंकों का लगभग 6 लाख करोड़ रुपया डूब गया। 52 लाख करोड़ रुपया डूबने वाला हो गया। 

इन लडख़ड़ाते बैंकों को अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए सरकार को 3 लाख करोड़ रुपए बैंकों को देने पड़े। देश का जो धन आम गरीब के विकास के लिए लग सकता था वह लूट कर आप जैसे लोग विदेश भाग गए।

इतनी अधिक सम्पत्ति कमा कर, बना कर और फिर भ्रष्टाचार से और अधिक लूट कर आपको आखिर क्या मिला? आपके घरों की तलाशियां हो रही हैं। आपके निजी आवासों का सब कुछ खंगाला जा रहा है। आप के मित्र-संबंधी सहमे-सहमे व डरे-डरे शर्म में डूबे जा रहे हैं। अब आप पूरा जीवन यूं ही घर से, देश से दर-बदर होकर भटकोगे या अदालतों के चक्कर लगाओगे या फिर जेलों में जीवन बिताओगे।

मैं जानता हूं मेरा यह पत्र आपको नहीं मिलेगा। आपका कोई ठिकाना ही नहीं है और सच बात तो यह है कि मैं यह पत्र आपके लिए लिख भी नहीं रहा हूं। मैं यह पत्र आपकी तरह के उन नीरव मोदियों को लिख रहा हूं जो इसी प्रकार से देश को लूटने में लगे हैं, पर अभी पकड़े नहीं गए। भारत जैसे देश में आजादी के 70 साल के बाद गजनी-गौरी के समय की लूट चल रही है। इस देश को प्रकृति और भगवान ने सब कुछ दिया है।  यदि पूरी व्यवस्था में अनुशासन और ईमानदारी होती तो आज भारत दुनिया में सबसे अधिक खुशहाल देश होता।

आप जैसों के रास्ते पर चलने वाले ऐसे सब लोगों को इस पत्र द्वारा मैं कहना चाहता हूं कि असली सुख धन में नहीं है, किसी सम्पत्ति में नहीं है।  सुख तो संतोष में है और संतोष वहीं होता है जहां संतोष कर लिया जाता है। विश्व भर के इतिहास का यही निचोड़ है। सिकंदर दुनिया को जीतने के लिए चला। एक पर एक देशों को जीतता गया, भारत को भी जीता और लूटा।  दुनिया भर की सम्पत्ति लेकर जब लौटने लगा तो बीमार हो गया। 

हकीमों ने कहा कि अब सारी धन-दौलत भी बचा नहीं सकती।  रास्ते में ही मर गया। मरने से पहले सिकंदर ने वसीयत की कि पूरी दुनिया जीतने के बाद भी वह खाली हाथ जा रहा है, इसलिए अन्तिम समय पर उसके खाली हाथ अर्थी से बाहर रखे जाएं।

देश में कई जगह इसी प्रकार के पागलपन में कुछ लोग किसी न किसी तरह दाव लगा कर भ्रष्टाचार और लूट में संलिप्त हैं, वे पाप भी कर रहे हैं और देश के साथ धोखा भी कर रहे हैं। अब सरकार बड़ी सख्ती के साथ इस लूट को अवश्य बंद करेगी।  वे सब नीरव मोदी जैसों का अंत देखें। एक कवि की इन पंक्तियों को याद रखें- ‘कर लो इकक्ठे जितने चाहो हीरे मोती पर एक बात याद रखना कफन में जेब नहीं होती।’    -   शांता कुमार

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